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कैसे बनता है प्लास्टिक की बोतल से धागा, पीएम मोदी भी पहन चुके हैं इससे बनी जैकेट

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Published : Feb 11, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Feb 12, 2023, 11:58 AM IST

यूजलेस समझी जाने वाली प्लास्टिक की बोतल (plastic bottle) का कितना बड़ा रोल उत्पादों में होता है. शायद ये आप भी न जानते हों. यही कारण है कि पीएम मोदी भी प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर संसद में पर्यावरण को बचाने की बात कहते नजर आए थे. वहीं डोमेस्टिक मार्केट के साथ एक्सपोर्ट मार्केट में प्लास्टिक की बॉटल्स से बने उत्पादों की मांग बढ़ी है. आइए जानते हैं कैसे...

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प्लास्टिक की बोतल से बनता है धागा

पानीपत: प्लास्टिक की बोतल में पानी पीकर आप उसे फेंक देते हैं. कभी राह चलते सड़कों पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर. पर क्या आप जानते हैं कि ये प्लास्टिक की बोतल कितनी उपयोगी और फायदेमंद है. जी हां, आप भी हैरत में पड़ जाएंगे जब आपको इसके इस्तेमाल करने के बारे में पता चलेगा. ये कोई साधारण चीज नहीं है बल्कि इसी प्लास्टिक से बनी जैकेट को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहनते हैं. प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर नरेंद्र मोदी ने संसद पहुंचकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश भी दे चुके हैं.

ऐसा ही यार्न यानि की धागा पानीपत में कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करके बनाया जाता है. इससे बने धागे के उत्पादों की विदेशों में भी मांग रहती है. पानीपत से इस धागे से बने उत्पाद को अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है.

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कैसे बनता है प्लास्टिक की बोतल से धागा

कैसे बनता है प्लास्टिक से धागा: पानी, कोल्डड्रिंक या किसी अन्य बोतल को रिसाइकिल कर पहले इन बोतल से सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है. उसके बाद इस दाने को अलग-अलग यूनिट में भेजकर धागे से प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है. प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार कर लिया जाता है. इसके बाद इसे धागा बनाने वाली मील में इस फाइबर को भेजा जाता है. फिर शुरू होती है धागा बनाने की प्रक्रिया.

धागा बनाने की प्रक्रिया: धागा बनाने वाले प्लांट को इस प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ मिक्स्चर मशीन में डाला जाता है. मिक्स्चर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है. फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइप लाइन में से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है. इसके बाद ऑटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स इस मशीन से एक फाइबर की पट्टी तैयार होती है.

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धागा बनाने की प्रक्रिया

यह फाइबर की पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है. फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है और फिर एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है. बाइंडिंग के बाद ऑटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल कर लिया जाता है. इसके बाद धागे को पैकिंग कर डिलीवरी के लिए भेजा जाता है.

कहां होता है प्लास्टिक से बने उत्पादों का इस्तेमाल: उद्योगपति राकेश मुंजाल बताते हैं कि प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20% से 25% तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है. इस धागे की क्वालिटी भी बेहतर होती है. आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और शूटिंग शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. पानीपत में इसका प्रयोग अधिकांश बेडशीट, बाथ मेट, परदे, बनाने में किया जा रहा है.

पर्यावरण साफ रखने के साथ ही होता है मुनाफा: उद्योगपतियों ने यह भी माना है कि प्लास्टिक से धागा बनने से पर्यावरण तो साफ होगा ही और साथ में मुनाफा भी होगा. प्रधानमंत्री ने प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर संसद में लोगों को पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया था, साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया था. वहीं दूसरी ओर लोग खाली प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने के बजाय उन्हें बेचकर मुनाफा भी कमा सकेंगे.

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पानीपत में प्लास्टिक की बोतल की रिसाइकिलिंग

यह भी पढ़ें- प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से हो सकती हैं कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, गर्मी में रखें इन बातों का ध्यान

प्लास्टिक से बने धागों की मांग बढ़ी: डोमेस्टिक मार्केट के साथ एक्सपोर्ट मार्केट में भी लगातार पेट यार्न की मांग बढ़ रही है. उद्योगपतियों का कहना है कि पानीपत में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट है. एक्सपोर्ट के साथ-साथ डोमेस्टिक मार्केट में रोजाना मांग बढ़ रही है. बीते कुछ समय में रिसाइकिलिंग धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

क्या होता है पेट यार्न: प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है. पेट से मतलब प्लास्टिक की बोतलें हैं और यार्न का मतलब धागा. पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बने फाइबर से पेट यार्न बनाने की करीब सात से आठ इकाइयां हैं. एक अनुमान के मुताबिक इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न का उत्पादन होता है.

प्लास्टिक की बोतल से बनता है धागा

पानीपत: प्लास्टिक की बोतल में पानी पीकर आप उसे फेंक देते हैं. कभी राह चलते सड़कों पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर. पर क्या आप जानते हैं कि ये प्लास्टिक की बोतल कितनी उपयोगी और फायदेमंद है. जी हां, आप भी हैरत में पड़ जाएंगे जब आपको इसके इस्तेमाल करने के बारे में पता चलेगा. ये कोई साधारण चीज नहीं है बल्कि इसी प्लास्टिक से बनी जैकेट को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहनते हैं. प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर नरेंद्र मोदी ने संसद पहुंचकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश भी दे चुके हैं.

ऐसा ही यार्न यानि की धागा पानीपत में कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करके बनाया जाता है. इससे बने धागे के उत्पादों की विदेशों में भी मांग रहती है. पानीपत से इस धागे से बने उत्पाद को अमेरिका, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है.

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कैसे बनता है प्लास्टिक की बोतल से धागा

कैसे बनता है प्लास्टिक से धागा: पानी, कोल्डड्रिंक या किसी अन्य बोतल को रिसाइकिल कर पहले इन बोतल से सफेद रंग का प्लास्टिक दाना और चिप बनाई जाती है. उसके बाद इस दाने को अलग-अलग यूनिट में भेजकर धागे से प्लास्टिक की सीट बनाई जाती है. प्लास्टिक सीट को रेग मशीन में डालकर फाइबर तैयार कर लिया जाता है. इसके बाद इसे धागा बनाने वाली मील में इस फाइबर को भेजा जाता है. फिर शुरू होती है धागा बनाने की प्रक्रिया.

धागा बनाने की प्रक्रिया: धागा बनाने वाले प्लांट को इस प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ मिक्स्चर मशीन में डाला जाता है. मिक्स्चर मशीन से निकलने के बाद यह कन्वेयर बेल्ट से होते हुए फिल्टर मशीन में पहुंचता है. फिल्टर से वेस्ट निकलने के बाद यह फाइबर पाइप लाइन में से होता हुआ धागा बनाने वाली मशीन में जाता है. इसके बाद ऑटोमेटिक स्पिनिंग मिल्स इस मशीन से एक फाइबर की पट्टी तैयार होती है.

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धागा बनाने की प्रक्रिया

यह फाइबर की पट्टी दूसरी मशीन से होते हुए फिर कन्वेयर बेल्ट पर पहुंचती है. फिर यह फाइबर की पट्टी स्पिनिंग मशीन की रोलिंग पर पहुंचती है और फिर एक बारीक सा पेट यार्न तैयार होकर बाइंडिंग मशीन पर पहुंचता है. बाइंडिंग के बाद ऑटोमेटिक मशीन के साथ मीटर के हिसाब से धागे को रोल कर लिया जाता है. इसके बाद धागे को पैकिंग कर डिलीवरी के लिए भेजा जाता है.

कहां होता है प्लास्टिक से बने उत्पादों का इस्तेमाल: उद्योगपति राकेश मुंजाल बताते हैं कि प्लास्टिक फाइबर को कॉटन फाइबर के साथ 20% से 25% तक मिलाकर धागा तैयार किया जाता है. इस धागे की क्वालिटी भी बेहतर होती है. आजकल यह धागा जुराब, टी-शर्ट और शूटिंग शर्टिंग के कपड़े के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है. पानीपत में इसका प्रयोग अधिकांश बेडशीट, बाथ मेट, परदे, बनाने में किया जा रहा है.

पर्यावरण साफ रखने के साथ ही होता है मुनाफा: उद्योगपतियों ने यह भी माना है कि प्लास्टिक से धागा बनने से पर्यावरण तो साफ होगा ही और साथ में मुनाफा भी होगा. प्रधानमंत्री ने प्लास्टिक से बनी जैकेट को पहनकर संसद में लोगों को पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया था, साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी किया था. वहीं दूसरी ओर लोग खाली प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने के बजाय उन्हें बेचकर मुनाफा भी कमा सकेंगे.

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पानीपत में प्लास्टिक की बोतल की रिसाइकिलिंग

यह भी पढ़ें- प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से हो सकती हैं कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, गर्मी में रखें इन बातों का ध्यान

प्लास्टिक से बने धागों की मांग बढ़ी: डोमेस्टिक मार्केट के साथ एक्सपोर्ट मार्केट में भी लगातार पेट यार्न की मांग बढ़ रही है. उद्योगपतियों का कहना है कि पानीपत में भी प्लास्टिक की बोतलों के प्लास्टिक के फाइबर से धागे बनाने की कई यूनिट है. एक्सपोर्ट के साथ-साथ डोमेस्टिक मार्केट में रोजाना मांग बढ़ रही है. बीते कुछ समय में रिसाइकिलिंग धागे और उससे बने उत्पादों का बाजार 2000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

क्या होता है पेट यार्न: प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर इससे बने धागे को पेट यार्न कहा जाता है. पेट से मतलब प्लास्टिक की बोतलें हैं और यार्न का मतलब धागा. पानीपत में प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बने फाइबर से पेट यार्न बनाने की करीब सात से आठ इकाइयां हैं. एक अनुमान के मुताबिक इन यूनिटों में हर रोज करीब 20 हजार किलो पेट यार्न का उत्पादन होता है.

Last Updated : Feb 12, 2023, 11:58 AM IST
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