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सरकार किसानों से बातचीत का कर रही है ड्रामा: दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये आंदोलन जरूर सफल होगा, क्योंकि इस आंदोलन का नेतृत्व किसान संगठन कर रहे हैं और इसका नायक भी किसान है.

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सरकार किसानों से बातचीत का कर रही है ड्रामा: दीपेंद्र हुड्डा
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Published : Jan 16, 2021, 8:25 PM IST

रेवाड़ी: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई दिनों से दिल्ली-जयपुर हाइवे स्थित राजस्थानी जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के बीच शनिवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा पहुंचे.

किसानों को आर्थिक सहायता का वादा

यहां उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर आंदोलन में दिवंगत हुए किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाएगा और प्रत्येक शहीद के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. दीपेंद्र ने कहा कि खट्टर सरकार ने किसानों से टक्कर ली है, इसके परिणाम उसे भुगतने पड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि इस सरकार इस सरकार के पास इतनी बड़ी जेल नहीं है जो किसानों को कैद कर सके. दीपेंद्र ने सरकार से हठधर्मिता छोड़ तीनों कानूनों को वापिस लेकर गतिरोध समाप्त करने की पुरजोर अपील की है.

दीपेंद्र की बीजेपी से अपील

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज लाखों किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर डेरा डाले हुए हैं. किसान भीषण ठंड में तपस्या कर रहा है, उनकी ये तपस्या व्यर्थ नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार से बातचीत के कई दौर के बाद भी स्थिति जस की तस है. उन्होंने सरकार से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा कि वो किसान के नाम पर नहीं तो कम से कम इंसानियत के नाम पर फैसला लें.

दीपेंद्र ने कहा कि प्रजा के साथ कभी हार-जीत नहीं होती, इसी प्रजा ने उन्हें कुर्सी पर पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में ऐसा अनुशासित और शांतिप्रिय आंदोलन नहीं देखा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रवेश करने के लिए सभी बॉर्डरों पर लाखों किसान एकत्रित हैं. एक तरफ किसान आंदोलन कर रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार किसानों की बात मानने को तैयार नहीं है.

ये भी पढ़ें: जब अविश्वास प्रस्ताव आएगा तो कई चेहरे होंगे बेनकाब: भूपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये आंदोलन जरूर सफल होगा, क्योंकि इस आंदोलन का नेतृत्व किसान संगठन कर रहे हैं और इसका नायक भी किसान है. हाइवे बंद होने से यातायात ठप होने का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए किसान नहीं, सरकार जिम्मेदार है. किसान बॉर्डर पर बैठने के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली जाने के लिए निकला था.

रेवाड़ी: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई दिनों से दिल्ली-जयपुर हाइवे स्थित राजस्थानी जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के बीच शनिवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा पहुंचे.

किसानों को आर्थिक सहायता का वादा

यहां उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर आंदोलन में दिवंगत हुए किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाएगा और प्रत्येक शहीद के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. दीपेंद्र ने कहा कि खट्टर सरकार ने किसानों से टक्कर ली है, इसके परिणाम उसे भुगतने पड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि इस सरकार इस सरकार के पास इतनी बड़ी जेल नहीं है जो किसानों को कैद कर सके. दीपेंद्र ने सरकार से हठधर्मिता छोड़ तीनों कानूनों को वापिस लेकर गतिरोध समाप्त करने की पुरजोर अपील की है.

दीपेंद्र की बीजेपी से अपील

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज लाखों किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर डेरा डाले हुए हैं. किसान भीषण ठंड में तपस्या कर रहा है, उनकी ये तपस्या व्यर्थ नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार से बातचीत के कई दौर के बाद भी स्थिति जस की तस है. उन्होंने सरकार से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कहा कि वो किसान के नाम पर नहीं तो कम से कम इंसानियत के नाम पर फैसला लें.

दीपेंद्र ने कहा कि प्रजा के साथ कभी हार-जीत नहीं होती, इसी प्रजा ने उन्हें कुर्सी पर पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में ऐसा अनुशासित और शांतिप्रिय आंदोलन नहीं देखा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रवेश करने के लिए सभी बॉर्डरों पर लाखों किसान एकत्रित हैं. एक तरफ किसान आंदोलन कर रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार किसानों की बात मानने को तैयार नहीं है.

ये भी पढ़ें: जब अविश्वास प्रस्ताव आएगा तो कई चेहरे होंगे बेनकाब: भूपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये आंदोलन जरूर सफल होगा, क्योंकि इस आंदोलन का नेतृत्व किसान संगठन कर रहे हैं और इसका नायक भी किसान है. हाइवे बंद होने से यातायात ठप होने का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए किसान नहीं, सरकार जिम्मेदार है. किसान बॉर्डर पर बैठने के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली जाने के लिए निकला था.

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