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AIMS संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने जिला उपायुक्त से की मुलाकात, सौंपे कागजात

हरियाणा के मनेठी में बनने वाले एम्स को लेकर बैठकों का दौर लगातार जारी है. इसी को लेकर मंगलवार एम्स संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त से मिला.

एम्स संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त से मिला.
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Published : Jul 10, 2019, 8:06 AM IST

रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अंतरिम बजट में एम्स के लिए 1299 करोड़ रुपये की घोषणा भी की गई थी. लेकिन जांच कमेटी की रिपोर्ट में जो 200 एकड़ भूमि एम्स निर्माण के लिए गांव की पंचायत ने अपनी बताकर सरकार से मंजूरी देने को कहा गया था वो जमीन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की निकली. इस पर जांच के बाद पर्यावण मंत्रालय ने रोक लगा दी. इसी जमीन को लेकर जिला प्रशासन और एम्स संघर्ष समिति लगातार मंथन कर रही है कि यह जमीन पंचायत की है या फॉरेस्ट विभाग की.

क्लिक कर देखें वीडियो

'जमीन पंचायत की है'
मंगलवार को हुई बैठक में पंचायत और एम्स संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ये जमीन पंचायत की ही है और यहां एम्स का निर्माण किया जा सकता है. जो कागज़ात पंचायत ने जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह को सौंपे हैं उनकी जांच की जा रही है.

'लड़ाई गांव के सम्मान से जुड़ी'
अब गांव मनेठी की पंचायत और एम्स संघर्ष समिति का कहना है कि यह लड़ाई अब गांव के सम्मान से भी जुड़ गई है. इसलिए वह एम्स यहीं बनवाएंगे. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिस जमीन को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 से 30 किलोमीटर की दूरी पर दिखाया जा रहा है. दरअसल वह राष्ट्रीय राजमार्ग-8 नहीं है बल्कि 11 है और यह सड़क मार्ग एम्स निर्माण भूमि से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही है.

'एम्स निर्माण के लिए किया जाएगा जेल भरो आंदोलन'
पंचायत ने यह भी कहा है कि जिस एम्स के लिए यहां के ग्रामीणों ने 127 दिनों तक कठिन संघर्ष कर धरना और भूख हड़ताल भी की है. अगर अब आने वाली 25 जुलाई तक एम्स निर्माण मनेठी में नहीं करवाया गया तो 4 अगस्त को एक महापंचायत कर एम्स निर्माण के लिए जेल भरो आंदोलन किया जाएगा क्योंकि यह बात अब मनेठी की प्रतिष्ठा से जुड़ चुकी है.

रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अंतरिम बजट में एम्स के लिए 1299 करोड़ रुपये की घोषणा भी की गई थी. लेकिन जांच कमेटी की रिपोर्ट में जो 200 एकड़ भूमि एम्स निर्माण के लिए गांव की पंचायत ने अपनी बताकर सरकार से मंजूरी देने को कहा गया था वो जमीन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की निकली. इस पर जांच के बाद पर्यावण मंत्रालय ने रोक लगा दी. इसी जमीन को लेकर जिला प्रशासन और एम्स संघर्ष समिति लगातार मंथन कर रही है कि यह जमीन पंचायत की है या फॉरेस्ट विभाग की.

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'जमीन पंचायत की है'
मंगलवार को हुई बैठक में पंचायत और एम्स संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ये जमीन पंचायत की ही है और यहां एम्स का निर्माण किया जा सकता है. जो कागज़ात पंचायत ने जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह को सौंपे हैं उनकी जांच की जा रही है.

'लड़ाई गांव के सम्मान से जुड़ी'
अब गांव मनेठी की पंचायत और एम्स संघर्ष समिति का कहना है कि यह लड़ाई अब गांव के सम्मान से भी जुड़ गई है. इसलिए वह एम्स यहीं बनवाएंगे. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिस जमीन को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 से 30 किलोमीटर की दूरी पर दिखाया जा रहा है. दरअसल वह राष्ट्रीय राजमार्ग-8 नहीं है बल्कि 11 है और यह सड़क मार्ग एम्स निर्माण भूमि से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही है.

'एम्स निर्माण के लिए किया जाएगा जेल भरो आंदोलन'
पंचायत ने यह भी कहा है कि जिस एम्स के लिए यहां के ग्रामीणों ने 127 दिनों तक कठिन संघर्ष कर धरना और भूख हड़ताल भी की है. अगर अब आने वाली 25 जुलाई तक एम्स निर्माण मनेठी में नहीं करवाया गया तो 4 अगस्त को एक महापंचायत कर एम्स निर्माण के लिए जेल भरो आंदोलन किया जाएगा क्योंकि यह बात अब मनेठी की प्रतिष्ठा से जुड़ चुकी है.

Intro:रेवाड़ी, 9 जुलाई। हरियाणा के मनेठी में बनने वाले एम्स को लेकर बैठकों का दौर लगातार जारी है। इसी को लेकर आज एम्स संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त से मिला।


Body:रेवाड़ी के मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अंतरिम बजट में एम्स के लिए 1299 करोड़ रुपये की घोषणा भी की गई थी। लेकिन जांच कमेटी की रिपोर्ट में जो 200 एकड़ भूमि एम्स निर्माण के लिए गांव की पंचायत ने अपनी बताकर सरकार से मंजूरी देने को कहा गया था वो जमीन फारेस्ट डिपार्टमेंट की निकली। इस पर जांच के बाद पर्यावण मंत्रालय ने रोक लगा दी है। इसी जमीन को लेकर जिला प्रशासन और एम्स संघर्ष समिति लगातार मंथन कर रही है कि यह जमीन पंचायत की है या फ़ॉरेस्ट विभाग की है। आज हुई बैठक में पंचायत और एम्स संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने यह जमीन पंचायत की ही बताते हुए कहा है कि यहां एम्स का निर्माण किया जा सकता है। जो कागज़ात पंचायत ने जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह को सौंपे गए है उनकी जांच की जा रही है। अब गांव मनेठी की पंचायत और एम्स संघर्ष समिति का कहना है कि यह लड़ाई अब गांव के सम्मान से भी जुड़ गई है इस लिए वह एम्स यहीं बनवाएंगे। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिस जमीन की राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 से 30 किलोमीटर की दूरी पर दिखाया जा रहा है। दरअसल वह राष्ट्रीय राजमार्ग-8 नही है बल्कि 11 है। और यह सड़क मार्ग एम्स निर्माण भूमि से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही है। पंचायत ने यह भी कहा है कि जिस एम्स के लिए यहां के ग्रामीणों ने 127 दिनों तक कठिन संघर्ष कर धरना और भूख हड़ताल भी की है। अगर अब आने वाली 25 जुलाई तक एम्स निर्माण मनेठी में नही करवाया गया तो 4 अगस्त को एक महापंचायत कर एम्स निर्माण के लिए जेल भरो आंदोलन किया जाएगा। क्योंकि यह बात अब मनेठी की प्रतिष्ठा से जुड़ चुकी है। बाइट---आज़ाद सिंह नांधा, जिला पार्षद। बाइट--श्योताज सिंह, सरपंच मनेठी एवं अध्यक्ष, एम्स संघर्ष समिति।


Conclusion:अब देखना होगा कि जिला प्रशासन वन जीव-जंतुओं के लिए आरक्षित भूमि पर एम्स निर्माण के लिए हरी झंडी देगा या फिर ग्रामीणों को फिर से संघर्ष की राह पर चलते हुए कोई कठोर कदम उठाने पर मजबूर होगा पड़ेगा।
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