पलवल: देश भर में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो पुश्तैनी काम-काम को करते आ रहे हैं. कई लोग त्योहारी सीजन के नजदीक आते ही काफी खुश हो जाते हैं. क्योंकि इस सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद रहती है. कुम्हारों ने भी मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया और कुल्हड़ खिलौने इत्यादि बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन, पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुम्हारों को महंगाई की मार सताने लगी है. महंगाई की मार और इलेक्ट्रॉनिक बाजार से कुम्हार काफी चिंतित नजर आ रहे हैं.
महंगाई से कुम्हार परेशान: पलवल के पैठ मोहल्ला के रहने वाले कुम्हार अशोक कुमार पिछले 15 सालों से मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया बनाने का कार्य करते हैं. इससे पहले उनके पूर्वज भी यही काम किया करते थे. ऐसे में परिवार चलाने के लिए उन्होंने पुश्तैनी काम को ही जारी रखना बेहतर समझा. अशोक कहते हैं 'त्योहारी सीजन नजदीक आते ही दीप, करवा समेत कई पूजा के लिए सामान बनाने शुरू कर दिए हैं. लेकिन, इस वर्ष भी महंगाई की मार सताने लगी है. इस बार 500 से 1000 रुपये प्रति ट्रॉली मिट्टी, 150 से 200 रुपये ईंधन और 5 से 10 रुपये प्रति किलो धान के छिलके में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में सामान बनाने में लागत अधिक आने से हम सब काफी चिंतित हैं. इन सामानों को बेचने की चिंता अभी से सताने लगी है.'
'पहले होती थी अच्छी कमाई': कुम्हारों के अनुसार, एक सीजन की कमाई से ही वे साल भर परिवार चलाते हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों में कुम्हारों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. इसके अलावा पहले के मुकाबले अब मिट्टी का सामान बनाने में भी दोगुनी मेहनत लगती है. पहले त्योहारी सीजन में कुम्हार मिट्टी से बने उत्पादों से अच्छी कमाई कर लेते थे. लेकिन, कुम्हारों को डर है कि कहीं इस बार उनका त्योहार और कारोबार फीका ही न रह जाए.
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कुम्हारों की सरकार से अपील: कुम्हार के अनुसार सरकार ने भी कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए गांवों में पांच-पांच एकड़ जमीन ग्राम पंचायतों से मिट्टी उठाने के लिए दिलाने की घोषणा की थी. ताकि कुम्हारों अधिक से अधिक मिट्टी बर्तन बना सकें और चीनी बर्तनों पर रोक लग सके. लेकिन आज तक कुम्हारों को मिट्टी उठाने के लिए 5 एकड़ तो दूर 1 एकड़ जमीन तक नहीं मिली है और ना ही सरकार की तरफ से कुम्हारों को किसी तरह की मदद मिल पा रही है. ऐसे में कुम्हारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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