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हरियाणा का अहर गांव जहां 600 से ज्यादा युवा बास्केटबॉल के जरिये सेना में पा चुके हैं नौकरी - basketball player in haryana

पानीपत में अहर गांव बास्केटबॉल खेल यहां के लोगों की (Panipat Ahar Village) रोजी रोटी का जरिया बन चुका है. यहां से बास्केटबॉल खेलकर युवा सेना में भर्ती होते हैं साथ ही यहां के लोगों का कहना है कि यह गांव बास्केटबॉल खेल के जरिये ही लोग दो वक्त की रोटी खाता हैं.

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पानीपत में अहर गांव बास्केटबॉल खेल
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Published : Feb 5, 2023, 12:28 PM IST

पानीपत में अहर गांव बास्केटबॉल खेल

पानीपत: हरियाणा में खेलों को लेकर युवाओं में खासा जुनून देखने को मिलता है. खिलाड़ी पूरी जी जान से मेहनत करते हैं, खेलों की बदौलत हरियाणा में अधिकांश युवा नौकरी भी प्राप्त करते हैं और साथ ही साथ देश का नाम भी रोशन करते हैं. तो आज हम एक ऐसे गांव की कहानी आपको बता रहे हैं, जहां के लोगों में बास्केटबॉल का जुनून इस कदर सवार है की शाम होते ही बच्चे हो या बड़े सभी ग्राउंड की ओर रुख कर लेते है. यहां के लोगो का कहना है कि यह गांव बास्केटबॉल की बदौलत ही दो वक्त की रोटी खा रहे हैं. उनका यह कथन इसलिए है क्योंकि इस गांव 600 से 700 लोग इस खेल की बदौलत सेना में नौकरी कर चुके हैं.

Panipat Ahar Village
युवाओं में बास्केटबॉल खेल का जुनून

हम बात कर रहे हैं पानीपत से 32 किलोमीटर दूर स्थित अहर गांव की यहां के सभी युवा बास्केटबॉल में रुचि रखते हैं और इसी बास्केटबॉल की बदौलत वह सरकारी नौकरियां भी प्राप्त कर रहे हैं. 10 नहीं, 12 नहीं बल्कि सैकड़ों इस गांव में नेशनल स्तर के और इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ियों की भरमार है. आर्मी से रिटायर्ड हुए फौजी ने बताया कि 1966 में गांव के सरकारी स्कूल में एक PTI टीचर आये थे उन्हेंने गांव में इस खेल को शुरू किया था. उस के बाद युवा यहीं खेल चुनने लगे 2 साल बाद ही इस गांव की बास्केटबॉल की पूरी टीम को आर्मी में नौकरी मिल गई. यही वजह कि इस गांव के अधिक से अधिक युवक इस खेल की तरफ रुख करने लगे हैं. 4 बार इस गांव की पूरी टीम को नौकरी पर रखा गया है.

Panipat Ahar Village
शाम होते ही बच्चे हों या बड़े सभी ग्राउंड की ओर रूख करते हैं.

ये भी पढ़ें: हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर कृष्ण दादूपुर, दोस्त की मौत का बदला लेने के लिए रखा अपराध की दुनिया में कदम

इस गांव में लगभग 8 बास्केटबॉल के ग्राउंड है और यह ट्रेनिंग देने के लिए तीन कोच भी रखे गए हैं. जो बच्चों को निशुल्क सिखाते हैं. इस गांव का खिलाड़ी भारतीय बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी रह चुका है. ग्रामीणों में भी खेल का जुनून इस कदर सवार है कि शाम होते ही जब बच्चे प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड में पहुंचते हैं. बड़े और बुजुर्ग भी वहां पहुंच जाते हैं गांव का ही रहने वाला युवक साहिल भारतीय बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी रह चुका है. इसके अलावा दीपक भी इस गांव से इंटरनेशनल स्तर पर खिलाड़ी रह चुका है. इतना ही नहीं इन दिनों इंडियन आर्मी की बास्केटबॉल की टीम इस गांव में प्रैक्टिस के लिए आई हुई है.

ये भी पढ़ें: MBBS में आयुर्वेद शामिल करने के खिलाफ छात्र, बोले- दो अलग कोर्स मिक्स करके हमारा भविष्य खराब ना करें सरकार

पानीपत में अहर गांव बास्केटबॉल खेल

पानीपत: हरियाणा में खेलों को लेकर युवाओं में खासा जुनून देखने को मिलता है. खिलाड़ी पूरी जी जान से मेहनत करते हैं, खेलों की बदौलत हरियाणा में अधिकांश युवा नौकरी भी प्राप्त करते हैं और साथ ही साथ देश का नाम भी रोशन करते हैं. तो आज हम एक ऐसे गांव की कहानी आपको बता रहे हैं, जहां के लोगों में बास्केटबॉल का जुनून इस कदर सवार है की शाम होते ही बच्चे हो या बड़े सभी ग्राउंड की ओर रुख कर लेते है. यहां के लोगो का कहना है कि यह गांव बास्केटबॉल की बदौलत ही दो वक्त की रोटी खा रहे हैं. उनका यह कथन इसलिए है क्योंकि इस गांव 600 से 700 लोग इस खेल की बदौलत सेना में नौकरी कर चुके हैं.

Panipat Ahar Village
युवाओं में बास्केटबॉल खेल का जुनून

हम बात कर रहे हैं पानीपत से 32 किलोमीटर दूर स्थित अहर गांव की यहां के सभी युवा बास्केटबॉल में रुचि रखते हैं और इसी बास्केटबॉल की बदौलत वह सरकारी नौकरियां भी प्राप्त कर रहे हैं. 10 नहीं, 12 नहीं बल्कि सैकड़ों इस गांव में नेशनल स्तर के और इंटरनेशनल स्तर के खिलाड़ियों की भरमार है. आर्मी से रिटायर्ड हुए फौजी ने बताया कि 1966 में गांव के सरकारी स्कूल में एक PTI टीचर आये थे उन्हेंने गांव में इस खेल को शुरू किया था. उस के बाद युवा यहीं खेल चुनने लगे 2 साल बाद ही इस गांव की बास्केटबॉल की पूरी टीम को आर्मी में नौकरी मिल गई. यही वजह कि इस गांव के अधिक से अधिक युवक इस खेल की तरफ रुख करने लगे हैं. 4 बार इस गांव की पूरी टीम को नौकरी पर रखा गया है.

Panipat Ahar Village
शाम होते ही बच्चे हों या बड़े सभी ग्राउंड की ओर रूख करते हैं.

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इस गांव में लगभग 8 बास्केटबॉल के ग्राउंड है और यह ट्रेनिंग देने के लिए तीन कोच भी रखे गए हैं. जो बच्चों को निशुल्क सिखाते हैं. इस गांव का खिलाड़ी भारतीय बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी रह चुका है. ग्रामीणों में भी खेल का जुनून इस कदर सवार है कि शाम होते ही जब बच्चे प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड में पहुंचते हैं. बड़े और बुजुर्ग भी वहां पहुंच जाते हैं गांव का ही रहने वाला युवक साहिल भारतीय बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी रह चुका है. इसके अलावा दीपक भी इस गांव से इंटरनेशनल स्तर पर खिलाड़ी रह चुका है. इतना ही नहीं इन दिनों इंडियन आर्मी की बास्केटबॉल की टीम इस गांव में प्रैक्टिस के लिए आई हुई है.

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