पलवल: दिल्ली-एनसीआर के तमाम बॉडरों पर कृषि कानूनों को रद्द कराने और एमएसपी पर कानून बनवाने के लिए किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है और छह दिनों से लगातार सभी धरना स्थलों पर किसानों की 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल चल रही है. पलवल के नेशनल हाइवे-19 स्थित अटौहां चौक पर किसानों का धरना-प्रदर्शन 24 वें दिन भी जारी रहा. इस धरने में मध्यप्रदेश, बुंदेलखंड़, राजस्थान, यूपी के किसानों के साथ-साथ पलवल जिले के किसान भी धरने पर बैठे हैं. पलवल जिले से रोजाना एक गांव के किसान धरने पर समर्थन देने पहुंच रहे हैं. किसान अपने -अपने तरीके से मोदी सरकार पर कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिये हमला बोलते दिखाई देते हैं.
इसी कड़ी में सांगवान खाप के प्रधान व हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान दूसरी बार पलवल में किसानों के धरने पर पहुंचे और किसानों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार को घेरा. वहीं प्रदेश सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों को भी खूब खरी-खोटी सुनाई. वहीं सांगवान ने सिख समुदाय की जमकर तारीफ की.
34 साल बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है: सांगवान
किसानों को संबोधित करते हुए सोमवीर सांगवान ने कहा कि 34 साल बाद इतिहास दोहराने जा रहा है. किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैट के नेतृत्व में लाखों की संख्या में केंद्र सरकार के खिलाफ किसान दिल्ली पहुंचे थे. आज फिर किसानों के ऊपर ज्यादाती हो रही है. तीनों कृषि कानूनों में किसानों की भलाई नाम की कोई चीज नहीं . पीएम मोदी ने 2-2 हजार रुपये किसानों के खाते में डालकर 18 हजार करोड़ रुपये बांट दिये. इस तरह से पीएम ने किसानों को बहकाने का काम किया है. जैसे छोटे-छोटे बच्चों को टॉफी बांटी जाती हैं.
ये आंदोलन 36 बिरादरी का आंदोलन है: सांगवान
उन्होंने कहा कि बेशक पैसा वापस ले लो और कृषि कानूनों को भी वापस करो. यदि किसान जिंदा रहेगा तो देश रहेगा. देश की 85 प्रतिशत आबादी किसानी का काम करती है. ये देश अमेरिका और यूरोप जैसा नहीं है. यहां की सारी अर्थव्यवस्था किसानों पर आधारित है. ये आंदोन 36 बिरादरी के लोगों का आंदोलन है. सभी एक साथ इस लड़ाई को लड़ने का काम करें और आंदोलन को और मजबूत करने का काम करें. उन्होंने कहा कि किसान अब जाग उठा है. किसी के बहकावे में नहीं आने वाला. पीएम मोदी को उद्योगपतियों ने अपने जाल फंसा रखा है. यदि कृषि कानून रद्द नहीं हुए, तो तीसरी बार मोदी सरकार नहीं बनेगी. इस लिये इन्हे रद्द करके चौथा कानून किसानों की सहमती से बनाया जाए.
ये भी पढ़ें: किसान संगठनों की बैठक आज, सरकार के प्रस्ताव पर होगा फैसला
'किसान को किसान बताने के लिए नहीं है किसी सर्टिफिकेट की जरूरत'
वहीं विधायक सोमवीर सांगवान ने धरने पर बैठे किसानों को सरकार द्वारा किसान नहीं मानने वाले बयान का भी जबाव दिया और कहा कि किसान को किसान बताने के लिये कोई सर्टिफिकेट देने की जरुरत नहीं होती. यदि ये किसान नहीं होते, तो फिर सड़कों पर सर्द रात में एक माह से क्यों ठहरने के लिये मजबूर होते? ये देशभक्त और किसान भाई हैं. इनका हक सरकार को देना होगा. ये कोई भीख नहीं मांग रहे.