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रेवाड़ी में गरीब छात्राओं के हक से खिलवाड़, नहीं बांटी गई 551 साइकिलें - स्कूल में पड़ी 551 साइकिलें नाहड़ खण्ड

2016 में नाहड़ खण्ड की स्कूली छात्राओं के लिए 551 साइकिलें भेजी गई थी. ये साइकिलें उन छात्राओं के लिए भेजी गई थी. जिनका स्कूल 2 किलोमीटर या फिर उससे ज्यादा दूर था. 3 साल बीत जाने के बाद ही साइकिलों का वितरण नहीं किया गया.

रेवाड़ी में गरीब छात्राओं के हक से खिलवाड़
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Published : Nov 18, 2019, 10:49 PM IST

रेवाड़ी: सरकार लोगों की सुविधाओं के लिए योजनाओं को शुरू तो कर देती है, लेकिन सरकारी कर्मचारी ही उन योजनाओं को पलीता लगाने का काम करते हैं. ऐसा ही उदाहरण रेवाड़ी में देखने को मिला, जहां स्कूल आने वाली गरीब छात्राओं के लिए सरकार की ओर से 551 साइकिलें तो भेजी गई, लेकिन आजतक उन साइकिलों को छात्रों को ही नहीं सौंपा गया है.

रेवाड़ी के स्कूल में जंग खा रही 511 साइकिलें
साल 2016 में नाहड़ खण्ड की स्कूली छात्राओं के लिए 551 साइकिलें भेजी गई थी. ये साइकिलें उन छात्राओं के लिए भेजी गई थी. जिनका स्कूल 2 किलोमीटर या फिर उससे ज्यादा दूर था. 3 साल बीत जाने के बाद ही 17 लाख की 511 साइकिलों का वितरण नहीं किया गया. आलम ये है कि स्कूल के चार कमरों में साइकिलों को बंद कर रख दिया गया.

क्लिक कर देखें वीडियो

4 साल बाद भी नहीं बांटी गई साइकिलें
4 साल बाद ये साइकिलें पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं. जंग लग चुका है, टायर फट चुके हैं. अगर अब इन साइकिलों को ठीक कराया गया तो हर साइकिल पर 11 सौ रूपये का खर्चा आएगा. वहीं जब इस बारे में स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि साइकिलें काफी वक्त से स्कूल में पड़ी हैं. सभी साइकिलें खंड शिक्षा अधिकारी के जरिए स्कूल में आई हैं और स्कूल का इन साइकिलों से कोई लेना-देना नहीं है.

ये भी पढ़िए: हरियाणा कैबिनेट की पहली बैठक खत्म, 26 नवंबर को होगा विधानसभा का विशेष अधिवेशन

अधिकारी ने दिया जांच का आश्वासन

वहीं खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र शर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने दो महीने पहले ही कार्यभार संभाला है. मामला संज्ञान में आ चुका है. वो जल्द जांच के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

रेवाड़ी: सरकार लोगों की सुविधाओं के लिए योजनाओं को शुरू तो कर देती है, लेकिन सरकारी कर्मचारी ही उन योजनाओं को पलीता लगाने का काम करते हैं. ऐसा ही उदाहरण रेवाड़ी में देखने को मिला, जहां स्कूल आने वाली गरीब छात्राओं के लिए सरकार की ओर से 551 साइकिलें तो भेजी गई, लेकिन आजतक उन साइकिलों को छात्रों को ही नहीं सौंपा गया है.

रेवाड़ी के स्कूल में जंग खा रही 511 साइकिलें
साल 2016 में नाहड़ खण्ड की स्कूली छात्राओं के लिए 551 साइकिलें भेजी गई थी. ये साइकिलें उन छात्राओं के लिए भेजी गई थी. जिनका स्कूल 2 किलोमीटर या फिर उससे ज्यादा दूर था. 3 साल बीत जाने के बाद ही 17 लाख की 511 साइकिलों का वितरण नहीं किया गया. आलम ये है कि स्कूल के चार कमरों में साइकिलों को बंद कर रख दिया गया.

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4 साल बाद भी नहीं बांटी गई साइकिलें
4 साल बाद ये साइकिलें पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं. जंग लग चुका है, टायर फट चुके हैं. अगर अब इन साइकिलों को ठीक कराया गया तो हर साइकिल पर 11 सौ रूपये का खर्चा आएगा. वहीं जब इस बारे में स्कूल के प्रधानाचार्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि साइकिलें काफी वक्त से स्कूल में पड़ी हैं. सभी साइकिलें खंड शिक्षा अधिकारी के जरिए स्कूल में आई हैं और स्कूल का इन साइकिलों से कोई लेना-देना नहीं है.

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अधिकारी ने दिया जांच का आश्वासन

वहीं खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र शर्मा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने दो महीने पहले ही कार्यभार संभाला है. मामला संज्ञान में आ चुका है. वो जल्द जांच के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.

Intro:सुविधा या दुविधा.....
बच्चों के हकों से खिलवाड़...
नही बांटी ग़रीब छात्रों के लिए ख़रीदी गई 17 लाख की लागत वाली 551 साइकिलें...
तीन वर्ष तक धूल फांकने के बाद अब कबाड़ हो गई नौनिहालों उम्मीदें...
रेवाड़ी, 18 नवंबर।Body:अब इसे सुविधा कहे या दुविधा सरकार की तरफ से 2 किमी की दूरी से स्कूल आने वाली छात्राओ की सुविधा के लिए साइकिले भेजी गई थी। जिससे छात्रायें बिना किसी परेशानी के समय पर स्कूल पहुँच सके, परन्तु अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो नाहड़ ब्लाक के लिए 2016 में आई स्कूली छात्राओं के लिए साईकिल बंद कमरों में धूल फांक रही है। नाहड़ खण्ड में 2016 में उन स्कूली छात्राओं के लिए 511 साईकिलें वितरण के लिए आई थी। लेकिन विभाग कि लापरवाही के कारण उक्त साईकिलें ना तो वितरित हुई और ना ही वापिस भेजी गई जो लगभग साढे तीन साल से कमरों में बंद जगं खा कर कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं। समबन्धित विभाग इन्हे वितरण करने से इस लिए कतरा रहा है कि लंबे समय तक खड़ी रहने के कारण जहां जग खा रही है वहीं टायर ओर टयूब भी खत्म हो गए है। इसके लिए अब विभाग ने रिपेयर करवाने के लिए हैड आफिस को चिटठी लिखी है, जिसमें प्रत्येक साईकिल पर 11 सौ रूपए खर्च होना बताया गया है। वही आज भी अकेले नाहड़ स्कूल से लगभग सौ छात्राएं भंडग़ी, कोहारड़ मुमताजपुर गावों से पैदल दो से तीन किलोमिटर चल कर स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने पहुंच रही है।
विभाग के खण्ड कार्यालय से जानकारी में बताया कि 2016 में विभाग ने यह साईकिलें 20 इंची, 31 सौ ओर 22 इंची, 33 सौ रुपये कीमत दिखाई गई है। जबकी आज बढती महगाई में हर चीज के दाम तीन साल में दोगुना हो गए है। लेकिन विभाग आज अपनी निति बदल कर बच्चीयों को साइकिलों के नाम पर 31 सौ व 33 सौ रूपए नगद दे रहा है। इससे यह साबित होता है कि कही ना कही 2016 में खरीद कि गई साईकिलो में भी घोटाला जरूर हुआ है। जिसकी सत्यता जांच से ही सामने आ सकती है।
खण्ड मौलिक शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि वे दो माह पूर्व ही यहां कार्यभार सभाला है ओर उनके सज्ञांन में इस तरह का मामला नही था, अब आपके माध्यम से पता चला है ओर यह मामला बड़ा ही गभाीर है इसके लिए वे हैड आफिस में आज ही सपर्क करेगें ओर उस समय जो भी अधिकारी था इसकी घोर लापरवाही रही है। उसके खिलाफ कारवाई कि मागं करेगें। इसके लिए चाहे मुझे हैड आफिस ही क्यों ना जाना पड़े।
कोसली के राजकीय वरिष्ट माध्यमिक विधालय के चार कमरों में जगं खा रही रखी साईकिल।
बाइट--राजेन्द्र शर्मा, खण्ड मोलिक शिक्षा अधिकारी।
बाइट--सूबे सिंह, प्रधान अध्यापक।
बाइट--मनीष, छात्र।Conclusion:अब देखना होगा की इस लापरवाही की कीमत चूका रहे स्कूली बच्चों को कब राहत मिलेगी।

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