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पंचकूलाः AJL प्लॉट आवंटन मामले में नहीं हो पाई सुनवाई, 18 मार्च को होगी अगली सुनवाई - भूपेंद्र हुड्डा पंटकूला कोर्ट

एजेएल मामले की सुनवाई में आज कोई खास कार्रवाई नहीं हुई और आरोपी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की केवल हाजिरी लगी. मामले की अगली सुनवाई अब 18 मार्च को होगी और आरोपियों पर चार्ज लगाए जाने को लेकर बहस जारी रहेगी.

ajl plant allocation case
AJL प्लॉट आवंटन मामले में आरोपी भूपेंद्र हुड्डा कोर्ट में पेश हुए
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Published : Feb 18, 2020, 1:25 PM IST

पंचकूलाः एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में आज पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई. मामले के मुख्य आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई कोर्ट में पेश हुए. वहीं एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा सीबीआई कोर्ट में पेश नहीं हुए.

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा मामले में आरोपी मोतीलाल वोरा के मेडिकल कारणों के चलते परमानेंट असंपशन के लिए लगाई गई याचिका को कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. जिसके बाद से मोती लाल वोरा हाजिरी माफी पर रहते हैं. प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले पूरी हो चुकी है.

AJL प्लॉट आवंटन मामले में आरोपी भूपेंद्र हुड्डा कोर्ट में पेश हुए

सुनवाई में नहीं हुई कोई कार्रवाई

मामले की सुनवाई में आज कोई खास कार्रवाई नहीं हुई और आरोपी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की केवल हाजिरी लगी. मामले की अगली सुनवाई अब 18 मार्च को होगी और आरोपियों पर चार्ज लगाए जाने को लेकर बहस जारी रहेगी. आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तत्कालीन समय में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे, वहीं मोतीलाल वोरा एजेएल हाउस के चेयरमैन थे.

ये भी पढ़ेंः नशे पर नकेल की तैयारी में हरियाणा पुलिस, जल्द टीम में शामिल होंगे 64 स्निफर डॉग

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला
1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुड्डा पर लगे आरोप

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड(एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

पंचकूलाः एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में आज पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई. मामले के मुख्य आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई कोर्ट में पेश हुए. वहीं एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा सीबीआई कोर्ट में पेश नहीं हुए.

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा मामले में आरोपी मोतीलाल वोरा के मेडिकल कारणों के चलते परमानेंट असंपशन के लिए लगाई गई याचिका को कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. जिसके बाद से मोती लाल वोरा हाजिरी माफी पर रहते हैं. प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले पूरी हो चुकी है.

AJL प्लॉट आवंटन मामले में आरोपी भूपेंद्र हुड्डा कोर्ट में पेश हुए

सुनवाई में नहीं हुई कोई कार्रवाई

मामले की सुनवाई में आज कोई खास कार्रवाई नहीं हुई और आरोपी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की केवल हाजिरी लगी. मामले की अगली सुनवाई अब 18 मार्च को होगी और आरोपियों पर चार्ज लगाए जाने को लेकर बहस जारी रहेगी. आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तत्कालीन समय में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे, वहीं मोतीलाल वोरा एजेएल हाउस के चेयरमैन थे.

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क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला
1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया. कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया. 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया.

हुड्डा पर लगे आरोप

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड(एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया. मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

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