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किसानों को लुभाने के लिए सरकार द्वारा लिए गए कुछ अहम फैसले, लेकिन कुछ किसान फिर भी दिखे नाराज

किसानों की फसलों के दाम समय पर न देने के चलते 9 प्रतिशत ब्याज वाले फैसले से किसान खुश दिखाई दिए लेकिन उन्होंने ये भी मांग की है कि

rohtak farmers not happy government decision
किसानों को लुभाने के लिए सरकार द्वारा लिए गए कुछ अहम फैसले, लेकिन कुछ किसान फिर भी दिखे नाराज
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Published : Mar 24, 2021, 10:26 PM IST

रोहतक: आंदोलन के बीच किसानों को लुभाने के लिए सरकार ने बैठक कर बड़ी घोषणा की है,सरकार के अनुसार अब किसानों की फसलों के दाम समय पर न देने के चलते 9 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा. ये ही नहीं फसल उठान का निर्धारित समय होगा और ऐसा न करने पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं सरकार के इस फैसले से किसान तो खुश है लेकिन फसल खरीदने के तरीकों से अब भी परेशान है. किसानों की मर्जी के अनुसार ही फसल खरीद का सिस्टम किया जाए.

ये भी पढ़ें: महम में हुई किसान महापंचायत में पहुंचे टिकैत, 26 मार्च को किया भारत बंद का आह्वान

किसानों ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा के चलते फसलें मंडी के अनुसार खरीदी जाती है लेकिन काम के दबाव में मशीनों और मजदूरों की व्यस्तता के अनुरूप फसल नहीं निकल पाती है और तब तक किसानों का टोकन का नम्बर जा चुका होता है.किसानों ने कहा कि अगर सरकार उनके समय के अनुसार फसल खरीदे तो सोने पर सुहागा हो जाएगा.

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ये भी पढ़ें: सरकार का बड़ा ऐलान: आढ़तियों के नहीं सीधा किसानों के खाते में जाएगा फसल खरीद का पैसा

गौरतलब है कि किसानों को अधिकारियों की तरफ से फसल भेजने का मैसेज आता है लेकिन समय पर फसल न निकलने के चलते किसान मंडी नहीं पहुंच पाता जिसके बाद उसका टोकन नम्बर खत्म हो जाता है. ऐसे में किसान उस फसल को या तो खेत में या फिर घर में रखता है जिसके कारण फसल खराब होने का डर बना रहता है.

रोहतक: आंदोलन के बीच किसानों को लुभाने के लिए सरकार ने बैठक कर बड़ी घोषणा की है,सरकार के अनुसार अब किसानों की फसलों के दाम समय पर न देने के चलते 9 प्रतिशत ब्याज दिया जाएगा. ये ही नहीं फसल उठान का निर्धारित समय होगा और ऐसा न करने पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं सरकार के इस फैसले से किसान तो खुश है लेकिन फसल खरीदने के तरीकों से अब भी परेशान है. किसानों की मर्जी के अनुसार ही फसल खरीद का सिस्टम किया जाए.

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किसानों ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा के चलते फसलें मंडी के अनुसार खरीदी जाती है लेकिन काम के दबाव में मशीनों और मजदूरों की व्यस्तता के अनुरूप फसल नहीं निकल पाती है और तब तक किसानों का टोकन का नम्बर जा चुका होता है.किसानों ने कहा कि अगर सरकार उनके समय के अनुसार फसल खरीदे तो सोने पर सुहागा हो जाएगा.

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गौरतलब है कि किसानों को अधिकारियों की तरफ से फसल भेजने का मैसेज आता है लेकिन समय पर फसल न निकलने के चलते किसान मंडी नहीं पहुंच पाता जिसके बाद उसका टोकन नम्बर खत्म हो जाता है. ऐसे में किसान उस फसल को या तो खेत में या फिर घर में रखता है जिसके कारण फसल खराब होने का डर बना रहता है.

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