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Rohtak news: हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने एसपी रोहतक को किया तलब, पंचकूला ऑफिस में होना होगा पेश

Rohtak news: हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने रोहतक के एसपी हिमांशु गर्ग को तलब किया है. एसपी को अब 3 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से आयोग के सामने पंचकूला स्थित ऑफिस में पेश होना होगा.

haryana state scheduled caste commission
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 20, 2023, 10:45 PM IST

रोहतक: हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर रविंद्र बलियाला ने रोहतक के एसपी हिमांशु गर्ग को तलब किया है. एसपी को अब 3 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से आयोग के सामने पंचकूला स्थित ऑफिस में पेश होना होगा. दरअसल आयोग के अध्यक्ष एससी, एसटी एक्ट के तहत पुलिस स्टेशनों में दर्ज केसों की सुनवाई के लिए रोहतक पहुंचे थे. ऐसे ही 3 मामलों में पीड़ित पक्ष या शिकायतकर्ता पेश ही नहीं हुए. जिसे आयोग के अध्यक्ष ने पुलिस की लापरवाही माना और इसके लिए एसपी को जिम्मेदार ठहराया.

हालांकि खुद एसपी भी आयोग के अध्यक्ष की मीटिंग में मौजूद नहीं थे. इससे आयोग के अध्यक्ष और ज्यादा नाराज हो गए. उन्होंने माना कि शिकायतकर्ताओं को मीटिंग से संबंधित संदेश भेजने में पुलिस ने लापरवाही बरती है. इसके एसपी को खुद 3 अक्टूबर तक पंचकूला स्थित आयोग के ऑफिस में पहुंचकर जवाब देना होगा. सर्किट हाउस में आयोग के अध्यक्ष ने कुल 27 मामलों की मीटिंग में सुनवाई की. डॉक्टर बलियाला ने कहा कि जिस तरह से सरकार संवेदनशील है, आयोग भी बड़ा संवेदनशील है, ऐसे में एसपी रोहतक की ओर से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है. वो खुद भी मीटिंग में नहीं आए. ऐसे में जो मैसेज शिकायतकर्ता तक जाना चाहिए था, उसकी सुनवाई सही तरीके से नहीं हो पाई.

इसलिए रोहतक एसपी को तलब किया गया है. इस प्रकार से तो शिकायतकर्ता को न्याय नहीं मिल पाएगा. प्रशासनिक अधिकारियों की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बनती है. यदि प्रशासनिक अधिकारी ही इस तरह की लापरवाही करेंगे तो निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं वे न्याय के पक्ष में नहीं हैं. अधिकारी नहीं चाहते कि अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय मिले. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि शुरुआत में बताया गया कि एसपी किसी मीटिंग में हैं. इसलिए आयोग ने सुनवाई देरी से शुरू की, लेकिन देरी से मीटिंग शुरू करने के बावजूद भी एसपी नहीं आए.

सुनवाई के दौरान ना तो कई शिकायतकर्ताओं को बुलाया गया और ना ही अधिकारी यहां मौजूद रहे. इसी वजह से एसपी रोहतक से जवाब मांगा गया है. 3 अक्टूबर को आयोग के सामने पेश होकर उन्हें जवाब देना होगा. यदि वे आयोग के सामने पेश नहीं होंगे तो एससी, एसटी एक्ट के तहत जो कानूनी कार्रवाई होगी, वह की जाएगी. वहीं आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर रविंद्र बलियाना की सख्ती पर एसपी हिमांशु गर्ग मीटिंग में पहुंचे और अपनी सफाई पेश की. इस मीटिंग में रोहतक डीसी अजय कुमार भी बाद में ही पहुंचे.

ये भी पढ़ें- FMDA Meeting: मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद को दी करोड़ों रुपये की सौगात, पेयजल आपूर्ति के विस्तार को मंजूरी, 50 नई सीएनजी बसें और ई-बसों का भी प्रस्ताव

डीसी को भी एक मामले में आयोग के अध्यक्ष ने 3 अक्टूबर को ही पेश होने के आदेश दे दिए. डॉक्टर बलियाला ने कहा कि आयोग का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है. ऐसे में पीड़ित या आरोपी पक्ष का पेश ना होना लापरवाही कही जा सकती है. जिससे न्याय भी प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि आयोग का मुख्य कार्य अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा सरकार द्वारा इस समुदाय के कल्याण के लिए क्रियान्वित की जा रही योजनाओं की समीक्षा करना है. आयोग सरकार को विभिन्न मामलों में सिफारिशें भी भेज सकता है. आयोग को प्राप्त शक्तियों के अनुसार आयोग अनुसूचित जाति के लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों पर अंकुश लगाने के लिए नियमानुसार कार्रवाई करता है.

रोहतक: हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर रविंद्र बलियाला ने रोहतक के एसपी हिमांशु गर्ग को तलब किया है. एसपी को अब 3 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से आयोग के सामने पंचकूला स्थित ऑफिस में पेश होना होगा. दरअसल आयोग के अध्यक्ष एससी, एसटी एक्ट के तहत पुलिस स्टेशनों में दर्ज केसों की सुनवाई के लिए रोहतक पहुंचे थे. ऐसे ही 3 मामलों में पीड़ित पक्ष या शिकायतकर्ता पेश ही नहीं हुए. जिसे आयोग के अध्यक्ष ने पुलिस की लापरवाही माना और इसके लिए एसपी को जिम्मेदार ठहराया.

हालांकि खुद एसपी भी आयोग के अध्यक्ष की मीटिंग में मौजूद नहीं थे. इससे आयोग के अध्यक्ष और ज्यादा नाराज हो गए. उन्होंने माना कि शिकायतकर्ताओं को मीटिंग से संबंधित संदेश भेजने में पुलिस ने लापरवाही बरती है. इसके एसपी को खुद 3 अक्टूबर तक पंचकूला स्थित आयोग के ऑफिस में पहुंचकर जवाब देना होगा. सर्किट हाउस में आयोग के अध्यक्ष ने कुल 27 मामलों की मीटिंग में सुनवाई की. डॉक्टर बलियाला ने कहा कि जिस तरह से सरकार संवेदनशील है, आयोग भी बड़ा संवेदनशील है, ऐसे में एसपी रोहतक की ओर से कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई है. वो खुद भी मीटिंग में नहीं आए. ऐसे में जो मैसेज शिकायतकर्ता तक जाना चाहिए था, उसकी सुनवाई सही तरीके से नहीं हो पाई.

इसलिए रोहतक एसपी को तलब किया गया है. इस प्रकार से तो शिकायतकर्ता को न्याय नहीं मिल पाएगा. प्रशासनिक अधिकारियों की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बनती है. यदि प्रशासनिक अधिकारी ही इस तरह की लापरवाही करेंगे तो निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं वे न्याय के पक्ष में नहीं हैं. अधिकारी नहीं चाहते कि अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय मिले. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि शुरुआत में बताया गया कि एसपी किसी मीटिंग में हैं. इसलिए आयोग ने सुनवाई देरी से शुरू की, लेकिन देरी से मीटिंग शुरू करने के बावजूद भी एसपी नहीं आए.

सुनवाई के दौरान ना तो कई शिकायतकर्ताओं को बुलाया गया और ना ही अधिकारी यहां मौजूद रहे. इसी वजह से एसपी रोहतक से जवाब मांगा गया है. 3 अक्टूबर को आयोग के सामने पेश होकर उन्हें जवाब देना होगा. यदि वे आयोग के सामने पेश नहीं होंगे तो एससी, एसटी एक्ट के तहत जो कानूनी कार्रवाई होगी, वह की जाएगी. वहीं आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर रविंद्र बलियाना की सख्ती पर एसपी हिमांशु गर्ग मीटिंग में पहुंचे और अपनी सफाई पेश की. इस मीटिंग में रोहतक डीसी अजय कुमार भी बाद में ही पहुंचे.

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डीसी को भी एक मामले में आयोग के अध्यक्ष ने 3 अक्टूबर को ही पेश होने के आदेश दे दिए. डॉक्टर बलियाला ने कहा कि आयोग का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है. ऐसे में पीड़ित या आरोपी पक्ष का पेश ना होना लापरवाही कही जा सकती है. जिससे न्याय भी प्रभावित होता है. उन्होंने कहा कि आयोग का मुख्य कार्य अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा सरकार द्वारा इस समुदाय के कल्याण के लिए क्रियान्वित की जा रही योजनाओं की समीक्षा करना है. आयोग सरकार को विभिन्न मामलों में सिफारिशें भी भेज सकता है. आयोग को प्राप्त शक्तियों के अनुसार आयोग अनुसूचित जाति के लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों पर अंकुश लगाने के लिए नियमानुसार कार्रवाई करता है.

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