रोहतक: स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकारें कितने भी दावे क्यों ना करती हों लेकिन जमीन स्तर पर जो स्थिति है उसकी सच्चाई पीड़ित ही बता सकता है. प्रदेश में रोहतक पीजीआई काफी अहमियत रखता है, लेकिन यहां की व्यवस्थाओं की सच्चाई सरकारी दावों से बिल्कुल अलग है. यहां आम तो क्या खास को भी इलाज के लिए परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.
शुक्रवार रात करीब 9 बजे संस्थान के आपात विभाग में पूर्व उप राज्यपाल और हरियाणा की पहली महिला सांसद चंद्रावती कूल्हे और पैर में लगी चोट के उपचार के लिए पीजीआई पहुंची थीं. करीब 92 वर्षीय की हो चुकी चंद्रावती देवी दर्द से कराहते हुए करीब दो घंटे तक स्ट्रेचर पर ही पड़ी रहीं, लेकिन किसी का भी उनकी ओर ध्यान नहीं गया.
चंद्रावती देवी की पहचान सिर्फ पूर्व उप राज्यपाल की ही नहीं है. उनके पद और किए गए काम पर नजर डालें, तो सभी को हैरानी होगी और साथ ही अस्पताल में उनके साथ हुई इस बेकद्री से सिर भी शर्म से झुक जाएगा.
चंद्रावती देवी का परिचय
- भिवानी से हरियाणा की पहली महिला लोकसभा सांसद रही (1977)
- हरियाणा विधानसभा की पहली महिला विधायक
- हरियाणा की पहली महिला अधिवक्ता
- हरियाणा में दो बार मंत्री (1964-66, 1972-74)
- 1982-85 में हरियाणा विधानसभा में विपक्ष की नेता
- फरवरी 1990 से दिसंबर 1990 तक पुण्डुचेरी की उप-राज्यपाल
- 1977-79 हरियाणा में जनता पार्टी की अध्यक्ष
रिश्तेदार अस्पताल में भटकते रहे, नहीं मिला कमरा
पूर्व उप राज्यपाल चंद्रावती के रिश्तेदार जगजीत ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें चोट लगी थी. इसके बाद करीब चार बजे उन्हें लेकर चरखी दादरी से पीजीआई पहुंचे. इस दौरान उन्हें प्राथमिक उपचार मिला, लेकिन वीवीआईपी कमरा नहीं मिलने से उन्हें इंतजार करना पड़ा. इस दौरान वहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में सभी वीआईपी कमरे पहले से रिजर्व हैं. कमरा नहीं मिलने पर रात करीब 9 बजे वे शहर के एक निजी अस्पताल में मरीज को लेकर पहुंचे, जहां उनका उपचार चल रहा है.
पूर्व सीएम बंसीलाल को हरा कर बनी थीं सांसद
चरखी दादरी के गांव डालावास चंद्रावती ने जनता पार्टी की ओर से भिवानी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ते हुए प्रदेश के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम बंसीलाल को करारी शिकस्त दी थी. उन्होंने हरियाणा की पहली महिला सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. 1977 में जब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर थी, चरखी दादरी की चंद्रावती ने भिवानी लोकसभा क्षेत्र के पहले चुनाव में 67.62 प्रतिशत वोट लेकर जीत का जो रिकार्ड बनाया था, वह आज तक तोड़ा नहीं जा सका है.
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक 1977 में चंद्रावती ने 2 लाख 89 हजार 135 वोट हासिल किए थे, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल को 1 लाख 27 हजार 893 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. माना जा रहा है कि आपातकाल का फायदा चंद्रावती को मिला और वे बीएलडी की टिकट पर 67.62 प्रतिशत वोट लेकर जीतने में कामयाब रहीं.
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