पानीपत: पढ़ेगा इंडिया तो आगे बढ़ेगा इंडिया का नारा देने वाली हरियाणा सरकार के दावे पानीपत के नांगल खेड़ी के सरकारी स्कूल में आकर फेल हो जाते हैं ये स्कूल जिले के सभी सरकारी स्कूलों में परीक्षा परिणामों में सबसे अव्वल रहता है और स्कूल में अगर बच्चों की बात की जाए तो बच्चों की संख्या 910 है ओर कमरे सिर्फ 6 है.
पानीपत का टॉपर स्कूल राम भरोसे
जमीन तक लटकती पुराने बरगद की लटों के बीच. खुले में लगी ये पाठशाला कमोबेस ऋषि मुनियों के दौर की याद दिलाती है. लेकिन ये तस्वीर 21वीं सदी के उस सरकारी स्कूल की है. जिनके भरोसे सरकारें दावा करती हैं कि यहीं पर पढ़ेगा इंडिया और आगे बढ़ेगा इंडिया. स्कूल के गेट से लेकर बरामदे तक बेतरतीब लगी इसी गुरुकुल भरोसे भारत को विश्व गुरु बनाने के दावे किए जाते हैं.
छात्र ज्यादा लेकिन रूम काफी कम
अब जरा इस स्कूल का परिचय भी कर लीजिए. ये स्कूल है नांगलखेड़ी का सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल. जिला पानीपत. यहां 6ठीं से 12वीं तक करीब 9 सौ से ज्यादा बच्चे हैं. 9 सौ बच्चों के लिए महज 6 क्लासरूम हैं. तीन कमरे 1958 में बने थे. जिन्हें अब कंडम घोषित कर दिया गया है. स्कूल की प्रिसिंपल भी मानती हैं कि स्कूल की हालत ठीक नहीं है. इसकी जानकारी बड़े अधिकारियों को दे दी गई है.
ये भी पढ़ें- नई शिक्षा नीति लागू तो हुई पर क्या बच्चों तक पहुंच पाई? देखिए इस रिपोर्ट में
पेड़ के नीचे होती है पढ़ाई
बाहर पेड़ के नीचे से लेकर बरामदे तक, लाइब्रेरी से लेकर, कम्यूटर लैब तक और यही नहीं टीचर स्टाफ रूम से लेकर साइंस लैब तक हर जगह बच्चों की क्लास लगा दी जाती है. टीचर भी मजबूर हैं करें तो क्या करें. साल 2017 में इसे हाई स्कूल से सीनियर सेकेंडरी में प्रमोट कर दिया गया था, जिसके चलते छात्रों की संख्या और बढ़ गई. लेकिन कमरे नहीं बढ़े.
ये भी पढ़ें- हरियाणा में खुले प्राइमरी स्कूल, कम संख्या में पहुंचे बच्चे
एक कमरे में लगती है कई क्लासे
लाइब्रेरी की आलमारियों को दीवार बनाकर एक कमरे को दो हिस्सों में बांट दिया गया है. या यूं कहे एक ही कमरे में कई क्लासे लगती है. कमरों में ठसा-ठस भरे बच्चे और चारों तरफ से गूंजती गुरुओं की आवाज क्लासरूम को कचहरी में तब्दील करने के लिए काफी हैं. इस शोर के बीच बच्चों को कुछ समझ नहीं आता कोरोना के नियम और सोशल डिस्टेंसिंग के दावे यहां तम तोड़ रहे हैं. महामारी के साए के बीच बच्चे भविष्य संवारने में जुटे हैं.
ये भी पढ़ें- हिसार में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़! बिना NOC के चल रहे कई स्कूल
नहीं है प्रशासन का ध्यान
इन सब असुविधाओं के बावजूद ये स्कूल पानीपत जिले के सभी स्कूलों में अव्वल रहता है. बच्चों की मेहनत और टीचर का समर्पण इस स्कूल को सबसे आगे रखता है. शायद इसीलिए ऊंची कुर्सियों पर बैठे अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही और सरकारें दावा कर रही हैं. पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया.