रोहतकः कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद से लगातार जारी प्रवासी मजदूरों का पलायन अब थमता दिखाई दे रहा है. अब प्रवासी मजदूरों को भी समझ में आ गया है कि अगर वह एक जगह से दूसरी जगह जाएंगे तो कोरोना के संक्रमण की वजह से उनके परिवार के ऊपर भी खतरा बढ़ सकता है. इसलिए इन मजदूरों ने ही अब अपील करनी शुरू कर दी है कि जो लोग जहां हैं, वहीं पर रुके. इसी से ही उनके परिवार बच सकते हैं.
पिछले 2 दिन से प्रवासी मजदूर काम ना होने की दुहाई देकर पैदल ही अपने प्रदेशों की ओर निकल पड़े थे. जिसके बाद सरकार ने फैसला लेते हुए उनके लिए शेल्टर होम बनाए और सड़कों पर चलने वाले इन मजदूरों को सरकारी बसों में बैठाकर शेल्टर होम तक लाया गया. जहां पर इनके रुकने की व्यवस्था की है. रोहतक में लगभग 15000 प्रवासी मजदूरों के रुकने की व्यवस्था की गई है.
21 दिन के लॉकडाउन के दौरान पिछले 2 दिनों में अलग-अलग प्रदेशों के प्रवासी मजदूरों की समस्या आ खड़ी हुई थी. क्योंकि काम ना होने के चलते इन मजदूरों ने पैदल ही अपने प्रदेशों की ओर यात्रा शुरू कर दी थी, जिसकी वजह से वायरस के संक्रमण के बढ़ने का खतरा दिखने लगा था. आखिर सरकारों ने इस पर प्रशासन को दिशा निर्देश देते हुए शेल्टर होम बनाने के आदेश दिए.
वहीं समाजसेवी संगठन भी मजदूरों के खाने-पीने की बेहतर व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं. सामाजिक संगठनों का कहना है कि चाहे उन्हें कुछ भी करना पड़े, वह किसी भी प्रकार की दिक्कत इन प्रवासी मजदूरों को नहीं आने देंगे.
वहीं शेल्टर होम में पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों का कहना है कि परिवार के मोह और काम न मिलने के चलते उन्होंने अपने घरों का रुख किया था. लेकिन इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनकी इस गलती से कोरोना महामारी को बढ़ावा मिल सकता है. अब उन्हें शेल्टर होम में रोका गया है. यहां उनके खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की गई है.
जिसके बाद अब वो अपने अन्य साथियों से भी अपील करते हैं कि जो लोग सड़कों पर अपने घर जाने के लिए निकले हैं, वे वहीं पर रुके. क्योंकि उनकी इस गलती से उनके परिवार की जान को भी खतरा हो सकता है. मजदूरों का कहना है कि यदि लॉकडाउन 14 अप्रैल से आगे बढ़ता है तो भी वो लोग रुकने को तैयार हैं.
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