कुरुक्षेत्र: हरियाणा में बीते कुछ महीनों से कृषि अध्यादेशों को लेकर बवाल जारी है. केंद्र के कृषि अध्यादेशों पर किसान और सरकार आमने-सामने आ चुके हैं. किसान अब सरकार की एक बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी से खास बातचीत की.
गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि केंद्र के कृषि अध्यादेश कुछ एक पूंजीपतियों के लिए है. उन्होंने कहा कि अब सरकार जो ढांचा खड़ा करने की कोशिश कर रही है उससे सिर्फ कुछ पूंजीपति ही देश में खाद्य सामग्री खरीद पाएंगे. चढूनी ने कहा कि ये कुछ ही पूंजीपति किसान से फसल खरीदेंगे और फिर अपनी जरूरत के अनुसार काला बाजारी भी की जाएगी.
ये भी पढ़ें- पराली जलाने को लेकर सिरसा के 25 गांव रेड जोन में शामिल, किसान हुए नाराज
भाकियू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ये कृषि अध्यादेश उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के लिए ही काफी खतरनाक है. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर इन कृषि अध्यादेशों को लागू किया जाता है तो बीच के जो मुनाफा कमाने वाले लोग हैं उन्हें काफी नुकसान होगा और सारा फायदा अंबानी और अडानी जैसे पूंजीपतियों का होगा.
गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि अगर वर्ल्ड मार्केट के हिसाब से हरियाणा के किसानों की फसल खरीदी जाएगी, तो यहां के किसानों के लिए काफी मुश्किल होगी. उन्होंने कहा कि जो फसल खरीद के रेट विश्व व्यापार संगठन ने तय किए हैं वो हरियाणा के किसानों के लिए काफी कम हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान होगा.
भारतीय कियान यूनियन की सरकार को चेतावनी
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार को चेतावनी दे दी गई है कि 15 सितंबर से जिला मुख्यालयों पर किसान प्रदर्शन शुरू करेंगे. इसी के साथ उन्होंने कहा कि 20 सितंबर को 3 घंटे के लिए पूरे हरियाणा की सड़कों पर जाम किया जाएगा और उसके बाद भी अगर सरकार ने कृषि अध्यादेश को वापस नहीं लिया तो अगली रणनीति तैयार की जाएगी.
भारतीय किसान यूनियन की रैली में हुए लाठीचार्ज के बाद भाजपा डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के निर्देशन पर गठित तीन सांसदों की कमेटी ने शनिवार को रोहतक और करनाल में किसानों से बातचीत की. इस पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि ये सिर्फ ढकोसला है. उन्होंने कहा कि इस समस्या का हल सांसदों के बस की नहीं है. ये प्रधानमंत्री के हाथ में है. उन्होंने कहा कि ये समस्या केवल हरियाणा की नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों की है.
किसानों पर लाठीचार्ज कर फंसी सरकार
10 सितंबर को कुरुक्षेत्र में कृषि अध्यादेशों का विरोध करने के लिए जुटे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. पीपली मंडी में किसान बुधवार से ही जुटने लगे थे. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने पीपली क्षेत्र में धारा 144 लगाकर रैली के लिए मना कर दिया था.
हरियाणा के कई जिलों से पहुंचे रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह नाकेबंदी की थी. फिर भी बड़ी संख्या में किसान कुरुक्षेत्र पहुंच गए. दिनभर कई जगह पुलिस और किसानों के बीच टकराव की स्थिति बनती रही और अंत में पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए बल प्रयोग किया. लाठीचार्ज में कई किसान घायल हुए.
पहला अध्यादेश है: किसान का उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य
इसके तहत केंद्र सरकार 'एक देश, एक कृषि मार्केट' बनाने की बात कह रही है. इस अध्यादेश के माध्यम से पैन कार्ड धारक कोई भी व्यक्ति, कम्पनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकते हैं. कृषि माल की बिक्री किसान मंडी में होने की शर्त केंद्र सरकार ने हटा ली है. महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कृषि माल की जो खरीद मार्केट से बाहर होगी, उस पर किसी भी तरह का टैक्स या शुल्क नहीं लगेगा.
दूसरा अध्यादेश: आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव
इस अध्यादेश लाने के पीछे सरकार की मंशा है कि Essential Commodity Act 1955 में बदलाव किया जाए. जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कुछ कृषि उत्पादों का एक लिमिट से अधिक भंडारण पर लगी रोक को हजा दी जाए. अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण पर लगी रोक को हटा लिया गया है.
तीसरा अध्यादेश: मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का समझौता
इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत फसलों की बुआई से पहले कंपनिया किसानों का माल एक निश्चित मूल्य पर खरीदने का एग्रीमेंट करेगी. फसल तैयार होने पर वो कंपनी सीधे किसान के खेत से उपज उठा लेगी.
ये भी पढ़ें- कृषि अध्यादेशों का क्यों हो रहा है विरोध ? जानिए एक्सपर्ट की राय