रोहतक: हरियाणा में भारी बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है. रोहतक दौरे पर पहुंचे सीएम ने हरियाणा में भारी बरसात और बाढ़ से हुए नुकसान के आंकड़े पेश किए हैं. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा की वजह से 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर भूमि में पानी भरा है, जबकि 4 लाख एकड़ कृषि भूमि पानी में डूब गई है. बाढ़ और बरसात की वजह से प्रदेश के 1385 गांव प्रभावित हैं, जिनमें से 403 गांव में नुकसान हुआ है. बारिश और बाढ़ के कारण 133 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं.
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हरियाणा में बारिश और बाढ़ से 30 लोगों की मौत: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि पिछले सालों में इन दिनों के दौरान 145 एमएम बारिश होती थी. लेकिन, इस बार 245 से 250 एमएम बारिश हुई है, जोकि 180 फीसदी अधिक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जान-माल को जो नुकसान हुआ है, उसके आकलन की रिपोर्ट 2 दिन के बाद आएगी. लेकिन, अभी तक (15 जुलाई तक) की जानकारी के अनुसार 30 लोगों की मौत हुई है. 133 मकान जो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और 183 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं. बाढ़ और बारिश के कारण प्रदेश में 110 पशुओं की जान गई है. इस साल बारिश और बाढ़ से पोल्ट्री फार्मों में भी नुकसान हुआ है. करीब 5400 लोगों की राहत कैम्पों में व्यवस्था की गई है, जहां उन्हें खाने-पीने और मेडिकल सहायता भी पहुंचाई जा रही है.
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सीएम ने कहा कि, 1.60 लाख हेक्टेयर पर पानी भरा है. फसली नुकसान के जायजा के लिए प्रशासन को आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि, कई इलाकों में पानी उतरने के बाद धान की बिजाई भी संभव है. उन्होंने कहा कि, किसानों को ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान दर्ज करने को कहा जाएगा, उसके बाद गिरदावरी करवाई जाएगी.
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आपदा पर सियासत, सीएम ने किया पलटवार: वहीं, रविवार को रोहतक दौरे पर पहुंचे हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने भारी बारिश और बाढ़ से उत्पन्न हुए हालातों के दौरान राजनेताओं द्वारा दिये जा रहे बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि, इस आपदा के समय आरोप-प्रत्यारोप का जो सिलसिला शुरू हुआ है, वह मानवता, प्रदेश और देश हित में बिल्कुल भी सही नहीं है. यह छोटी सोच का उदाहरण है. छोटी सोच का व्यक्ति ऐसी सोच रख सकता है कि मैं अपना बचाव करूं और किसी दूसरे को नुकसान पहुंचा दूं. हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने और इससे संबंधित फोटो दिखाए जाने के आरोपों पर सीएम ने कहा कि एक अनपढ़ और गंवार व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है.
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अनपढ़, अज्ञानी 'AAP' नेताओं के बदनाम करने से हरियाणा बदनाम नहीं होगा...
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संवैधानिक पद पर होकर जोकर वाली बात करना इन लोगों को शोभा नहीं देता। pic.twitter.com/TMoZ9txhf4
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'यमुना से हरियाणा को सबसे पहले नुकसान पहुंचा': सीएम मनोहर लाल ने कहा कि, ये कौन सा सिद्धांत है कि हम अपने जिले डुबोएंगे और फिर दिल्ली को डुबोएंगे. उन्होंने कहा कि यमुना से जो नुकसान हुआ है, उससे तो सबसे पहले यमुनानगर ही डूबा. यमुनानगर जिले के दो गांव राज्य सरकार को खाली कराने पड़े. हरियाणा का एरिया यमुना के साथ दिल्ली के मुकाबले ज्यादा लगता है. इसलिए इतनी समझ उन्हें होनी चाहिए कि कम से कम इस प्रकार का बयान देने से पहले, हरियाणा को बदनाम करने से पहले सोचना चाहिए. सीएम ने कहा कि, हरियाणा ऐसे बदनाम नहीं होगा. हरियाणा की अपनी एक पहचान है. हरियाणा किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि सेवा करता है.
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गर्मियों में दिल्ली के पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए हमने अपने हिस्से का पानी भी उनको दिया था...और आज जब आपदा आई तो वो राजनीति करने लगे।
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मैं इतनी घटिया राजनीति नहीं करता और हरियाणा का कोई भी व्यक्ति इतनी छोटी सोच का नहीं है कि खुद को बचाने के लिए दिल्ली को डुबाने की… pic.twitter.com/vxSTZ4KblV
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मैं इतनी घटिया राजनीति नहीं करता और हरियाणा का कोई भी व्यक्ति इतनी छोटी सोच का नहीं है कि खुद को बचाने के लिए दिल्ली को डुबाने की… pic.twitter.com/vxSTZ4KblVगर्मियों में दिल्ली के पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए हमने अपने हिस्से का पानी भी उनको दिया था...और आज जब आपदा आई तो वो राजनीति करने लगे।
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सीएम ने बताया डैम और बैराज का अंतर: सीएम मनोहर लाल ने कहा कि, जब से नहरें और डैम बने हैं, तभी से ही यह नियम है कि हर एक बैराज की एक क्षमता होती है और उस क्षमता से नीचे पानी डाइवर्ट किया जाता है. लेकिन, जब पानी बहुत ज्यादा आ जाता है, तो नहरों का डाइवर्जन रोक दिया जाता है. क्योंकि, ज्यादा फ्लो के कारण पानी सिस्टम को तोड़ देगा. उसको बंद रखा जाएगा, तो सिस्टम सुरक्षित रहेगा. इसके बाद पानी का नेचुरल फ्लो जिस दिशा में है, उस ओर जाएगा. भाखड़ा में भी अगर ओवरफ्लो होता है तो उसका पानी नदियों में जाता है, सतलुज में जाएगा, ना कि भाखड़ा मेन कैनाल में आएगा.
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'दिल्ली की पानी की आवश्यकता पूरी करता है हरियाणा': मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि, दिल्ली के पानी की आवश्यकता को हरियाणा ही पूरा करता है. दिल्ली का शेयर 750 क्यूसेक है और आज भी हरियाणा दिल्ली को 1070 क्यूसेक पानी देता है. 320 क्यूसेक पानी उसके हिस्से से ज्यादा देते हैं. क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पानी पर पहला अधिकार पीने वाले लोगों का होता है, तो दिल्ली की पीने की पानी की आवश्यकता पूरी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जितना अतिरिक्त पानी हरियाणा देगा, उस अतिरिक्त पानी का दिल्ली सरकार भुगतान करेगी. जबकि, दिल्ली सरकार उस 320 क्यूसेक अतिरिक्त पानी का पैसा नहीं देती है. कोई चीज यदि पैसे से दी जा रही है तो उसका पैसा लौटाना ही चाहिए.
'आईटीओ बैराज के रखरखाव पर हरियाणा कभी भी पैसा खर्च नहीं करता': सीएम ने कहा कि, आईटीओ बैराज के रखरखाव पर हरियाणा कभी भी पैसा खर्च नहीं करता. वो पैसा वर्ष 2018 तक इंद्रप्रस्थ पावर प्लांट ने दिया. प्लांट के बंद होने से पैसा आना बंद हो गया. दिल्ली सरकार ने कभी भी यह नहीं कहा कि यहां कोई इस प्रकार की समस्या आ सकती है. इन्होंने कभी भी फ्लड कंट्रोल की बैठक नहीं की और यदि की होगी तो यह कभी नहीं कहा कि इस बैराज की मेंटेनेंस बंद हो गई है. आज जब समस्या आई तो ये उठ खड़े हुए. उन्होंने कहा कि यमुना की मेंटेनेंस ठीक प्रकार से न होने के चलते दिल्ली सरकार 3 लाख क्यूसेक पानी को भी दिल्ली के एरिया से बाहर नहीं निकाल सकी. हरियाणा सरकार ने जांच बैठाई है कि इनके सारे सिस्टम को चेक करो. आईटीओ बैराज के साथ साथ यमुना नदी के अंदर एन्क्रोचमेंट का भी पता लगाने को कहा गया है.
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— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) July 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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'एसवाईएल नहर बनी होती तो पंजाब को कम नुकसान होता': इस दौरान सीएम मनोहर लाल ने कहा कि, यदि आज एसवाईएल नहर बनी हुई होती तो पंजाब को कम नुकसान होता. लेकिन, पंजाब का वर्षा का अतिरिक्त पानी बहकर हरियाणा में जो एसवाईएल बनी हुई है, उसमें आया, जिसके कारण अंबाला और कुरुक्षेत्र जिले के इलाके डूब गए. यह दो जिले केवल अधूरी बनी हुई एसवाईएल के कारण से डूबे, लेकिन हरियाणा ने पंजाब पर आरोप नहीं लगाया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि, कुछ नेता जो आज जोकर की तरह मजाक कर रहे हैं कि आज हमारे पास पानी है, तो आज हमसे पानी क्यों नहीं मांगते. इस समय ऐसे बयान देना सही नहीं है. संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति को कभी भी हल्का मजाक नहीं करना चाहिए. इन 3 माह के दौरान पानी की डिमांड कोई नहीं करता, सब अपने-अपने राज्य में पानी संभाल लें यही बहुत है. पानी तो बाकी 9 माह के लिए डिमांड की जाती है, जब आवश्यकता होती है, तब सबको अपना हिस्सा चाहिए.