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Stubble Burning In Rohtak: रोहतक में सैटेलाइट के जरिए पकड़े गए पराली जलाने वाले 3 किसान, जुर्माने के साथ दिया गया नोटिस - फसल अवशेष प्रबंधन योजना हरियाणा

Stubble Burning In Rohtak: रोहतक में पराली जलाने वाले तीन किसानों पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देश के मुताबिक जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की गई है. सैटेलाइट के जरिए किसानों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. जिसके चलते तीनों किसानों को जुर्माने के साथ-साथ नोटिस भी जारी किया गया है.

Stubble Burning In Rohtak
रोहतक में जलाई पराली
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 16, 2023, 6:54 PM IST

रोहतक: हरियाणा में पराली जलाने के मामले थम नहीं थम रहे हैं. जिससे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को पराली जलाने वाले 3 किसानों को नोटिस जारी कर 2500 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति चार्ज वसूला गया. दरअसल, सेटेलाइट के जरिए पराली जलाने वाले किसानों पर नजर रखी जा रही है. रविवार को सेटेलाइट के जरिए ऐसी ही 3 घटनाओं के बारे में पता चला था. जिसके बाद एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के निर्देशानुसार किसानों पर कार्रवाई की गई है.

ये भी पढ़ें: Haryana Tree Pension Scheme: अगले महीने से हरियाणा में 70 साल की उम्र वाले चार हजार पेड़ों को मिलेगी पेंशन, सर्वे और रजिस्ट्रेशन का काम पूरा, अनोखी स्कीम वाला देश का पहला राज्य बनेगा

यह जानकारी डीसी अजय कुमार ने दी है. उन्होंने जिला के किसानों का आह्वान किया है कि वे पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए फसल अवशेषों को न जलाएं. किसान फसल अवशेषों का कृषि यंत्रों की मदद से उचित प्रबंधन कर प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं और इन फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं.

पशुओं के चारे के लिए किसान के खेत से पराली जलाने के लिए जिले के सभी पंजीकृत गौशालाओं को 15 हजार रुपये की राशि किराए के रूप में दिये जाने का सरकार द्वारा प्रावधान किया गया है. जिले में वर्तमान में 3354 कृषि यंत्र पराली प्रबंधन हेतु उपलब्ध हैं. इसके अलावा जिले में 142 कस्टम हायरिंग सेंटर भी स्थापित किए जा चुके हैं. जिससे किसानों को पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध हो सके. किसानों को पराली जलाने की हानि व फसल अवशेष प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करने के लिए 3 प्रचार-प्रसार वाहन भी चलाए जा रहे हैं.

डीसी ने बताया कि किसान हित में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर श्रेणी में किसानों को 80 प्रतिशत व व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके अलावा किसान द्वारा पराली की गांठ व पराली को मिट्टी में मिलाने के तहत एक हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा दी जाती है. इस योजना में किसानों ने अच्छी रुचि दर्शाई है व अब तक किसानों द्वारा 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि का पंजीकरण करवाया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: Stubble Burning In Haryana: सख्ती के बावजूद पिछले साल के मुकाबले हरियाणा में चार गुना अधिक जली पराली, पंजाब के आंकड़े और चिंताजनक

रोहतक: हरियाणा में पराली जलाने के मामले थम नहीं थम रहे हैं. जिससे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को पराली जलाने वाले 3 किसानों को नोटिस जारी कर 2500 रुपये पर्यावरण क्षतिपूर्ति चार्ज वसूला गया. दरअसल, सेटेलाइट के जरिए पराली जलाने वाले किसानों पर नजर रखी जा रही है. रविवार को सेटेलाइट के जरिए ऐसी ही 3 घटनाओं के बारे में पता चला था. जिसके बाद एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के निर्देशानुसार किसानों पर कार्रवाई की गई है.

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यह जानकारी डीसी अजय कुमार ने दी है. उन्होंने जिला के किसानों का आह्वान किया है कि वे पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए फसल अवशेषों को न जलाएं. किसान फसल अवशेषों का कृषि यंत्रों की मदद से उचित प्रबंधन कर प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं और इन फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं.

पशुओं के चारे के लिए किसान के खेत से पराली जलाने के लिए जिले के सभी पंजीकृत गौशालाओं को 15 हजार रुपये की राशि किराए के रूप में दिये जाने का सरकार द्वारा प्रावधान किया गया है. जिले में वर्तमान में 3354 कृषि यंत्र पराली प्रबंधन हेतु उपलब्ध हैं. इसके अलावा जिले में 142 कस्टम हायरिंग सेंटर भी स्थापित किए जा चुके हैं. जिससे किसानों को पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध हो सके. किसानों को पराली जलाने की हानि व फसल अवशेष प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करने के लिए 3 प्रचार-प्रसार वाहन भी चलाए जा रहे हैं.

डीसी ने बताया कि किसान हित में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर श्रेणी में किसानों को 80 प्रतिशत व व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाते हैं. इसके अलावा किसान द्वारा पराली की गांठ व पराली को मिट्टी में मिलाने के तहत एक हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा दी जाती है. इस योजना में किसानों ने अच्छी रुचि दर्शाई है व अब तक किसानों द्वारा 10 हजार एकड़ से अधिक भूमि का पंजीकरण करवाया जा चुका है.

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