रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले एम्स के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अंतरिम बजट में एम्स के लिए 1299 करोड़ रुपये की घोषणा भी की गई थी. लेकिन जांच कमेटी की रिपोर्ट में जो 200 एकड़ भूमि एम्स निर्माण के लिए गांव की पंचायत ने अपनी बताकर सरकार से मंजूरी देने को कहा गया था वो जमीन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की निकली. इस पर जांच के बाद पर्यावण मंत्रालय ने रोक लगा दी. इसी जमीन को लेकर जिला प्रशासन और एम्स संघर्ष समिति लगातार मंथन कर रही है कि यह जमीन पंचायत की है या फॉरेस्ट विभाग की.
'जमीन पंचायत की है'
मंगलवार को हुई बैठक में पंचायत और एम्स संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ये जमीन पंचायत की ही है और यहां एम्स का निर्माण किया जा सकता है. जो कागज़ात पंचायत ने जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह को सौंपे हैं उनकी जांच की जा रही है.
'लड़ाई गांव के सम्मान से जुड़ी'
अब गांव मनेठी की पंचायत और एम्स संघर्ष समिति का कहना है कि यह लड़ाई अब गांव के सम्मान से भी जुड़ गई है. इसलिए वह एम्स यहीं बनवाएंगे. प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि जिस जमीन को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 से 30 किलोमीटर की दूरी पर दिखाया जा रहा है. दरअसल वह राष्ट्रीय राजमार्ग-8 नहीं है बल्कि 11 है और यह सड़क मार्ग एम्स निर्माण भूमि से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही है.
'एम्स निर्माण के लिए किया जाएगा जेल भरो आंदोलन'
पंचायत ने यह भी कहा है कि जिस एम्स के लिए यहां के ग्रामीणों ने 127 दिनों तक कठिन संघर्ष कर धरना और भूख हड़ताल भी की है. अगर अब आने वाली 25 जुलाई तक एम्स निर्माण मनेठी में नहीं करवाया गया तो 4 अगस्त को एक महापंचायत कर एम्स निर्माण के लिए जेल भरो आंदोलन किया जाएगा क्योंकि यह बात अब मनेठी की प्रतिष्ठा से जुड़ चुकी है.