रोहतक: महम कांड की यादें आज एक बार फिर से जिंदा हो गई हैं. 30 साल बाद इसी मामले में आज रोहतक की जिला अदालत ने अपना फैसला सुनाया. जहां ओपी चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला पर उपचुनाव के दौरान हिंसा फैलाने, गुंडागर्दी और हत्या करने का आरोप था. अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि अभय चौटाला पर हत्या(302) के तहत मुकदमा नहीं चलेगा. दरअसल फरवरी 1990 में महम उपचुनाव में खरक जाटान के हरि सिंह की मौत हुई थी. हरि सिंह के भाई रामफल ने रोहतक कोर्ट में याचिका दायर की थी कि अभय चौटाला समेत अन्य को इस मामले में आरोपी बनाया जाये. जिसे एडिशनल सेशन जज रितु वाइके बहल ने खारिज कर दिया.
क्या है महम कांड?
देश में जब-जब किसी उपचुनाव में हिंसा का जिक्र होगा, तब-तब महम कांड का नाम सबसे पहले लिया जाएगा. ये देश का वही उपचुनाव है, जिसमें बार-बार वोटिंग होने पर भी नतीजा नहीं निकला. हिंसा हुई और इस दौरान कई लोगों की मौत भी हुई. एक ऐसा उपचुनाव जिसने उप प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की साख दांव पर लगा दी.
एक सीट, तीन बार उपचुनाव
फरवरी 1990 में यहां हुए उपचुनाव में इतनी हिंसा हुई कि नतीजा तक घोषित नहीं हो पाया. दोबारा चुनाव कराए गए फिर हिंसा हुई, चुनाव रद्द हो गए. 1991 में तीसरी बार चुनाव हुए और तब जाकर कोई नतीजा निकल पाया. लोग इसे महम कांड के नाम से जानते हैं.
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यहां से हुई महम कांड की शुरुआत
महम हरियाणा की राजनीति में काफी अहम नाम माना जाता है. महम का नाम हरियाणा से बाहर निकल कर पूरे देश में प्रसिद्ध तब हुआ, जब यहां से चौधरी देवी लाल निकलकर उप प्रधानमंत्री बने. चौधरी देवीलाल यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे, इसलिए इसे देवी लाल का गढ़ माना गया था. ये देवीलाल ही थे जिनकी राजनीति ने महम के साथ कांड जोड़ दिया.
दिल्ली जाने के लिए देवीलाल ने छोड़ी सीएम की कुर्सी
दिसंबर 1989 को वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. राजीव गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनना पड़ा. इसी सरकार में उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल को बनाया गया. कहा जाता है कि इस सरकार में प्रधानमंत्री देवीलाल भी हो सकते थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था. उन दिनों देवीलाल हरियाणा की जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री होते थे. दिल्ली जाने के लिए उन्होंने हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा दिया और तब जरूरत पड़ी उनकी विधानसभा सीट के लिए एक उप चुनाव कराने की.
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देवीलाल ने बेटे ओपी चौटाला को सौंपा अपना राजपाठ
देवीलाल ने अपना राजपाट अपेने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को सौंप दिया. ओम प्रकाश चौटाला उस वक्त विधानसभा के सदस्य नहीं थे, इसलिए तय हुआ कि उन्हें महम से चुनाव लड़ाया जाए क्योंकि महम एक ऐसी सीट थी जहां से चौधरी देवीलाल लगातार तीन बार विधायक बने और ओम प्रकाश चौटाला के लिए इससे सेफ सीट कोई दूसरी नहीं थी.
...जब कहानी में आया नया मोड़
कहानी में नया मोड़ तब आया जब चौधरी देवी लाल के खास माने जाने वाले आनंद सिंह दांगी ने खुद को उनका उत्तराधिकारी बताया और महम विधानसभा से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की, लेकिन ओम प्रकाश चौटाला की जिद और आनद सिंह दांगी के बगावती तेवरों ने महम कांड को जन्म दिया.
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हार-जीत से ज्यादा उपचुनाव बना इज्जत का सवाल
आनंद सिंह डांगी ने निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर महम सीट से पर्चा भरा, जबकि ओम प्रकाश चौटाला ने पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा. ओम प्रकाश चौटाला अपने पिता की सीट पर और एक ताकतवर महापंचायत के दबदबे के खिलाफ लड़ रहे थे, इसलिए सवाल हार-जीत से ज्यादा का इज्जत का था.
'चौटाला गुट के लोगों ने जमकर की गुंडागर्दी'
आरोप है कि लोक दल ने चुनाव जीतने के लिए खूब गुंडागर्दी की, इनकी अगुवाई की ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला ने. 27 फरवरी 1990 को महम में वोट पड़े और जमकर बवाल हुआ. बूथ कैपचरिंग हुई. नतीजे में केंद्र से आए चुनाव आयोग के सुपरवाइजर ने 8 बूथों पर दोबारा वोटिंग के आदेश दिए, लेकिन अगले दिन भी इसी तरह के हिंसा हुई और पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने से 6 लोगों की मौत हो गई.
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तीसरी बार हुए उपचुनाव में जीते दांगी
महम कांड की शुरुआत बैंसी गांव से हुई. वैसे गांव में वोटिंग को लेकर झगड़ा हुआ और बूथ कैपचरिंग करने की साजिश रची गई, लेकिन वहां मौजूद गांव वालों ने इसका विरोध किया. इसके बाद पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने हो गए. किसी तरह वहां मौजूद लोगों ने भागकर जान बचाई. तीसरी बार महम सीट पर चुनाव हुआ और तब म प्रकाश चौटाला के लिए एक दूसरी सीट का इंतजाम किया गया. वहीं महम उपचुनाव में आखिरकार जीत दांगी की झोली में गिरी.
'बेहद खौफनाक था, महम का मंजर'
महम कांड को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है. लोगों का कहना कि उस वक्त इतना भयानक मंजर था कि चारों तरफ पुलिस ही पुलिस थी. गाड़ियां जल रही थी और गुंडे जबरन अपने हक में वोट डलवा रहे थे. वहीं उस वक्त आनंद सिंह दागी के एजेंट रहे एक शख्स ने बताया कि उन्हें भी मारने की कोशिश की जा रही थी, तब उन्होंने दिल्ली भागकर अपनी जान बचाई थी.
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महम की जनता की वजह से आज मैं जिंदा हूं-दांगी
वहीं महम कांड के असली सूत्रधार रहे पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी ने कहा कि वो मंजर बड़ा ही खौफनाक था. उन्होंने कहा कि मुझे मारने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन महम की जनता और भगवान ने उनकी और उनके परिवार की रक्षा की.