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रेवाड़ीः शादी से एक दिन पहले 30 लाख और गाड़ी की डिमांड ने कैलाश तंवर की जान ले ली - रेवाड़ी न्यूज

रेवाड़ी के कैलाश तंवर ने अलवर में अपनी बहन के घर जाकर आत्महत्या कर ली थी क्योंकि वो अपनी बेटी को दहेज देने में सक्षम नहीं थे. दरअसल लड़के वालों ने उनसे 30 लाख रुपये और एक गाड़ी की लगन से एक दिन पहले डिमांड रखी थी.

Girl's father commits suicide due to not giving dowry Rewari
Girl's father commits suicide due to not giving dowry Rewari
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Published : Nov 25, 2020, 10:35 PM IST

रेवाड़ीः 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आंकड़ा पेश किया था जिसके मुताबिक 2012 से 2014 के बीच में दहेज के लिए 25 हजार महिलाओं की या तो हत्या कर दी गई या उन्होंने आत्महत्या कर ली. देश की आजादी से पहले ही महात्मा गांधी ने इस विकराल कुरीति को पहचान लिया था और कहा था कि जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की ज़रूरी शर्त बना देता है वो अपनी शिक्षा, और अपने देश को बदनाम करता है और साथ ही पूरी महिला जाति का अपमान भी करता है. लेकिन विडंबना देखिए दहेज के रूप में लिए जाने वाले नोट पर आज उन्हीं गांधी जी का फोटो होता है. दहेज के इसी लालच ने रेवाड़ी के रहने वाले कैलाश तंवर की जान ले ली. जिनकी बेटी की शादी के कार्ड भी छप गए थे. और वो बेटी अब विदाई की जगह अपने पिता की मौत पर आंसू बहा रही है.

रेवाड़ीः शादी से एक दिन पहले 30 लाख और गाड़ी की डिमांड ने कैलाश तंवर की जान ले ली

पूरा मामला समझिए

दरअसल रेवाड़ी के गांव पालड़ा के कैलाश तंवर की बेटी रवीना की शादी गुरुग्राम के गांव कासन में रहने वाले सुनील कुमार के बेटे रवि के साथ तय हुई थी. ये रिश्ता कैलाश की बहन ने करवाया था जिसकी शादी अलवर में हुई थी. कैलाश अपनी बेटी की शादी से काफी खुश थे और तैयारियों में लगे थे. तभी लगन से ठीक एक दिन पहले लड़के वालों ने कैलाश को बुलाया और 30 लाख रुपये के साथ-साथ एक गाड़ी की डिमांड रख दी. और धमकी दी कि अगर मांग पूरी ना कर सको तो हमारी चौखट पर गवन लेकर ना आना. लाचार पिता ने मन्नतें कीं. अपनी इज्जत की दुहाई दी, बेटी का वास्ता भी दिया लेकिन सुनील कुमार और उसके परिवार पर रत्ती भर असर नहीं हुआ. वो दहेज की अपनी मांग पर अड़े रहे. लिहाजा कैलाश अलवर अपनी बहन के घर पहुंचे और मजबूर होकर आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपनी बेटी की शादी के कार्ड पर लिखकर एक सुसाइड नोट भी छोड़ा जिसमें लिखा कि इस समाज में मैं नहीं रहना चाहता सुनील कुमार और उसका परिवार ही मेरी मौत के जिम्मेदार हैं. कैलाश तंवर का एक बेटा भी है जिसकी शादी रवीना के कुछ दिन बाद ही होनी थी वो भी अब दहेज लोभियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है.

बेटे ने क्या कहा ?

कैलाश तंवर के बेटे गौरव का कहना है कि दहेज के लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि किसी और के साथ ऐसा ना हो सके, क्योंकि सिर्फ दहेज के लिए हमारा पूरा परिवार खुशी के दिन इतना दुखी हो गया.

बेटी ने क्या कहा ?

कैलाश तंवर की बेटी रवीना ने कहा है कि उन्होंने मेरे पापा के सामने एकदम से एक डिमांड रख दी, मेरे भाई और माम ने अपनी पगड़ी भी रखी लेकिन वो नहीं माने और मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली. इन दहेज के लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. ताकि हमारे जैसा किसी और के साथ ना हो.

ये भी पढ़ेंः दर्दनाक: दहेज की मांग पूरी नहीं कर सका...सुसाइड नोट में लिख पिता ने दी जान, आज जाना था बेटी का लगन

राजस्थान के अलवर में दर्ज हुआ है केस

पुलिस ने अलवर में केस दर्ज किया है क्योंकि कैलाश ने वहीं अपनी बहन के घर आत्महत्या की थी. जरा सोचिए कैलाश का पूरा परिवार एक ऐसे अपराध की वजह से बिखर गया जिसके लिए 1961 में हमारे देश में कानून बन गया था. लेकिन दहेज का वो दस्तूर आज तक बदस्तूर चला आ रहा है. जिसे छोटे से लेकर बड़े तक, अमीर से लेकर गरीब तक, सब अपनी-अपनी हैसियत से खुशी-खुशी लेते और देते हैं. क्योंकि इस पर हमारा समाज आपकी औकात नापता है, जिस पर राजनीति की मौन सहमति है और प्रशासन की सुस्ती जो एक कदम भी आगे बढ़ाने नहीं देती.

रेवाड़ीः 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक आंकड़ा पेश किया था जिसके मुताबिक 2012 से 2014 के बीच में दहेज के लिए 25 हजार महिलाओं की या तो हत्या कर दी गई या उन्होंने आत्महत्या कर ली. देश की आजादी से पहले ही महात्मा गांधी ने इस विकराल कुरीति को पहचान लिया था और कहा था कि जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की ज़रूरी शर्त बना देता है वो अपनी शिक्षा, और अपने देश को बदनाम करता है और साथ ही पूरी महिला जाति का अपमान भी करता है. लेकिन विडंबना देखिए दहेज के रूप में लिए जाने वाले नोट पर आज उन्हीं गांधी जी का फोटो होता है. दहेज के इसी लालच ने रेवाड़ी के रहने वाले कैलाश तंवर की जान ले ली. जिनकी बेटी की शादी के कार्ड भी छप गए थे. और वो बेटी अब विदाई की जगह अपने पिता की मौत पर आंसू बहा रही है.

रेवाड़ीः शादी से एक दिन पहले 30 लाख और गाड़ी की डिमांड ने कैलाश तंवर की जान ले ली

पूरा मामला समझिए

दरअसल रेवाड़ी के गांव पालड़ा के कैलाश तंवर की बेटी रवीना की शादी गुरुग्राम के गांव कासन में रहने वाले सुनील कुमार के बेटे रवि के साथ तय हुई थी. ये रिश्ता कैलाश की बहन ने करवाया था जिसकी शादी अलवर में हुई थी. कैलाश अपनी बेटी की शादी से काफी खुश थे और तैयारियों में लगे थे. तभी लगन से ठीक एक दिन पहले लड़के वालों ने कैलाश को बुलाया और 30 लाख रुपये के साथ-साथ एक गाड़ी की डिमांड रख दी. और धमकी दी कि अगर मांग पूरी ना कर सको तो हमारी चौखट पर गवन लेकर ना आना. लाचार पिता ने मन्नतें कीं. अपनी इज्जत की दुहाई दी, बेटी का वास्ता भी दिया लेकिन सुनील कुमार और उसके परिवार पर रत्ती भर असर नहीं हुआ. वो दहेज की अपनी मांग पर अड़े रहे. लिहाजा कैलाश अलवर अपनी बहन के घर पहुंचे और मजबूर होकर आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपनी बेटी की शादी के कार्ड पर लिखकर एक सुसाइड नोट भी छोड़ा जिसमें लिखा कि इस समाज में मैं नहीं रहना चाहता सुनील कुमार और उसका परिवार ही मेरी मौत के जिम्मेदार हैं. कैलाश तंवर का एक बेटा भी है जिसकी शादी रवीना के कुछ दिन बाद ही होनी थी वो भी अब दहेज लोभियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है.

बेटे ने क्या कहा ?

कैलाश तंवर के बेटे गौरव का कहना है कि दहेज के लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि किसी और के साथ ऐसा ना हो सके, क्योंकि सिर्फ दहेज के लिए हमारा पूरा परिवार खुशी के दिन इतना दुखी हो गया.

बेटी ने क्या कहा ?

कैलाश तंवर की बेटी रवीना ने कहा है कि उन्होंने मेरे पापा के सामने एकदम से एक डिमांड रख दी, मेरे भाई और माम ने अपनी पगड़ी भी रखी लेकिन वो नहीं माने और मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली. इन दहेज के लोभियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. ताकि हमारे जैसा किसी और के साथ ना हो.

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राजस्थान के अलवर में दर्ज हुआ है केस

पुलिस ने अलवर में केस दर्ज किया है क्योंकि कैलाश ने वहीं अपनी बहन के घर आत्महत्या की थी. जरा सोचिए कैलाश का पूरा परिवार एक ऐसे अपराध की वजह से बिखर गया जिसके लिए 1961 में हमारे देश में कानून बन गया था. लेकिन दहेज का वो दस्तूर आज तक बदस्तूर चला आ रहा है. जिसे छोटे से लेकर बड़े तक, अमीर से लेकर गरीब तक, सब अपनी-अपनी हैसियत से खुशी-खुशी लेते और देते हैं. क्योंकि इस पर हमारा समाज आपकी औकात नापता है, जिस पर राजनीति की मौन सहमति है और प्रशासन की सुस्ती जो एक कदम भी आगे बढ़ाने नहीं देती.

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