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कभी रामपुरा हाउस से चलती थी प्रदेश की सत्ता, आज फीकी पड़ी सियासी चमक!

रामपुरा हाउस की कहानी राव बिरेंद्र सिंह से जुड़ी है. या यू कहें की राव बिरेंद्र सिंह की वजह से ही आज रामपुरा हाउस जाना जाता है, लेकिन अब यही रामपुरा हाउस अपनी पहचान खोता जा रहा है.

कभी रामपुरा हाउस से चलती थी प्रदेश की सत्ता, आज फिकी पड़ी सियासी चमक!
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Published : Oct 17, 2019, 7:37 AM IST

Updated : Oct 17, 2019, 11:59 AM IST

रेवाड़ी: हरियाणा की राजनीति में ‘रामपुरा हाउस’ किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अहीरवालों की सियायत इसी रामपुरा हाउस के इर्द- गिर्द घूमती रही है, लेकिन अब यही रामपुरा हाउस तीन धराओं में बट चुका है. राव बिरेंद्र सिंह के बड़े बेटे और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं, मंझले बेटे राव अजीत सिंह और तीसरे बेटे राव यदुवेंद्र कांग्रेस का हिस्सा हैं.

फिकी पड़ी रामपुरा हाउस की चमक!

रामपुरा हाउस की कहानी राव बिरेंद्र सिंह से जुड़ी है. या यू कहें की राव बिरेंद्र सिंह की वजह से ही आज रामपुरा हाउस जाना जाता है. बता दें कि प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह रेवाड़ी से थे. राव बिरेंद्र सिंह ने 1967 में प्रदेश की बागडोर संभाली. इसके अलावा वो संयुक्त पंजाब में एमएलसी और मंत्री, साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. राव बिरेंद्र सिंह को अहीरवालों का राजा भी कहा जाता है. साख ऐसी थी कि चाहे प्रदेश में किसी की भी सरकार हो, या राव बिरेंद्र सिंह किसी भी पार्टी से क्यों ना चुनाव लड़ रहे हैं. अहीरवालों के वोट उन्हें ही मिलते थे.

क्लिक कर देखिए रिपोर्ट

तीन धराओं में बंटी राव बिरेंद्र की विरासत

रामपुरा हाउस पूर्व मुख्यमंत्री और अहीरवाल की राजनीति के पुरोधा रहे स्व. राव बिरेंद्र सिंह की राजनीति का केंद्र बिंदु था. हालांकि अब रामपुरा हाउस की तर्ज पर उनके बड़े बेटे और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी रामपुरा में ही इस हाउस से कुछ आगे एक नया हाउस बना चुके हैं. उनके छोटे बेटे राव यादुवेंद्र सिंह भी रामपुरा हाउस के पास एक दूसरे घर में रह रहे हैं, लेकिन रोचक बात कि राव बिरेंद्र सिंह के बाद ना सिर्फ उनके बेटे अलग-अलग घर में जाकर रहने लगे, बल्कि तीनों बेटे अलग-अलग दल से जुड़ गए.

राव इंद्रजीत सिंह
राव बिरेंद्र सिंह के बड़े बेटे राव इंद्रजीत सिंह वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं. ये पहले भी केंद्र और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बता दें कि राव इंद्रजीत भी पहले कांग्रेस में थे, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेद और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा के चलते उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. अब वो बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं और फिलहाल अपने करीबी रेवाड़ी से उम्मीदवाप सुनील मूसेपुर के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. फिलहाल वो राव बिरेंद्र सिंह के जनाधार पर कब्जा बनाए हुए हैं, लेकिन अहीरवाल कुनबा एक करने की चुनौती आज भी उनके सामने है.

राव अजीत सिंह
राव इंद्रजीत से छोटे हैं राव अजीत सिंह, जो फिलहाल राजनीति में उतने सक्रिय नहीं है, लेकिन वो इनेलो और कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं. इसके अलावा राव अजीत सिंह आए दिन अपने बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह पर सियासी वार करते नजर आते रहते हैं. फिलहाल उनके बटे राव अर्जुन सिंह कांग्रेस की टिकट पर अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़िए: क्या आपका नाम वोटर लिस्ट में है? ऑनलाइन ऐसे चेक करें ताकि कर सकें अपने मताधिकार का प्रयोग

राव यदुवेंद्र

वही राव बिरेंद्र सिंह के सबसे छोटे बेटे यदुवेंद्र सिंह हैं. जो चौथी बार कोसली विधानसभा सीट से कांग्रेस की ही टिकट पर किस्मत अजमा रहे हैं. यदुवेंद्र हुड्डा सरकार में दो बार कोसली से विधायक भी रह चुके हैं. वो कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौराम अपने बड़े भाई के खिलाफ जहर उगल चुके हैं. साथ ही वो कई बार ये भी दावा कर चुके हैं कि रामपुरा हाउस के असली दावेदार वो है. यानी की राव बिरेंद्र सिंह के बाद उनकी विरासत का असली हकदार कौन है इसके लिए तीनों भाईयों में कोल्ड वॉर जारी है. इसके साथ ही बिरेंद्र सिंह के बेटों के अलग-अगल हो जाने से रामपुरा हाउस भी अपनी पहचान खोता जा रहा है.

रेवाड़ी: हरियाणा की राजनीति में ‘रामपुरा हाउस’ किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अहीरवालों की सियायत इसी रामपुरा हाउस के इर्द- गिर्द घूमती रही है, लेकिन अब यही रामपुरा हाउस तीन धराओं में बट चुका है. राव बिरेंद्र सिंह के बड़े बेटे और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं, मंझले बेटे राव अजीत सिंह और तीसरे बेटे राव यदुवेंद्र कांग्रेस का हिस्सा हैं.

फिकी पड़ी रामपुरा हाउस की चमक!

रामपुरा हाउस की कहानी राव बिरेंद्र सिंह से जुड़ी है. या यू कहें की राव बिरेंद्र सिंह की वजह से ही आज रामपुरा हाउस जाना जाता है. बता दें कि प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह रेवाड़ी से थे. राव बिरेंद्र सिंह ने 1967 में प्रदेश की बागडोर संभाली. इसके अलावा वो संयुक्त पंजाब में एमएलसी और मंत्री, साथ ही केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. राव बिरेंद्र सिंह को अहीरवालों का राजा भी कहा जाता है. साख ऐसी थी कि चाहे प्रदेश में किसी की भी सरकार हो, या राव बिरेंद्र सिंह किसी भी पार्टी से क्यों ना चुनाव लड़ रहे हैं. अहीरवालों के वोट उन्हें ही मिलते थे.

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तीन धराओं में बंटी राव बिरेंद्र की विरासत

रामपुरा हाउस पूर्व मुख्यमंत्री और अहीरवाल की राजनीति के पुरोधा रहे स्व. राव बिरेंद्र सिंह की राजनीति का केंद्र बिंदु था. हालांकि अब रामपुरा हाउस की तर्ज पर उनके बड़े बेटे और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी रामपुरा में ही इस हाउस से कुछ आगे एक नया हाउस बना चुके हैं. उनके छोटे बेटे राव यादुवेंद्र सिंह भी रामपुरा हाउस के पास एक दूसरे घर में रह रहे हैं, लेकिन रोचक बात कि राव बिरेंद्र सिंह के बाद ना सिर्फ उनके बेटे अलग-अलग घर में जाकर रहने लगे, बल्कि तीनों बेटे अलग-अलग दल से जुड़ गए.

राव इंद्रजीत सिंह
राव बिरेंद्र सिंह के बड़े बेटे राव इंद्रजीत सिंह वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं. ये पहले भी केंद्र और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बता दें कि राव इंद्रजीत भी पहले कांग्रेस में थे, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेद और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा के चलते उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. अब वो बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं और फिलहाल अपने करीबी रेवाड़ी से उम्मीदवाप सुनील मूसेपुर के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. फिलहाल वो राव बिरेंद्र सिंह के जनाधार पर कब्जा बनाए हुए हैं, लेकिन अहीरवाल कुनबा एक करने की चुनौती आज भी उनके सामने है.

राव अजीत सिंह
राव इंद्रजीत से छोटे हैं राव अजीत सिंह, जो फिलहाल राजनीति में उतने सक्रिय नहीं है, लेकिन वो इनेलो और कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं. इसके अलावा राव अजीत सिंह आए दिन अपने बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह पर सियासी वार करते नजर आते रहते हैं. फिलहाल उनके बटे राव अर्जुन सिंह कांग्रेस की टिकट पर अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़िए: क्या आपका नाम वोटर लिस्ट में है? ऑनलाइन ऐसे चेक करें ताकि कर सकें अपने मताधिकार का प्रयोग

राव यदुवेंद्र

वही राव बिरेंद्र सिंह के सबसे छोटे बेटे यदुवेंद्र सिंह हैं. जो चौथी बार कोसली विधानसभा सीट से कांग्रेस की ही टिकट पर किस्मत अजमा रहे हैं. यदुवेंद्र हुड्डा सरकार में दो बार कोसली से विधायक भी रह चुके हैं. वो कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौराम अपने बड़े भाई के खिलाफ जहर उगल चुके हैं. साथ ही वो कई बार ये भी दावा कर चुके हैं कि रामपुरा हाउस के असली दावेदार वो है. यानी की राव बिरेंद्र सिंह के बाद उनकी विरासत का असली हकदार कौन है इसके लिए तीनों भाईयों में कोल्ड वॉर जारी है. इसके साथ ही बिरेंद्र सिंह के बेटों के अलग-अगल हो जाने से रामपुरा हाउस भी अपनी पहचान खोता जा रहा है.

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Last Updated : Oct 17, 2019, 11:59 AM IST
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