रोहतक: हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ पीजीआईएमएस के एमबीबीएस विद्यार्थियों ने रविवार देर शाम को शहर में कैंडल मार्च निकाला. इस मार्च के जरिए बॉन्ड पॉलिसी को वापस लेने की मांग की गई. वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) रोहतक, रेवाड़ी और गुरुग्राम के पदाधिकारियों ने धरनास्थल पर पहुंचकर एमबीबीएस विद्यार्थियों की मांगों का समर्थन किया. ( MBBS students candle march in Rohtak) (bond policy in haryana)
एमबीबीएस विद्यार्थी शाम के समय पीजीआईएमएस के डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने एकजुट हुए और फिर वहां से कैंडल मार्च करते हुए मेडिकल मोड़ पहुंचे. इस दौरान विद्यार्थियों ने अपनी मांगों के समर्थन नारेबाजी की और सरकार की पॉलिसी का विरोध किया. एमबीबीएस विद्यार्थी प्रिया कौशिक व पंकज बिट्टू ने कहा कि रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल वापस लेने के बावजूद उनका आंदोलन कमजोर नहीं पड़ा है और रोजाना ही आंदोलन को मजबूती मिल रही है. यह विद्यार्थियों की एकजुटता ही है, आंदोलन को 34 दिन हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन उसी दिन खत्म होगा जिस दिन प्रदेश सरकार पॉलिसी को पूर्ण रूप से वापस लेगी. (MBBS students Protest in Rohtak)
छात्रों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से 2 बार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से एक बार वार्ता हुई, लेकिन बातचीत में सरकार का सकारात्मक रूख देखने को नहीं मिला. सरकार को इस पॉलिसी को हर हाल में लागू करने पर आमदा, जबकि यह पॉलिसी भविष्य में मेडिकल एजुकेशन को पूरी तरह से बर्बाद कर देगी. विद्यार्थियों को परीक्षा पास करने के बाद ही सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता है, लेकिन इस पॉलिसी के लागू होने से उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. आंदोलनकारी विद्यार्थियों ने कहा कि सरकार को अपनी जिद छोड़कर पॉलिसी को वापस लेना चाहिए. (candle march in Rohtak against bond policy)
धरनास्थल पर पहुंचे आईएमए के पदाधिकारी: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के रोहतक, गुरुग्राम व रेवाड़ी के पदाधिकारी रविवार को पीजीआईएमएस में धरनास्थल पर पहुंचे और आंदोलनकारियों की मांगों का समर्थन करते हुए सरकार से पॉलिसी वापस लेने की मांग की. इस दौरान एसोसिएशन ऑफ सर्जन इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश वशिष्ठ व आईएमए रोहतक के सचिव डॉ. रविंद्र हुड्डा ने कहा कि बॉन्ड पॉलिसी ने गरीब और आम परिवार का विद्यार्थी मेडिकल एजुकेशन से वंचित हो जाएगा. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का पूर्ण समर्थन आंदोलनकारी विद्यार्थियों के साथ है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए कड़े कदम उठाए जा सकते हैं. (demand of MBBS students)
बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ 34 दिन से आंदोलन: एमबीबीएस विद्यार्थियों के आंदोलन को 34 दिन हो चुके हैं. एक नवंबर को विद्यार्थियों ने रोष मार्च निकालकर आंदोलन की शुरुआत की थी. फिर उसके अगले दिन यानी 2 नवंबर से पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिस के बाहर धरना दिया गया था. तभी से यह धरना चल रहा है. 19 नवंबर को रेजीडेंट डॉक्टर्स ने आंदोलन को समर्थन करते हुए एक घंटे तक ओपीडी में हड़ताल की थी. फिर 21 नवंबर को 2 घंटे, 22 नवंबर को 3 घंटे और 23 नवंबर को 4 घंटे तक हड़ताल कर रोष जताया गया था. 24 नवंबर से रेजीडेंट डॉक्टर्स पूर्ण रूप से हड़ताल पर चले गए थे.
बाद में 25 नवंबर 27 नवंबर को एमबीबीएस विद्यार्थियों की चंडीगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में भी रेजीडेंट डॉक्टर्स शामिल हुए थे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ 30 नवंबर की वार्ता का भी रेजीडेंट डॉक्टर्स हिस्सा रहे थे. एमबीबीएस विद्यार्थियों ने तो उसी दिन सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, लेकिन रेजीडेंट डॉक्टर्स ने मरीजों के हित को देखते हुए एक दिसंबर की रात से हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी थी और 2 नवंबर से वे ओपीडी सेवाओं में काम पर लौट आए थे. (MBBS students in Haryana) (Bond policy controversy in Haryana)
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