पानीपत: अक्सर देखा जाता है कि शराब पीकर वाहन चालक या तो सड़क पर हुड़दंगबाजी करता है या फिर ज्यादा शराब पीने की वजह से वो किसी हादसे का शिकार हो जाता है. यही वजह है कि भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाना प्रतिबंधित है. यही नहीं ट्रैफिक पुलिस के पास अल्कोहल चेकिंग मशीन भी होती, जिससे बड़ी ही आसानी से पुलिस ये चेक करती है कि वाहन चलाने वाले व्यक्ति ने कितनी मात्रा में अल्कोहल पी है.
लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पानीपत स्वास्थ्य विभाग के पास किसी व्यक्ति के यूरिन और ब्लड से अल्कोहल टेस्ट करने वाली किट है ही नहीं. ज्यादातर अस्पतालों में शराबियों का यूरिन और ब्लड सैंपल भी नहीं लिया जाता है, क्योंकि अल्कोहल की मात्रा जानने के लिए जो टेस्ट होते हैं, उसके सैंपल करनाल के मधुबन स्थित एफएसएल लैब (FSL) भेजने पड़ते हैं. जिसकी रिपोर्ट आने में ही कई महीने लग जाते हैं.
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जब इस बारे में पानीपत के स्वास्थ्य विभाग के फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर नारायण से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर किसी के शरीर में अल्कोहल की मात्रा जाननी है तो वो सिर्फ यूरिन और ब्लड टेस्ट के जरिए ही मापी जा सकती है, लेकिन लचर व्यवस्था के कारण इन टेस्ट की रिपोर्ट आने में लगभग 1 महीने तक लग जाता है.
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उन्होंने ये भी बताया कि ऐसे में ज्यादातर केसों में डॉक्टर जो रिपोर्ट बनाता है, उसमें प्राथमिकता के आधार पर आरोपी की जुबान लड़खड़ाना, चलने में दिक्कत, मुंह से दुर्गंध आना शामिल है. इन सब चीजों को देखकर ही डॉक्टर रिपोर्ट तैयार कर देते हैं. क्योंकि डॉक्टर्स के पास वो किट ही नहीं है जिससे यूरिन और ब्लड से अल्कोहल टेस्ट किया जा सके.
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इसके अलावा एडवोकेट वैभव ने बताया कि डॉक्टर जो रिपोर्ट बनाते हैं उसे कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है. कोई भी आरोपी कमजोर रिपोर्ट की वजह से आसानी से बच सकता है, क्योंकि कोर्ट में इस तरह की रिपोर्ट पुलिस की ओर से दलीलें कमजोर कर सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि पुलिस की ओर से अल्कोहल चेकिंग मशीन का ही इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही डॉक्टर भी आरोपी का सैंपल लेकर लैब ही भेजें, लेकिन पानीपत स्वास्थ्य विभाग के पास अल्कोहल टेस्ट करने वाली किट ही नहीं है.