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रोहतक: फूल और मुर्गी पालन को लगा कोविड-19 का श्राप, ठप हुए धंधे - rohtak coronavirus

मुर्गी पालन और फूलों की खेती करने वाले किसान लगभग बर्बादी की कगार पर हैं. हालात ये हैं कि मुर्गी तक को दाना खिलाने में दिक्कत आ रही है. ये हम नहीं बल्कि हैचरी में काम करने वाले मजदूरों का कहना है.

rohtak poultry and flower cultivation is facing recession because of lockdown in coronavirus
rohtak poultry and flower cultivation is facing recession because of lockdown in coronavirus
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Published : Apr 30, 2020, 5:08 PM IST

रोहतक: कोरोना वायरस की वजह से बर्बाद हुए धंधे में से सबसे ऊपर मुर्गी पालन और फूलों की खेती है. खरीददारों के ना मिलने से किसान और मजदूर दोनों बर्बाद हो रहे हैं.

मुर्गी पालन की बात करें तो हैचरी में अंडों का ढेर लगा हुआ है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है. हालात ये हो गए हैं की मुर्गी को भी दाना खिलाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं. जहां हर रोज अंडों से लाद कर गाड़िया दूसरे तीसरे दिन मार्किट में जाया करती थी. अब दो या तीन हफ्तों के बाद भी मुश्किल से जा पाती हैं.

रोहतक: फूल और मुर्गी पालन को लगा कोविड-19 का श्राप, ठप हुए धंधे

यही हालात फूलों का भी है. हर रोज भारी मात्रा में फूलों की बिक्री होती थी, वहीं अब दुकानदार एक एक ग्राहक को देखने के लिए तरसते हैं. किसानों के ये दोनों ही धंधे बर्बाद हो चुके हैं.

हैचरी में काम करने वाले मजदूरों पर भी संकट आ गया है. मजदूरों का कहना है कि इस बर्बादी का कारण सिर्फ कोरोना वायरस है. उन्होंने कहा कि अंडे की बिक्री नहीं हो रही है, जिसकी वजह से पैसा नहीं आ रहा है. यही हाल रहा तो भूखे मरने की नौबत आ सकती है.

रोहतक: कोरोना वायरस की वजह से बर्बाद हुए धंधे में से सबसे ऊपर मुर्गी पालन और फूलों की खेती है. खरीददारों के ना मिलने से किसान और मजदूर दोनों बर्बाद हो रहे हैं.

मुर्गी पालन की बात करें तो हैचरी में अंडों का ढेर लगा हुआ है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है. हालात ये हो गए हैं की मुर्गी को भी दाना खिलाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं. जहां हर रोज अंडों से लाद कर गाड़िया दूसरे तीसरे दिन मार्किट में जाया करती थी. अब दो या तीन हफ्तों के बाद भी मुश्किल से जा पाती हैं.

रोहतक: फूल और मुर्गी पालन को लगा कोविड-19 का श्राप, ठप हुए धंधे

यही हालात फूलों का भी है. हर रोज भारी मात्रा में फूलों की बिक्री होती थी, वहीं अब दुकानदार एक एक ग्राहक को देखने के लिए तरसते हैं. किसानों के ये दोनों ही धंधे बर्बाद हो चुके हैं.

हैचरी में काम करने वाले मजदूरों पर भी संकट आ गया है. मजदूरों का कहना है कि इस बर्बादी का कारण सिर्फ कोरोना वायरस है. उन्होंने कहा कि अंडे की बिक्री नहीं हो रही है, जिसकी वजह से पैसा नहीं आ रहा है. यही हाल रहा तो भूखे मरने की नौबत आ सकती है.

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