रोहतक: ई-टेंडरिंग प्रणाली के विरोध में सोमवार को सरपंचों ने जमकर हंगामा किया. इन सरपंचों ने रोड जाम कर विरोध दर्ज कराया. सरपंचों का कहना है कि उन्हें ई-टेंडरिंग प्रणाली किसी की सूरत में मंजूर नहीं है और इस प्रणाली को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए. जब तक ई-टेंडरिंग प्रणाली को रद्द नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा. हालांकि प्रदेश सरकार साफ तौर पर ई-टेंडरिंग प्रणाली को वापस लेने से इंकार कर चुकी है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली सरपंचों से विरोध वापस लेने की अपील भी कर चुके हैं, लेकिन सरपंच अपनी मांग से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं.
गौरतलब है कि प्रदेश भर के सरपंच ई-टेंडरिंग प्रणाली का शुरूआत से ही खुलकर विरोध कर रहे हैं. इसी के चलते सभी जिलों में बीडीपीओ ऑफिस के बाहर धरने भी दिए गए, जहां पर पुलिस के साथ सरपंचों का टकराव भी हुआ. 28 जनवरी को रोहतक के जसिया गांव में छोटूराम धाम में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन भी हुआ था. जिसमें प्रदेश भर के सरपंचों के ई-टेंडरिंग प्रणाली के विरोध में प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. सरपंचों का कहना है कि ई टेंडरिंग प्रणाली विकास कार्यों में बाधा डालने वाली है. पहले चुनाव डेढ़ साल की देरी से हुए और अब सरकार ई-टेंडरिंग प्रणाली लाकर विकास कार्यों को रोकना चाहती है. इसलिए इस प्रणाली को तुरंत प्रभावी से वापस लिया जाना चाहिए.
सोमवार को अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जिले के सरपंच मानसरोवर पार्क में एकत्रित हुए और फिर वहां से प्रदर्शन करते हुए लघु सचिवालय की ओर रवाना हुए. सरपंचों ने लघु सचिवालय के बाहर अपनी मांग के समर्थन में रोड जाम कर दिया. सरपंचों के विरोध को देखते हुए लघु सचिवालय के मेन गेट बंद कर दिए गए. यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. बाद में सरपंचों ने एसडीएम राकेश कुमार सैनी को प्रदेश सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा.
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