रोहतक: बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में पीजीआईएमएस में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने 2 घंटे की हड़ताल (resident doctors protest in pgims) की. सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक सभी ओपीडी बंद रहीं. जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी हुई. इससे पहले शनिवार को भी इसी तरह एक घंटे तक ओपीडी बंद कर डॉक्टर्स ने विरोध दर्ज कराया था. अब डॉक्टर्स ने फैसला किया है कि वो मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक हड़ताल रखकर रोष जताएंगे.
रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (resident doctors association rohtak) ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर विद्यार्थियों के हित में फैसला नहीं किया गया, तो ओपीडी सेवाएं पूर्ण रूप से बंद कर वो हड़ताल करेंगे. पीजीआईएमएमस में बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत एक नवंबर से हुई थी. उस दिन एमबीबीएस विद्यार्थियों ने रोष मार्च निकाला था, फिर इसके बाद 2 नवंबर से डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने धरने की शुरूआत की गई थी.
5 नवंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को यहां दीक्षांत समारोह में शिरकत करनी थी. ऐसे में एमबीबीएस विद्यार्थी 4 नवंबर की रात को समारोह स्थल के बाहर धरने (students protest against bond policy) पर बैठ गए. छात्रों को हटाने के लिए पुलिस प्रशासन ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. पुलिस ने एमबीबीएस विद्यार्थियों को जबरन वहां से उठाकर हिरासत में ले लिया. अगले दिन मुख्यमंत्री से विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात कराई गई, लेकिन मुख्यमंत्री ने बॉन्ड पॉलिसी वापस लेने से इंकार कर दिया.
इस बीच इस आंदोलन को विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठन व खाप प्रधानों का समर्थन हासिल किया. विरोध बढ़ता देखकर प्रदेश सरकार ने बॉन्ड पॉलिसी में कुछ संशोधन कर दिया. जिसके मुताबिक अब एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए ये पॉलिसी लागू कर दी गई, जबकि पहले प्रथम वर्ष से ही ये पॉलिसी लागू की गई थी. जिसके तहत एमबीबीएस की पढाई पूरी होने के बाद 7 साल तक सरकारी नौकरी करने की शर्त थी, लेकिन एमबीबीएस विद्यार्थियों ने बॉन्ड पॉलिसी में संशोधन को भी नकार दिया.
एमबीबीएस विद्यार्थियों का कहना है कि बॉन्ड पॉलिसी पूर्ण रूप से वापस होनी चाहिए. ये पॉलिसी उन्हें किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. प्रदेश सरकार ये पॉलिसी वर्ष 2020 में लेकर आई थी. शुरुआत में इस पॉलिसी को लेकर एमबीबीएस के प्रथम व द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने धरने (students protest in rohtak pgi) की शुरुआत की थी. फिर एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में पीजीआईएमएस की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी खुलकर आ गई. एसोसिएशन के प्रधान डॉक्टर अंकित गुलिया का कहना है कि सरकार को तुरंत प्रभाव से पॉलिसी वापस लेकर विद्यार्थियों को राहत देनी चाहिए.
21 दिन से आंदोलन की वजह से विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान भी हो रहा है. एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में शनिवार को एक घंटे तक सभी ओपीडी में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल की थी. अब सोमवार को 2 घंटे तक हड़ताल रखी गई. इस बीच सुबह के समय पीजीआईएमएस रोहतक समेत प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स व विद्यार्थियों का प्रतिनिधिमंडल पंचकूला में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता करने के लिए गया, लेकिन वहां भी कोई समाधान नहीं हुआ. जिसके बाद रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने तय किया है कि मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक सभी ओपीडी में हड़ताल पर रहेंगे.
पीजीआईएमएस में सोमवार को रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. ये मरीज दूरदराज के क्षेत्र से आए थे. इन मरीजों ने हड़ताल की वजह से हुई परेशान बयां की. दरअसल एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लागू बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सभी ओपीडी में हड़ताल की थी. इस दौरान किसी भी मरीज को नहीं देखा गया. डॉक्टर्स व एमबीबीएस विद्यार्थियों ने बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में सभी ओपीडी में पर्चे भी वितरित किए. उन्होंने मरीजों को ये बात समझाने की कोशिश की कि ये बॉन्ड पॉलिसी उनके भी हित में नहीं है, लेकिन मरीज हड़ताल से परेशान नजर आए.