पानीपत: कोरोना की दूसरी लहर (Corona second wave) अब लगभग खत्म सी हो चुकी है. इसी के साथ जिंदगी भी तेजी से सामान्य हो रही है. उद्योग-धंधे और कारखानों में काम पहले की तरह चल रहा है. जिससे डूबती हुई अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती नजर आ रही है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री पानीपत (Textile Industry Panipat) पर भी कोरोना का बुरा असर पड़ा. कोरोना की वजह से घरेलू कारोबारियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब सुबकछ सामान्य हो रहा है.
विदेशों से टेक्सटाइल उत्पादों के मिलने वाले अच्छे ऑर्डर से पानीपत का निर्यात उद्योग बहुत लगातार ग्रोथ कर रहा है. पहले पानीपत के एक्सपोर्टर्स का 12 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर होता था जो अब बढ़कर 16 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बीच एक्सपोटर्स के सामने सबसे बड़ी समस्या ये आ रही है कि वो टेक्सटाइल उत्पादों को समय पर डिलीवरी नहीं कर पा रहे. इसकी बड़ी वजह है. कंटेनर का महंगा (Container Price Increase) होना. कंटेनर के बढ़े हुए भाड़े ने निर्यातकों की परेशानी को फिर से बढ़ा दिया है.
कोरोना की वजह से ज्यादातर कंटेनर खाली नहीं हुए हैं. जिसकी वजह से कंटेनर की कमी हो गई है. कंटेनर की कमी से मल्टीनेशनल कंपनियों ने भाड़ा इतना ज्यादा बढ़ा दिया है कि खरीदारों ने माल मंगवाना ही बंद कर दिया है. खरीदारों का कहना है कि जब कंटेनर का किराया कम हो जाएगा तब वो माल का ऑर्डर दे देंगे. निर्यातकों के पास गोदाम में अच्छी क्वालिटी का टैक्सटाइल से जुड़ा सामान रखा है, लेकिन कंटेनर महंगा होने की वजह से वो उसे डिलिवर नहीं कर पा रहे.
एक्सपोर्टरों का कहना है कि जहां पहले यूएसए जाने वाले कंटेनर का माल भाड़ा $3000 हुआ करता था. वो बढ़कर अब $12000 हो गया है. पानीपत से लगभग 50 दूसरे देशों जैसे- यूरोपियन देश, यूएएस, पुर्तगाल और ब्राजील में कंटेनर के जरिए टेक्सटाइल उत्पादों को भेजा जाता है. हर देश में माल भेजना अब लगभग 3 गुना बढ़ गया है. माल भाड़ा बढ़ने से अब रोड प्रोडक्ट की कीमत भी महंगी हो गई है. जिसके कारण अब हर कोई माल भाड़ा कम होने का इंतजार कर रहे हैं.
शिपिंग कंपनी के लोगों का कहना है कि पानीपत से रोजाना हजारों कंटेनर निकलते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास अभी लगातार ऑर्डर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली कंटेनर नहीं मिल रहे. जिसकी वजह से एक्सपोर्ट का माल रोका गया है. माल भी समय पर नहीं पहुंच पा रहा है. एक्सपोर्टरों की मांग है कि केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और माल भाड़ा में सब्सिडी का प्रावधान करना चाहिए, क्योंकि अब हमारे देश के पास दुनिया में छाप छोड़ने का समय है. चीन के सामान के बॉयकॉट के बाद अब जो ऑर्डर हमारे देश को मिल रहे हैं. उससे पूरे विश्व भर में देश का नाम ऊपर उठ सकता है.