पानीपत: प्रदेश में फैमली प्लानिंग की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर है. महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की नसबंदी का आंकड़ा चिंताजनक है. इस विषय पर जानकारी देते हुए पीएमओ संजीव ग्रोवर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कुछ अहम जानकारियां साझा की है. उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में महिलाओं के मुकाबले पुरुष नसबंदी 4 फीसदी है, यानी 96 फीसदी महिलाओं पर फैमिली प्लानिंग का जिम्मा है. स्वास्थ्य विभाग सिविल अस्पताल की ओर से सिविल अस्पताल में 22 जनवरी से लेकर 4 फरवरी तक अभियान भी चलाया गया था. इसमें भी पुरुषों के आंकड़े निराशाजनक ही रहे. 12 दिन में सिर्फ 10 पुरुषों ने नसबंदी कराई है.
नसबंदी करवाने पर प्रोत्साहन राशि: पीएमओ के मुताबिक पुरुष नसबंदी पर 2 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. महिलाओं को नसबंदी करवाने पर 1400 रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. पुरुष या महिला की नसबंदी फेल होने पर 30 हजार रुपये मुआवजे की व्यवस्था है. ऑपरेशन के दौरान मौत होने पर 2 लाख रुपये देने का भी प्रावधान है.
पुरुषों की नसबंदी पर नहीं पड़ता नकारात्मक प्रभाव: पीएमओ संजीव ग्रोवर ने बताया कि अप्रैल-2022 से अब तक तक स्वास्थ्य विभाग ने जिले में 200 पुरुषों की नसबंदी का लक्ष्य रखा था, परंतु इसमें कुल 44 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है. करीब 4 फीसदी पुरुषों का लक्ष्य पूरा हुआ है. वहीं, इसमें 1098 महिलाओं की नसबंदी हुई. पीएमओ संजीव ग्रोवर ने बताया कि पुरुष नसबंदी ज्यादा सुरक्षित होती है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं पड़ता.
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पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा असर: संजीव ग्रोवर का कहना है कि, एनएसवी जैसी तकनीक से किसी तरह का चीरा या टांका भी नहीं लगता. जबकि महिलाओं को बड़े दर्द से गुजरना पड़ता है. वहीं पुरुषों के मुकाबले लंबे समय तक महिलाओं को बेड रेस्ट पर रहना पड़ता है. लोगों में भ्रांति है, कि इस ऑपरेशन से शारीरिक कमजोरी आएगी. परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है. पुरुषों को भी फैमिली प्लानिंग के लिए आगे आना चाहिए.
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