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रेवाड़ी: NAHEP के तहत 600 छात्रों को दी जाएगी कृषि शिक्षा की जानकारी

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Published : Feb 26, 2020, 11:34 PM IST

रेवाड़ी जिले के 600 बच्चों को कृषि संबंधित जानकारियों से अवगत कराने के लिए कृषि महाविद्यालय बावल में दो दिवसीय भ्रमण कराया जाएगा. इस कैंप के माध्यम से छात्रों को फसलों के बारे में जानकारी दी जाएगी. साथ ही ये भी बताया जाएगा कि वो किस प्रकार से कृषि के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं.

agricultural awareness camp in rewari
agricultural awareness camp in rewari

रेवाड़ी: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत जिले के 600 बच्चों को कृषि संबंधित जानकारियों से अवगत कराने के लिए कृषि महाविद्यालय बावल में दो दिवसीय भ्रमण कराया जाएगा. जानकारी देते हुए कृषि महाविद्यालय बावल के प्रिंसिपल डॉ. नरेश कौशिक ने बताया कि (NAHEP) राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत छात्रों को कृषि बारे में जानकारी दी जाएगी. जिले के 600 स्कूली बच्चों का चयन किया गया है जो रेवाड़ी के विभिन्न स्कूलों से लिए गए हैं. परियोजना के तहत 27 और 28 फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक कृषि बारे जानकारी दी जाएगी.

NAHEP के तहत 6 सौ छात्रों को दी जाएगी कृषि शिक्षा की जानकारी

बच्चों को दी जाएगी कृषि जानकारी

नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत बच्चों को कृषि बारे जानकारी से अवगत कराना. कृषि का देश में क्या महत्व है? इसके बारे में स्कूली बच्चों को बारीकी से समझाया जाएगा. कृषि से होने वाले फायदों से भी इन बच्चों को रूबरू कराते हुए, कृषि व बागवानी से जुड़ी सभी चीजों की जानकारी दी जाएगी, ताकि बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ कृषि की सभी जानकारियां दी जा सके.

कृषि बारे में जानकारी बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ कितना महत्व रखती हैं. इसके बारे में कृषि विशेषज्ञों द्वारा बारीकी से सभी बच्चों को समझाया जाएगा. फसलों को किस तरह से बोया और उन्हें बड़ा करने में किस-किस दवा का प्रयोग किया जाता है. इसकी भी जानकारी दी जाएगी. बच्चों को इस दौरान ये भी बताया जाएगा कि कृषि में ज्यादा यूरिया खादों का इस्तेमाल ना करके जैविक खादों के उपयोग करने के फायदे भी बताए जाएंगे.

बच्चों को बताया जाएगा कृषि शिक्षा का महत्व

नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत स्कूली बच्चों को कृषि शिक्षा से जुड़ने और एग्रीकल्चर में बच्चों को किस तरह प्रवेश किया जाता है. इसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी. 2 दिन चलने वाले इस जानकारी कैंप में हर रोज 3 सौ बच्चों को कृषि से होने वाले फायदे और कृषि शिक्षा में प्रवेश हेतु जानकारी दी जाएगी.

ये भी पढ़िए: दिल्ली में हुई हिंसा के बाद रोहतक में अलर्ट जारी, सभी आला अफसरों की छुट्टियां रद्द

कैसे करें आवेदन ?

बीएससी एग्रीकल्चर में दसवीं पास करने के बाद छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय से एक परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है. उसके बाद मेरिट के आधार पर कृषि विश्वविद्यालय में उन्हें दाखिला दे दिया जाता है. दसवीं पास करने वाले छात्रों को 6 वर्ष के लिए दाखला दिया जाता है. 6 वर्षों के बाद वो बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री लेकर कृषि क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकता हैं.

12वीं के बाद कैसें लें दाखिला ?

विज्ञान विषय से 12वीं पास करने वाले छात्रों को मेरिट आधार पर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को बीएससी एग्रीकल्चर में 4 वर्ष बाद डिग्री दी जाती है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कृषि कॉलेज हिसार, करनाल, कोल और बावल में बच्चे बीएससी एग्रीकल्चर की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं.

छात्रों को कैसे मिलेगा लाभ ?

जानकारी देते हुए जेएस यादव सह छात्र कल्याण निदेशक कृषि महाविद्यालय बावल ने बताया कि नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत बच्चों को बीएससी एग्रीकल्चर शिक्षा से जुड़ने के लिए जागरूक करना. साथ ही बच्चों को भारत में कृषि का महत्व बताने के उद्देश्य से ये दो दिवसीय भ्रमण शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को बीएससी एग्रीकल्चर शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें ये जानकारी दी जा रही है. वे इस क्षेत्र में किस तरह से प्रवेश कर सकते हैं और उन्हें इससे क्या-क्या लाभ होगा.

रेवाड़ी: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल में नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत जिले के 600 बच्चों को कृषि संबंधित जानकारियों से अवगत कराने के लिए कृषि महाविद्यालय बावल में दो दिवसीय भ्रमण कराया जाएगा. जानकारी देते हुए कृषि महाविद्यालय बावल के प्रिंसिपल डॉ. नरेश कौशिक ने बताया कि (NAHEP) राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत छात्रों को कृषि बारे में जानकारी दी जाएगी. जिले के 600 स्कूली बच्चों का चयन किया गया है जो रेवाड़ी के विभिन्न स्कूलों से लिए गए हैं. परियोजना के तहत 27 और 28 फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक कृषि बारे जानकारी दी जाएगी.

NAHEP के तहत 6 सौ छात्रों को दी जाएगी कृषि शिक्षा की जानकारी

बच्चों को दी जाएगी कृषि जानकारी

नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत बच्चों को कृषि बारे जानकारी से अवगत कराना. कृषि का देश में क्या महत्व है? इसके बारे में स्कूली बच्चों को बारीकी से समझाया जाएगा. कृषि से होने वाले फायदों से भी इन बच्चों को रूबरू कराते हुए, कृषि व बागवानी से जुड़ी सभी चीजों की जानकारी दी जाएगी, ताकि बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ कृषि की सभी जानकारियां दी जा सके.

कृषि बारे में जानकारी बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ कितना महत्व रखती हैं. इसके बारे में कृषि विशेषज्ञों द्वारा बारीकी से सभी बच्चों को समझाया जाएगा. फसलों को किस तरह से बोया और उन्हें बड़ा करने में किस-किस दवा का प्रयोग किया जाता है. इसकी भी जानकारी दी जाएगी. बच्चों को इस दौरान ये भी बताया जाएगा कि कृषि में ज्यादा यूरिया खादों का इस्तेमाल ना करके जैविक खादों के उपयोग करने के फायदे भी बताए जाएंगे.

बच्चों को बताया जाएगा कृषि शिक्षा का महत्व

नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत स्कूली बच्चों को कृषि शिक्षा से जुड़ने और एग्रीकल्चर में बच्चों को किस तरह प्रवेश किया जाता है. इसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी. 2 दिन चलने वाले इस जानकारी कैंप में हर रोज 3 सौ बच्चों को कृषि से होने वाले फायदे और कृषि शिक्षा में प्रवेश हेतु जानकारी दी जाएगी.

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कैसे करें आवेदन ?

बीएससी एग्रीकल्चर में दसवीं पास करने के बाद छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय से एक परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है. उसके बाद मेरिट के आधार पर कृषि विश्वविद्यालय में उन्हें दाखिला दे दिया जाता है. दसवीं पास करने वाले छात्रों को 6 वर्ष के लिए दाखला दिया जाता है. 6 वर्षों के बाद वो बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री लेकर कृषि क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे सकता हैं.

12वीं के बाद कैसें लें दाखिला ?

विज्ञान विषय से 12वीं पास करने वाले छात्रों को मेरिट आधार पर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को बीएससी एग्रीकल्चर में 4 वर्ष बाद डिग्री दी जाती है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कृषि कॉलेज हिसार, करनाल, कोल और बावल में बच्चे बीएससी एग्रीकल्चर की शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं.

छात्रों को कैसे मिलेगा लाभ ?

जानकारी देते हुए जेएस यादव सह छात्र कल्याण निदेशक कृषि महाविद्यालय बावल ने बताया कि नेशनल कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत बच्चों को बीएससी एग्रीकल्चर शिक्षा से जुड़ने के लिए जागरूक करना. साथ ही बच्चों को भारत में कृषि का महत्व बताने के उद्देश्य से ये दो दिवसीय भ्रमण शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को बीएससी एग्रीकल्चर शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्हें ये जानकारी दी जा रही है. वे इस क्षेत्र में किस तरह से प्रवेश कर सकते हैं और उन्हें इससे क्या-क्या लाभ होगा.

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