रोहतकः दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों के समर्थन में रविवार को रोहतक में सर्वखाप पंचायत हुई. महम चौबीसी के ऐतिहासिक चबूतरे पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सर्वखाप पंचायत हुई. सुबह 11 बजे शुरू हुई यह पंचायत शाम 4 बजे तक चली. इस पंचायत में कई अहम फैसले लिए गए.
महिला खाप पंचायत अहम: 23 मई को दिल्ली में पहलवानों के कैंडल मार्च का खाप पंचायत ने समर्थन किया और तय हुआ कि इस कैंडल मार्च में देश भर से सभी खाप पंचायतें, किसान संगठन, महिला संगठन और सामाजिक संगठन हिस्सा लेंगे. वहीं, 28 मई को दिल्ली में नए संसद भवन में महिला खाप पंचायत होगी. उस महिला खाप पंचायत में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसे देश भर की खाप पंचायत पूरा करेंगी. जरूरत पड़ी तो 5 घंटे के अंदर खाप से जुड़े लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में दिल्ली पहुंच सकते हैं. इस पंचायत में बृजभूषण शरण सिंह को जल्द गिरफ्तार करने और नारको टेस्ट कराने की मांग की गई.
क्या बोलीं महिला पहलवान: इस पंचायत की अध्यक्षता महम चौबीसी सर्वखाप के अध्यक्ष मेहर सिंह राठी ने की. इस पंचायत में हरियाणा के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान की विभिन्न खापों के प्रधानों, प्रतिनिधियों, किसान संगठनों व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भी पंचायत में पक्ष रखा. ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि उनके साथ ज्यादती हो रही है. वे लगातार सरकार से मांग कर रही हैं कि उन्हें न्याय दिया जाए.
राकेश टिकैत ने किया बड़ा ऐलान: उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की गहनता से जांच हो, लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है. साक्षी मलिक ने खाप पंचायत से भी अनुरोध किया कि वह उनका साथ दें और अगर वह गलत मिले तो पंचायत जो भी सजा देगी उसे भुगतने को तैयार हैं. लेकिन जिस तरह से बृजभूषण शरण अपनी ताकत का इस्तेमाल कर उन्हें दबाने की कोशिश कर रहा है, उससे वे झुकने वाले नहीं है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 28 मई को नए संसद भवन में जो महिला पंचायत होगी और उसके बाद वहां पर जो भी निर्णय लिया जाएगा वह उस पर आगे बढ़ेंगे.
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उन्होंने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में कुछ लोग राकेश टिकैत से भी मिलने जाते हैं और अपना पक्ष रखते हैं. लेकिन वे पहलवानों के साथ हैं और इसके लिए चाहे कितना भी बड़ा आंदोलन क्यों ना करना पड़े. वे पूरी तरह से तैयार हैं और उन्हें लगता है कि यह आंदोलन काफी लंबा चलेगा.