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रोहतक: मकर संक्रांति के मौके पर महिला, मजदूरों और नागरिकों ने जलाई कृषि कानून की प्रतियां - महिला विरोध प्रदर्शन रोहतक

तीन कृषि कानून के विरोध में मकर संक्रांति के अवसर पर रोहतक की कई कालोनियों एवं गांव में नागरिकों,महिलाओं और मजदूरों के द्वारा कृषि कानूनों की प्रतियों का विरोध कर उसे जलाया गया.

Women protests Rohtak
जलाई गई कृषि कानून की प्रति
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Published : Jan 15, 2021, 8:40 AM IST

रोहतक: तीन कृषि कानून के विरोध में मकर संक्रांति के अवसर पर रोहतक की कई कालोनियों एवं गांव में नागरिकों,महिलाओं और मजदूरों के द्वारा कृषि कानूनों की प्रतियों का उल्लघंन करते हुए उसे जलाया गया. साथ ही संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर मकर संक्राति के दिन आजादगढ़, किशनपुरा,जसबीर कॉलोनी,सनसिटी, सैनिक कॉलोनी, एकता कॉलोनी, दरियाव नगर, न्यू विजय नगर, खरावड़ समेत कई स्थानों पर भी कृषि कानून की प्रति को जलाया गया.

इस दौरान अपने संबोधन में जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने कहा कि दुनिया कोविड-19 महामारी के बीच संघर्ष कर रही है और कई देशों की सरकारें अपनी नव उदारवादी अर्थव्यवस्था के खिलाफ जाकर सामाजिक कल्याणकारी उपायों को अपना रही हैं, वहीं नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारत सरकार कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए अपने नवउदारवादी कानूनों को आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है जो कि मजदूर वर्गों और उनके श्रम के अधिकारों के साथ-साथ पूरे कृषि क्षेत्र पर हमला करने का कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों के बाजार को कॉर्पोरेट तक लाभ पहुंचाने के लिए नये सिरे से पूरे ढांचे को तैयार किया जा रहा है.

ये तीन कानून हैं- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य एक विश्वास और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020 और ये तीनों बिल अब कानून बन चुके हैं.

ये भी पढ़े :'किसानों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है, लेकिन कृषि कानूनों पर बनी कमेटी पर नहीं'

किसानों का कहना है कि इन तीन कृषि अधिनियमों से न सिर्फ किसान प्रभावित होंगे, बल्कि खेती-बाड़ी में लगे कामगारों के जीवन और आजीविका पर भी काफी प्रभाव पड़ेगा. कॅानट्रेक्ट खेती को अपनाने के बाद उनकी पहुंच किसी भी जोत तक नहीं होगी, क्योंकि बड़े कॉरपोरेट्स का खेती पर एकाधिकार होगा और कॉर्पोरेट सीधे-सीधे भू-स्वामियों (उत्पादकों) के साथ अनुबंध करेने लगेंगे.

रोहतक: तीन कृषि कानून के विरोध में मकर संक्रांति के अवसर पर रोहतक की कई कालोनियों एवं गांव में नागरिकों,महिलाओं और मजदूरों के द्वारा कृषि कानूनों की प्रतियों का उल्लघंन करते हुए उसे जलाया गया. साथ ही संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर मकर संक्राति के दिन आजादगढ़, किशनपुरा,जसबीर कॉलोनी,सनसिटी, सैनिक कॉलोनी, एकता कॉलोनी, दरियाव नगर, न्यू विजय नगर, खरावड़ समेत कई स्थानों पर भी कृषि कानून की प्रति को जलाया गया.

इस दौरान अपने संबोधन में जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमति सांगवान ने कहा कि दुनिया कोविड-19 महामारी के बीच संघर्ष कर रही है और कई देशों की सरकारें अपनी नव उदारवादी अर्थव्यवस्था के खिलाफ जाकर सामाजिक कल्याणकारी उपायों को अपना रही हैं, वहीं नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भारत सरकार कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए अपने नवउदारवादी कानूनों को आगे बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है जो कि मजदूर वर्गों और उनके श्रम के अधिकारों के साथ-साथ पूरे कृषि क्षेत्र पर हमला करने का कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों के बाजार को कॉर्पोरेट तक लाभ पहुंचाने के लिए नये सिरे से पूरे ढांचे को तैयार किया जा रहा है.

ये तीन कानून हैं- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य एक विश्वास और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020 और ये तीनों बिल अब कानून बन चुके हैं.

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किसानों का कहना है कि इन तीन कृषि अधिनियमों से न सिर्फ किसान प्रभावित होंगे, बल्कि खेती-बाड़ी में लगे कामगारों के जीवन और आजीविका पर भी काफी प्रभाव पड़ेगा. कॅानट्रेक्ट खेती को अपनाने के बाद उनकी पहुंच किसी भी जोत तक नहीं होगी, क्योंकि बड़े कॉरपोरेट्स का खेती पर एकाधिकार होगा और कॉर्पोरेट सीधे-सीधे भू-स्वामियों (उत्पादकों) के साथ अनुबंध करेने लगेंगे.

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