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ग्लोबल साइबर हैकिंग के मामलों में हरियाणा पुलिस कैसे करती है जांच? जानें डीसीपी पंचकूला से

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Published : Jun 24, 2020, 8:41 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 2:55 PM IST

आज आधुनिक युग में साइबर अटैकर्स पूरी दुनिया के लिए चुनौती बने हुए हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा से जाना कि इन ग्लोबल साइबर हैकर्स पर नकेल कसने के लिए हरियाणा पुलिस किन तरीकों का इस्तेमाल करती हैं.

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मोहित हांडा, डीसीपी पंचकूला

पंचकूला: साइबर अटैक से पूरी दुनिया परेशान है. भारत भी इस टेक्निकल हमले से अछूता नहीं रहा. पिछले एक दशक में साइबर अटैकर्स ने कई महत्पूर्ण डाटाबेस को चुराया है और बदले में फिरौती भी मांगी. इन बढ़ते विश्वव्यापी साइबर हैकिंग्स के बाद पुलिस ने भी इन अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष तैयारियां की है.

पिछले कुछ सालों ने हैकर्स से निपटने के लिए खुद को तैयार किया है. कुछ मामलों में पुलिस को कामयाबी भी मिली है. इंटरनेट के ये अपराधी कैसे साइबर हैकिंग जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस इन अपराधियों कैसे नकेल कसती है, इस प्रक्रिया को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा से बातचीत की.

ग्लोबल साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देते हुए पंचकूला डीसीपी, देखिए वीडियो

डीसीपी पंचकूला मोहित हांडा के मुताबिक ग्लोबल साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों में लगातार परिवर्तन आ रहा है. उन्होंने बताया कि साइबर क्रिमिनल पहले केवल किसी कंपनी के सिस्टम या अकाउंट हैक कर उसमें से पैसे निकालते थे, लेकिन अब इसमें तरह-तरह के बदलाव आ रहे हैं, जैसे किसी का आईडेंटिटी चुरा लेने का मामला, जिसमें हैकर किसी व्यक्ति की फेक प्रोफाइल बनाकर के उसके बारे में आपत्तिजनक मैसेज डाल देता है या फिर उनके दोस्तों को आपत्तिजनक मैसेजेस कर देता है. मौजूदा समय में ई-वायलेट फ्रॉड भी सामने आ रहे हैं, जैसे कि पेटीएम, फोन-पे जैसे एप्लिकेशन के वॉलेट से पैसे चुरा लेना.

'पुलिस ट्रेनिंग भी होती है, प्राइवेट एक्सपर्ट्स की मदद भी लेते हैं'

साइबर पुलिस की टीम इसमें लगातार प्रशिक्षित की जा रही है. पुलिस कर्मचारियों को इसमें परीक्षण दिया जा रहा है. अगर फ्रॉड का कोई जटिल मामला होता है तो उसमें बाहर के आईटी एक्सपर्ट्स की मदद ली जाती है. इनसे भी प्रशिक्षण करवाया जाता है ताकि अप टू डेट रहा जा सके. डीसीपी ने बताया कि मौजूदा समय में जितने भी नए साइबर क्राइम हो रहे हैं वे ग्लोबल नेचर के है.

उन्होंने बताया कि ग्लोबल नेचर के अपराधी दूसरी स्टेट या फिर दूसरी कंट्री से भी होते हैं, जिसके लिए पुलिस का तालमेल सर्विस प्रोवाइडर्स, फेसबुक, ट्विटर आदि के साथ रहता है ताकि कानूनी रिक्वायरमेंट पूरी करके सर्विस प्रोवाइडर से ऑफिशियल इंफॉर्मेशन ली जा सके और फिर जब मामला कोर्ट में जाये तो किसी भी सबूत या सीआरपीसी के प्रोविजन की अवेहलना ना हो.

पुलिस अकादमी में दी जाती है ट्रेनिंग

साइबर हैकर्स से बचने के लिए हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में भी कई प्रकार के कोर्स करवाए जाते हैं. जिसमें बैंकिंग सेक्टर, आईटी एक्सपोर्ट्स को एक जगह इकट्ठा करके सभी साइबर सेल टेक्निकल टीम को प्रशिक्षण दिया जाता है. कुछ महत्वपूर्ण मामलों में एजेंसीयों, इंस्टिट्यूट्स के एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जाती है. डीसीपी ने बताया कि किसी तरह के एनालिसिस में अगर प्राइवेट सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है तो उनकी मदद भी ली जाती है.

लोगों को भी जागरुक करती है पुलिस

पंचकूला के डीसीपी ने इस बातचीत में बताया कि पुलिस को दो पहलुओं पर काम करना होता है. जिसमें प्रिवेंशन ऑफ क्राइम और डिटेक्शन ऑफ क्राइम शामिल है. जिसके लिए पुलिस की कोशिश रहती है कि पुलिस को सबसे पहले ट्रेन्ड किया जाये और फिर उसके साथ-साथ पब्लिक को भी जागरूक किया जाये.

उन्होंने बताया कि डिस्ट्रिक्ट पुलिस लॉकडाउन से पहले स्कूल, कॉलेज में जाती थी और स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम से संबंधित सेशन दिया करती थी, ताकि युवा बच्चे भी जागरुक रह सकें. बच्चों को भी समझ आ सके कि किस तरह से उन्हें कोई झांसा दे सकता है और वो साइबर क्राइम से बच सकें. उन्होंने बताया कि बैंक से जुड़े जिन खातों में से पैसे कट जाते हैं उसके लिए ऐसा प्रक्षिक्षण करवाया जाता है जिसमे बैंक के अधिकारी समझते है कि बैंक फ्रॉड का सुराग लगाने में बैंक का और पुलिस का क्या रोल रहेगा.

वायरस के जरिए भी होती है हैंकिंग

समय के साथ हैकिंग करने का स्तर भी बदला है. पिछले एक दशक में बड़े-बड़े आईटी प्रोफेशनल पर भी साइबर हैकिंग जैसी वारदातों को अंजाम देने के आरोप लगे हैं. कुछ प्रोफेशनल्स कोडिंग करके कुछ ऐसे ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर्स को तैयार करते हैं, जो लोगों के कंप्यूटर्स को हैक कर लेते हैं.

ऐसे ही एक कंप्यूटर वायरस रैंसमवेयर ने साल 2017 में पूरी दुनिया तबाही मचाई थी. आईटी हैकर्स ने दुनियाभर के हजारों कंप्यूटर्स को हैक करके. लोगों से डाटा वापस लौटाने के लिए फिरौती मांगी थी.

क्या है रैंसमवेयर वायरस

रैंसमवेयर एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम होता है, जो आपकी इजाजत के बगैर आपके कंप्यूटर में घुस जाता है. आपके कंप्यूटर में जितनी भी जानकारी होती है, वो उस पर ताला लगा देता है और आप को कहता है कि आप बिटकॉइन पर 300 से 600 डॉलर फिरौती की रकम जमा कीजिए तो मैं आपको ताले की चाबी दूंगा. अगर आपने वो फिरौती दे दिया तो वह आपको एक्सेस दे देते हैं और आप डाटा एक्सेस कर पाते हैं अगर आपने फिरौती नहीं दिया तो सदैव के लिए वह डाटा आपके हाथों से चला जाता है.

panchkula dcp mohit handa analysis cyber crime and investigation process
ग्लोबल साइबर क्राइम
panchkula dcp mohit handa analysis cyber crime and investigation process
ग्लोबल साइबर क्राइम

ये भी पढ़िए: हरियाणा ब्याज छूट योजना का वेब पोर्टल शुरू, बिना किसी कोलेटरल के मिलेगा लोन

पंचकूला: साइबर अटैक से पूरी दुनिया परेशान है. भारत भी इस टेक्निकल हमले से अछूता नहीं रहा. पिछले एक दशक में साइबर अटैकर्स ने कई महत्पूर्ण डाटाबेस को चुराया है और बदले में फिरौती भी मांगी. इन बढ़ते विश्वव्यापी साइबर हैकिंग्स के बाद पुलिस ने भी इन अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष तैयारियां की है.

पिछले कुछ सालों ने हैकर्स से निपटने के लिए खुद को तैयार किया है. कुछ मामलों में पुलिस को कामयाबी भी मिली है. इंटरनेट के ये अपराधी कैसे साइबर हैकिंग जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस इन अपराधियों कैसे नकेल कसती है, इस प्रक्रिया को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा से बातचीत की.

ग्लोबल साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देते हुए पंचकूला डीसीपी, देखिए वीडियो

डीसीपी पंचकूला मोहित हांडा के मुताबिक ग्लोबल साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों में लगातार परिवर्तन आ रहा है. उन्होंने बताया कि साइबर क्रिमिनल पहले केवल किसी कंपनी के सिस्टम या अकाउंट हैक कर उसमें से पैसे निकालते थे, लेकिन अब इसमें तरह-तरह के बदलाव आ रहे हैं, जैसे किसी का आईडेंटिटी चुरा लेने का मामला, जिसमें हैकर किसी व्यक्ति की फेक प्रोफाइल बनाकर के उसके बारे में आपत्तिजनक मैसेज डाल देता है या फिर उनके दोस्तों को आपत्तिजनक मैसेजेस कर देता है. मौजूदा समय में ई-वायलेट फ्रॉड भी सामने आ रहे हैं, जैसे कि पेटीएम, फोन-पे जैसे एप्लिकेशन के वॉलेट से पैसे चुरा लेना.

'पुलिस ट्रेनिंग भी होती है, प्राइवेट एक्सपर्ट्स की मदद भी लेते हैं'

साइबर पुलिस की टीम इसमें लगातार प्रशिक्षित की जा रही है. पुलिस कर्मचारियों को इसमें परीक्षण दिया जा रहा है. अगर फ्रॉड का कोई जटिल मामला होता है तो उसमें बाहर के आईटी एक्सपर्ट्स की मदद ली जाती है. इनसे भी प्रशिक्षण करवाया जाता है ताकि अप टू डेट रहा जा सके. डीसीपी ने बताया कि मौजूदा समय में जितने भी नए साइबर क्राइम हो रहे हैं वे ग्लोबल नेचर के है.

उन्होंने बताया कि ग्लोबल नेचर के अपराधी दूसरी स्टेट या फिर दूसरी कंट्री से भी होते हैं, जिसके लिए पुलिस का तालमेल सर्विस प्रोवाइडर्स, फेसबुक, ट्विटर आदि के साथ रहता है ताकि कानूनी रिक्वायरमेंट पूरी करके सर्विस प्रोवाइडर से ऑफिशियल इंफॉर्मेशन ली जा सके और फिर जब मामला कोर्ट में जाये तो किसी भी सबूत या सीआरपीसी के प्रोविजन की अवेहलना ना हो.

पुलिस अकादमी में दी जाती है ट्रेनिंग

साइबर हैकर्स से बचने के लिए हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में भी कई प्रकार के कोर्स करवाए जाते हैं. जिसमें बैंकिंग सेक्टर, आईटी एक्सपोर्ट्स को एक जगह इकट्ठा करके सभी साइबर सेल टेक्निकल टीम को प्रशिक्षण दिया जाता है. कुछ महत्वपूर्ण मामलों में एजेंसीयों, इंस्टिट्यूट्स के एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जाती है. डीसीपी ने बताया कि किसी तरह के एनालिसिस में अगर प्राइवेट सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है तो उनकी मदद भी ली जाती है.

लोगों को भी जागरुक करती है पुलिस

पंचकूला के डीसीपी ने इस बातचीत में बताया कि पुलिस को दो पहलुओं पर काम करना होता है. जिसमें प्रिवेंशन ऑफ क्राइम और डिटेक्शन ऑफ क्राइम शामिल है. जिसके लिए पुलिस की कोशिश रहती है कि पुलिस को सबसे पहले ट्रेन्ड किया जाये और फिर उसके साथ-साथ पब्लिक को भी जागरूक किया जाये.

उन्होंने बताया कि डिस्ट्रिक्ट पुलिस लॉकडाउन से पहले स्कूल, कॉलेज में जाती थी और स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम से संबंधित सेशन दिया करती थी, ताकि युवा बच्चे भी जागरुक रह सकें. बच्चों को भी समझ आ सके कि किस तरह से उन्हें कोई झांसा दे सकता है और वो साइबर क्राइम से बच सकें. उन्होंने बताया कि बैंक से जुड़े जिन खातों में से पैसे कट जाते हैं उसके लिए ऐसा प्रक्षिक्षण करवाया जाता है जिसमे बैंक के अधिकारी समझते है कि बैंक फ्रॉड का सुराग लगाने में बैंक का और पुलिस का क्या रोल रहेगा.

वायरस के जरिए भी होती है हैंकिंग

समय के साथ हैकिंग करने का स्तर भी बदला है. पिछले एक दशक में बड़े-बड़े आईटी प्रोफेशनल पर भी साइबर हैकिंग जैसी वारदातों को अंजाम देने के आरोप लगे हैं. कुछ प्रोफेशनल्स कोडिंग करके कुछ ऐसे ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर्स को तैयार करते हैं, जो लोगों के कंप्यूटर्स को हैक कर लेते हैं.

ऐसे ही एक कंप्यूटर वायरस रैंसमवेयर ने साल 2017 में पूरी दुनिया तबाही मचाई थी. आईटी हैकर्स ने दुनियाभर के हजारों कंप्यूटर्स को हैक करके. लोगों से डाटा वापस लौटाने के लिए फिरौती मांगी थी.

क्या है रैंसमवेयर वायरस

रैंसमवेयर एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम होता है, जो आपकी इजाजत के बगैर आपके कंप्यूटर में घुस जाता है. आपके कंप्यूटर में जितनी भी जानकारी होती है, वो उस पर ताला लगा देता है और आप को कहता है कि आप बिटकॉइन पर 300 से 600 डॉलर फिरौती की रकम जमा कीजिए तो मैं आपको ताले की चाबी दूंगा. अगर आपने वो फिरौती दे दिया तो वह आपको एक्सेस दे देते हैं और आप डाटा एक्सेस कर पाते हैं अगर आपने फिरौती नहीं दिया तो सदैव के लिए वह डाटा आपके हाथों से चला जाता है.

panchkula dcp mohit handa analysis cyber crime and investigation process
ग्लोबल साइबर क्राइम
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ग्लोबल साइबर क्राइम

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Last Updated : Jun 25, 2020, 2:55 PM IST
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