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करोड़ों रुपये का टैक्स देने वाले शहर में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे लोग

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Published : Feb 16, 2020, 8:46 PM IST

Updated : Feb 16, 2020, 11:40 PM IST

पानीपत में सैकड़ों की संख्या में फैक्ट्रियां हैं. जो हजारों लोगों को रोजगार दे रही हैं, लेकिन ये भी सच है कि इन फैक्टरियों से ना सिर्फ जहरीला धुंआ निकलता है बल्कि इन फ़ैक्टरियों से जहरीला पानी भी निकलता है. जिससे लोग परेशान हैं.

People of Panipat are worried about lack of basic amenities
People of Panipat are worried about lack of basic amenities

पानीपत: ओद्यौगिक नगरी पानीपत सरकार को सालाना करोड़ों रुपये का रेवेन्यू देती है. इसके बाद भी पानीपत के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस गए हैं. शहरवासी प्रदूषण और फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकलयुक्त पानी के बीच जीने को मजबूर हैं. ना तो सफाई की व्यवस्था है और ना ही सही सड़के हैं.

पानीपत में सैकड़ों की संख्या में फैक्ट्रियां है. जो हजारों लोगों को रोजगार दे रही हैं, लेकिन ये भी सच है कि इन फैक्टरियों ने शहर में आतंक मचा रखा है. आमजन की ज़िंदगी को दिन रात तबाह करने में जुटी हुई है. पानीपत में लगी फ़ैक्टरियों से ना सिर्फ जहरीला धुंआ निकलता है बल्कि इन फ़ैक्टरियों से जहरीला पानी निकलता है.

करोड़ों रुपये का टैक्स देने वाले शहर में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे लोग

इस गंदे पानी की वजह से बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग के अधिकारियों से की गई, लेकिन अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला गया है. बता दें कि पानीपत शहर की सफाई के लिए प्रति महीना 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं.

अगर ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया की बात की जाए तो यहां सफाई नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिलती, सड़कें एक 1 साल से उखड़ी पड़ी हुई हैं, सड़कों पर पानी खड़ा रहता है. आने जाने वालों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं पिछले दिनों पानीपत शहर को प्रदूषण फैलाने में पहला स्थान प्राप्त हुआ था.

ये भी पढ़ें- फतेहाबाद के गांव भट्टू बुहान में मिले ऐतिहासिक मनके, पुरातत्व विभाग ने की जांच शुरू

बावजूद उसके भी पानीपत शहर में प्रदूषण को कम करने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे, और ना ही इन फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही. ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का सपना स्वच्छ भारत भी फेल होता नजर आ रहा है.

पानीपत: ओद्यौगिक नगरी पानीपत सरकार को सालाना करोड़ों रुपये का रेवेन्यू देती है. इसके बाद भी पानीपत के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस गए हैं. शहरवासी प्रदूषण और फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकलयुक्त पानी के बीच जीने को मजबूर हैं. ना तो सफाई की व्यवस्था है और ना ही सही सड़के हैं.

पानीपत में सैकड़ों की संख्या में फैक्ट्रियां है. जो हजारों लोगों को रोजगार दे रही हैं, लेकिन ये भी सच है कि इन फैक्टरियों ने शहर में आतंक मचा रखा है. आमजन की ज़िंदगी को दिन रात तबाह करने में जुटी हुई है. पानीपत में लगी फ़ैक्टरियों से ना सिर्फ जहरीला धुंआ निकलता है बल्कि इन फ़ैक्टरियों से जहरीला पानी निकलता है.

करोड़ों रुपये का टैक्स देने वाले शहर में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसे लोग

इस गंदे पानी की वजह से बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग के अधिकारियों से की गई, लेकिन अभी तक कोई भी समाधान नहीं निकाला गया है. बता दें कि पानीपत शहर की सफाई के लिए प्रति महीना 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं.

अगर ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया की बात की जाए तो यहां सफाई नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिलती, सड़कें एक 1 साल से उखड़ी पड़ी हुई हैं, सड़कों पर पानी खड़ा रहता है. आने जाने वालों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं पिछले दिनों पानीपत शहर को प्रदूषण फैलाने में पहला स्थान प्राप्त हुआ था.

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बावजूद उसके भी पानीपत शहर में प्रदूषण को कम करने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे, और ना ही इन फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही. ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का सपना स्वच्छ भारत भी फेल होता नजर आ रहा है.

Last Updated : Feb 16, 2020, 11:40 PM IST
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