रोहतक: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आदमपुर उपचुनाव को लेकर जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पूरे दमखम और मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ा है. पार्टी उम्मीदवार जयप्रकाश जेपी को समाज के हर तबके और 36 बिरादरी का समर्थन हासिल हुआ है. यही वजह है कि अब तक हुए 2 उपचुनावों की तरह इस बार भी बीजेपी हारने जा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एमबीबीएस (Hooda Statement on Admission in MBBS) में प्रवेश के लिए लागू की गई पॉलिसी को वापस लेने की मांग प्रदेश सरकार से की. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को मेडिकल शिक्षा से वंचित करना चाहती है. इसलिए कभी उन पर 40 लाख के बॉन्ड की शर्त थोप दी जाती है तो कभी फीस को 50 हजार से बढ़ाकर सीधा 10 लाख कर दिया जाता है.
हुड्डा ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि सरकार की पालिसी का एमबीबीएस विद्यार्थी लगातार विरोध कर रहे हैं. विपक्ष ने भी सड़क से लेकर विधानसभा तक में इस मुद्दे को उठाया है. लेकिन प्रदेश सरकार विद्यार्थियों की मांगें मानने के लिए तैयार नहीं है. वहीं, उन्होंने सीईटी के परीक्षा केंद्र दूर-दूर दिए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जब विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो सरकार ने खुद गृह जिले या साथ लगते जिले में परीक्षाएं करवाने की हामी भरी थी. लेकिन एक बार फिर अपने वादे से मुकरते हुए सरकार ने बेरोजगार युवाओं को प्रताडि़त करने का काम किया है.
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि फ्री बस सेवा के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी हर जगह हजारों युवाओं की भीड़ उमड़ रही है. जिस समय विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करनी थी, उस समय उन्हें लंबी-लंबी कतारों में समय बर्बाद करना पड़ रहा है. हुड्डा ने कहा कि इस सरकार के पास युवाओं को राहत देने का कोई रोडमैप नहीं है. बल्कि सरकार का हर फैसला युवाओं की परेशानी बढ़ाने वाला साबित होता है.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण (Pollution in Delhi NCR) को लेकर भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इसके लिए सिर्फ पराली और किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. प्रदूषण बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान फैक्ट्रियों, वाहनों और अन्य कारकों का होता है. दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारें अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हैं. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है.
हुड्डा ने आरोप लगाया कि हर सीजन में सरकार किसानों को पराली की खरीद और उसके निपटान का वादा करती है. लेकिन इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जाता. कुछ जगह मजबूरी में या फिर दुर्घटनावश पराली में आग लग जाती है लेकिन इसके लिए किसानों से जुर्माने के नाम पर करोड़ों रुपए की वसूली हो रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. किसानों पर जुर्माना थोपने की बजाय सरकार को समस्या का स्थाई समाधान निकालना चाहिए.
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