पानीपत: देश में कहीं भी जब खेल और एथलीट की बात चलती है तो हरियाणा का नाम सबसे पहले आना लाजिमी है. हरियाणा ने देश को कई ऐसे बड़े-बड़े एथलीट दिए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है. खेलों के प्रति जुनून के चलते ही हरियाणा का कोई गांव फुटबॉल, कोई बॉक्सिंग तो कोई बास्केटबॉल के लिए जाना जाता है. आज हम आपको हरियाणा के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है जो कबड्डी के खिलाड़ियों की फैक्ट्री (factory of Kabaddi players) के नाम से जाना जाता है.
इस गांव के युवाओं में कबड्डी को लेकर इतना जोश है कि वो किसी दूसरे खेल की तरफ रूख करना भी पसंद नहीं करते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं पानीपत से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुड़शाम गांव (Budsham village of haryana) की. यहां के ज्यादातर युवा और बच्चे कबड्डी में रुचि रखते हैं. इस गांव से अब तक 16 खिलाड़ी प्रो कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League) में खेल चुके हैं. अगले महीने शुरू होने वाली प्रो कबड्डी लीग में गांव के 6 खिलाड़ी रोहित गुलिया (हरियाणा स्टीलर्स), मोनू बिनवाल (पटना पाइरेट्स), साहिल गुलिया (तेलुगु टाइटंस), सुशील गुलिया (जयपुर पिंक पैंथर्स) और सोमबीर गुलिया (पुनेरी पलटन) की ओर से हिस्सा लेंगे.
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साथ ही यहां के कई युवा सरकारी नौकरियां प्राप्त कर चुके हैं तो कई युवाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना ली है. गांव के 80 खिलाड़ी कबड्डी की बदौलत भारतीय सेना में देश को अपनी सेवाएं दे रहे हैं और तकरीबन 150 खिलाड़ी सरकारी पदों पर कार्यरत हैं. गांव की बात करें तो संध्याकाल होते ही छोटे-बड़े सभी ग्राउंड की ओर निकल पड़ते हैं, और जमकर अभ्यास करते हैं. खेल खत्म होने पर वापस लौटते समय जय ग्राउंड देवता का नारा लगाकर यहां धूप, अगरबत्ती लगा हाथ जोड़कर वंदना कर अपने खेल को समाप्त करते हैं.
दिलचस्प बात ये है कि इस गांव में 1987 में इस खेल को कुछ युवाओं ने शुरू किया था और ग्रामीणों के तानों के बावजूद उन्होंने चैंपियन बनकर ग्रामीणों के मुंह पर ताला लगा दिया था. गावं के कबड्डी कोच रणबीर गुलिया ने बताया कि गांव में नेशनल, इंटरनेशनल और स्टेट लेवल के खिलाड़ियों की भरमार है. अगले महीने शुरू होने वाले प्रो कबड्डी में भी इसी गांव के 6 खिलाड़ी हिस्सा लेने वाले है. वहीं प्रो कबड्डी के पिछले सीजन में लगभग 10 खिलाड़ी अपना दमखम दिखा चुके हैं. कोच गुलिया बताते है कि वो खिलाड़ियों को बिल्कुल मुफ्त में ट्रेंड करते हैं. खिलाड़ियों से किसी प्रकार का कोई चार्ज नहीं लिया जाता.
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वहीं गांव के रहने वाले और प्रो कबड्डी में पटना पाइरेट्स की तरफ से खेल चुके खिलाड़ी प्रवीण दिरवाल ने बताया कि गांव में दो ग्राउंड पर 70-70 खिलाड़ी रोजाना प्रैक्टिस करते हैं. हालांकि चोट की वजह से वो इस बार प्रो कबड्डी के सीजन में दिख पाएंगे, लेकिन इन्होंने अगले सीजन के लिए खासी तैयारी कर रखी है. ग्राउंड में प्रैक्टिस कर रहे एक खिलाड़ी से जब हमने बात की तो उसने बताया कि अब तक वो 12 नेशनल प्रतियोगिता खेल चुका है. गांव के ही अर्जुन अवार्डी खिलाड़ी जसवीर बीरवाल और कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से उसे प्रेरणा मिलती है. खिलाड़ी का कहना है कि हम बचपन से इंटरनेशल खिलाड़ियों के बीच में रहे हैं, जिन्हें देख-देख कर हमारे अंदर भी खेल को लेकर रूचि बढ़ती गई.
किसी ने सच ही कहा है कि अगर सच्चे दिल और कड़ी मेहनत से किसी चीज के पीछे लगा जाए तो एक ना एक दिन वो आपके कदम चूमती हुई आपके पास जरूर आ ही जाती है. जिस खेल की बदौलत आज ये गांव लोकप्रिय हुआ है और जिस लगन के साथ गांव के युवा कबड्डी को ही अपना सबकुछ मानकर मेहनत कर रहे हैं. आज सफलता सीधे उनके दरवाजे खटखटाती है. वहीं यदि सरकार खेल के प्रति जुनून रखने वाले इन खिलाड़ियों की मदद करती रहे तो ये खिलाड़ी आगे चलकर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने का दम रखते हैं.
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