रोहतकः कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसकी वजह से सारे काम धंधे बंद हो गए हैं. जिसकी सबसे ज्यादा मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ रही है. जिसके चलते मजदूर शहरों से अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं.
पंजाब के बटिंडा से उत्तर प्रदेश के इटावा के लिए सैकड़ों किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करने वाले प्रवासी मजदूरों ने अब तय कर लिया है कि जब उन्हें मरना ही है तो घर क्यों न जाए.
पिछले 5 दिनों से 24 घंटे पैदल सफर करने वाले प्रवासी मजदूर रास्ते में महज दो से तीन घंटे ही आराम कर पाते हैं महिलाओं और छोटे-छोटे बच्चों संग सुनसान रास्ते का भी खतरा उठाने वाले इन प्रवासियों का कहना है कि जेब में एक भी पैसा नहीं है और खाने को कुछ नहीं है. इसलिए घर जा रहे हैं. रास्ते में कोई व्यक्ति इन्हें खाने को कुछ दे जाता है, जिसके सहारे दिन रात चलते रहते हैं.
वही दूसरी ओर मजदूरों का कहना है कि वो इट भट्टों पर काम करते है,जेब मे एक भी पैसा नही है और खाने को कुछ भी नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार बड़े-बड़े दावे तो कर रही है. लेकिन हकीकत में उनके पास कोई मदद नहीं पहुंच रही है.
वही जींद से मुरादाबाद जाने वाले इक़बाल ने कहा कि कम्पनी ताला लगाकर भाग गई जेब कोई पैसा नहीं है. पिछले दो दिनों से कुछ भी नहीं खाया, इसलिए पैदल ही घर जाने की कोशिश कर रहे हैं.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बाद से ही प्रवासी मजदूरों का अपने-अपने घर पैदल जाने का सिलसिला लगातार जारी है, तो दूसरी ओर सरकार और प्रशासन दावे कर रहे हैं कि इन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं रहने दी जाएगी.
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