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'नेता जी' के साथ आजादी की लड़ाई लड़ चुके हैं हरियाणा के मंगल सेन, 99 की उम्र में भी सेना में जाने को तैयार - हरियाणा

15 अगस्त को देश की आजादी की 73वीं वर्षगांठ मनाई जाएगा. इस खास पेशकश में हम आपको मिलवा रहें उन वीर सपूतों से जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. वो आजादी के 'परवाने' जो आज भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जज़्बा रखते हैं.

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Published : Aug 9, 2019, 3:16 PM IST

Updated : Aug 9, 2019, 3:50 PM IST

रेवाड़ी: गांव कोसली के रहने वाले 99 साल के स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह उन वीर सपूतों में से हैं, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना में शामिल होकर अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.

5 जनवरी 1921 को मंगल सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद मंगल सिंह 8 अगस्त 1940 को आईएनए में भर्ती हुए थे. आजाद हिंद सेना की सेवाओं के दौरान मंगल सिंह को जनरल मोहन सिंह, बाबू रास बिहारी बोस, जरनल शाहनवाज़ खां, जरनल सहगल, ब्रिगेडियर ढिल्लों और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में रहना अवसर मिला.

99 साल के स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह की कहनी (क्लिक कर देखें वीडियो)

1945 में आत्मसमर्पण के बाद उन्हें कई कैम्पों और जेलों से गुजरना पड़ा. जिसमें मानसिक उत्पीड़न और भारी यातनाएं भी झेलनी पड़ी. इसके उपरांत भी ब्रिटिश शासन का शत्रु घोषित कर भारतीय सेना की सूची से मंगल सिंह का नाम खारिज कर खाली हाथ घर भेज दिया गया था. मंगल सिंह के दो बेटे धर्मवीर तथा उमेद सिंह और दो बेटियां इंदिरा देवी तथा लीलावती हैं. इनकी पत्नी श्रीमती शांति देवी एक कर्तव्य परायण महिला हैं जो हमेशा मंगल सिंह के कामों में हाथ बंटाती रही हैं.

मंगल सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें पेंशन और दो लोगों के लिए रेलवे का एसी पास मिलता है, 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद भी किया जाता है. लेकिन सरकार से उनकी मांग है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकार को कुछ और भी करना चाहिए. आज 99 साल की उम्र में भी स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह देश सेवा के लिए तैयार हैं. मंगल सिंह के खून में वहीं जोश बरकरार है जो 1940 में था. आज भी वो देश सेवा करना चाहते हैं.

जी हां कुछ ऐसे ही मां भारती के ये वीर सपूत. आजादी के परवानें कार्यक्रम की अगली कड़ी में हम आपको फिर देश के एक और वीर सपूत से मिलवाएंगे.

रेवाड़ी: गांव कोसली के रहने वाले 99 साल के स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह उन वीर सपूतों में से हैं, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सेना में शामिल होकर अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.

5 जनवरी 1921 को मंगल सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था. स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद मंगल सिंह 8 अगस्त 1940 को आईएनए में भर्ती हुए थे. आजाद हिंद सेना की सेवाओं के दौरान मंगल सिंह को जनरल मोहन सिंह, बाबू रास बिहारी बोस, जरनल शाहनवाज़ खां, जरनल सहगल, ब्रिगेडियर ढिल्लों और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में रहना अवसर मिला.

99 साल के स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह की कहनी (क्लिक कर देखें वीडियो)

1945 में आत्मसमर्पण के बाद उन्हें कई कैम्पों और जेलों से गुजरना पड़ा. जिसमें मानसिक उत्पीड़न और भारी यातनाएं भी झेलनी पड़ी. इसके उपरांत भी ब्रिटिश शासन का शत्रु घोषित कर भारतीय सेना की सूची से मंगल सिंह का नाम खारिज कर खाली हाथ घर भेज दिया गया था. मंगल सिंह के दो बेटे धर्मवीर तथा उमेद सिंह और दो बेटियां इंदिरा देवी तथा लीलावती हैं. इनकी पत्नी श्रीमती शांति देवी एक कर्तव्य परायण महिला हैं जो हमेशा मंगल सिंह के कामों में हाथ बंटाती रही हैं.

मंगल सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें पेंशन और दो लोगों के लिए रेलवे का एसी पास मिलता है, 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद भी किया जाता है. लेकिन सरकार से उनकी मांग है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकार को कुछ और भी करना चाहिए. आज 99 साल की उम्र में भी स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह देश सेवा के लिए तैयार हैं. मंगल सिंह के खून में वहीं जोश बरकरार है जो 1940 में था. आज भी वो देश सेवा करना चाहते हैं.

जी हां कुछ ऐसे ही मां भारती के ये वीर सपूत. आजादी के परवानें कार्यक्रम की अगली कड़ी में हम आपको फिर देश के एक और वीर सपूत से मिलवाएंगे.

Intro:रेवाड़ी, 8 अगस्त।
आज भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का जज़्बा रखते है स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह।


Body:स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह ग्राम कोसली के उन वीर सपूतों में से हैं, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा पुनर्गठन आजाद हिंद सेना में शामिल होकर साम्राज्यवादी ब्रिटिश सेनाओं के विरुद्ध में भाग लिया और जब तक संकल्प पुरा ना हो गया 15 अगस्त 1947 तक घर चैन से नहीं बैठे।
मंगल सिंह के पूज्य पिता छाजूराम आदरणीय माता श्रीमती श्याम कौर सरल हृदय किसान थे। उनकी कोख़ से कोसली के मोहल्ला सदर गली में दिनांक 5 जनवरी 1921 को मंगल सिंह का जन्म हुआ। लोवर मिडिल तक शिक्षा ग्रहण कर 8 अगस्त 1940 में INA इंडियन नैशनल आर्मी में भर्ती हुए।
10 मई 1943 को आजाद हिंद सेना की सर्वोच्च मुख्यालय की यूनिट संख्या 2 में शामिल हो गए। आजाद हिंद सेना की सेवाओं के दौरान मंगल सिंह को जरनल मोहन सिंह, बाबू रास बिहारी बोस, जरनल शाहनवाज़ खां, जरनल सहगल, ब्रिगेडियर ढिल्लो तथा नेता सुभाष चंद्र बोस के संपर्क में रहना अवसर मिला।
1945 में आत्मसमर्पण के बाद कई कैम्पों तथा जेलों से गुजरना पड़ा। जिसमें मानसिक उत्पीड़न का भारी दुख झेलना पड़ा। इसके उपरांत भी ब्रिटिश शासन का शत्रु घोषित कर भारतीय सेना की सूची से मंगल सिंह का नाम खारिज कर खाली हाथ घर भेज दिया।
मंगल सिंह के दो बेटे धर्मवीर तथा उमेद सिंह व दो बेटियों इंदिरा देवी तथा लीलावती हैं। इन की वीर पत्नी श्रीमती शांति देवी एक कर्तव्य परायण महिला है जो हमेशा मंगल सिंह के कामों में हाथ बटाती रहती है।
आज़ादी के बाद उनकी भर्ती फ़िर से हुई क्योंकि वह पूरी तरह सेवा में भर्ती होने के लिए योग्य थे। मंगल सिंह को ट्रेंगिंग के लिए रावलपिंडी भेजा गया। ट्रेनिंग के उपरांत उनकी पोस्टिंग हैदराबाद कर दी गई थी। अब मंगल सिंह अपने परिवार के साथ रहते है। मंगल सिंह का कहना है की सरकार को और से उन्हें पेंशन व दो लोगों के लिए रेलवे से AC पास मिलता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद भी किया जाता है। लेकिन सरकार से उनकी मांग है कि उनके बाद उनकी प
पेंशन उनके बच्चों को मिले ताकि उन्हें याद रहे कि उनका दादा स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए।
आज 99 वर्ष बाद भी स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह देश सेवा के लिए तैयार है।
one to one
स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह से ख़ास बातचीत करते हुए etv भारत के संवाददाता महेंद्र भारती....



Conclusion:99 में कई उम्र में भी मंगल सिंह के ख़ून में वहीं जोश बरकरार है जो 1940 में था। आज भी वो देश सेवा करना चाहते है।
Last Updated : Aug 9, 2019, 3:50 PM IST
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