रेवाड़ी: मनुष्य की तरफ पौधों को भी संतुलित आहार की जरूरत होती है. ताकि वो स्वस्थ रहें और पैदावार में बढ़ोतरी हो. एक पौधे को संतुलित आहार मिलता रहे तो वो अपने समय के अनुसार स्वस्थ रहता है और निरंतर उसकी बढ़ोतरी में इजाफा होता रहता है. अगर ऐसा नहीं होता और पौधे की खुराक में किसी प्रकार की कमी रह जाए तो पौधा बढ़ने की बजाए धीरे-धीरे सूखने और अपने पत्ते छोड़ने लगता है, आखिर में वो नष्ट हो जाता है.
पौधों में खुराक की कमी के लक्षण पत्तों में दिखाई देने लगते हैं. पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है, और तब उसको पानी मिलता है तो वो खुराक की आवश्यकता महसूस करता है. यदि उस समय में उस पौधे को उचित खुराक नहीं दी जाती तो वो पौधा नष्ट हो जाता है. ऐसी स्थिति में किसान भाई समझ लेता है कि फसल में कोई बीमारी लग गई जिसकी वजह से पौधे नष्ट हो रहे हैं. लेकिन ऐसा होता नहीं है. फसल को उचित मात्रा में खाद नहीं दी जाती तो जब पौधा बढ़ा होता है और फल छोड़ने लगता है तो उसे अधिक खुराक की जरूरत महसूस होती है लेकिन पानी के अलावा उसे कुछ मिलता नहीं तो तो पौधे मुरझाने और सूखने लगते हैं और धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं.
कपास की प्रमुख समस्या (physiological disorder) है. ये समस्या आमतौर पर अगस्त-अक्तूबर महीनों के बीच आती है. इसका मुख्य कारण लंबे समय तक सुखा रहने के पश्चात सिंचाई देना या वर्षा होना है. रेतीली भूमि में इसका प्रकोप अधिकतर होता है. इस समस्या के कारण पौधों के पत्ते अचानक मुरझा जाते हैं. इस समस्या के लक्षण दिखाई दें तो 48 घंटो के अंदर कोबल्ड क्लोराइड 2.0 ग्राम/200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
कृषि विशेष जोगेंद्र यादव ने बताया कि जब पौधे को पानी मिलेगा तो उसे खुराक की आवश्यकता पड़ेगी अगर किसान भाई उस समय कोबल्ड क्लोराइड का छिड़काव करता है तो पौधा पूरी ताकत के साथ बढ़ेगा. ऐसा करने से किसान अपनी फसल में अधिक पैदावार से ज्यादा मुनाफा कमा सकता है.
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