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एक सीजन की कमाई से साल भर चलता है घर, महंगाई की मार और चाइनीज बाजार ने तोड़ी कुम्हारों की कमर!

Potters in palwal त्योहारी सीजन नजदीक आते हैं कारोबारियों में खुशी की किरण दौड़ पड़ती है. लेकिन कुम्हार त्योहारी सीजन में भी परेशान हैं. इलेक्ट्रॉनिक बाजार और महंगाई ने कुम्हारों की कमर तोड़कर रख दी है. ऐसे में हरियाणा के पलवल में कुम्हार इन दिनों काफी परेशान हैं. (Haryana Potters facing problem festive season inflation Diwali 2023)

Haryana Potters facing problem in festive season
त्योहारी सीजन में कुम्हार परेशान
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 2, 2023, 9:11 AM IST

त्योहारी सीजन में कुम्हार परेशान.

पलवल: देश भर में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो पुश्तैनी काम-काम को करते आ रहे हैं. कई लोग त्योहारी सीजन के नजदीक आते ही काफी खुश हो जाते हैं. क्योंकि इस सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद रहती है. कुम्हारों ने भी मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया और कुल्हड़ खिलौने इत्यादि बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन, पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुम्हारों को महंगाई की मार सताने लगी है. महंगाई की मार और इलेक्ट्रॉनिक बाजार से कुम्हार काफी चिंतित नजर आ रहे हैं.

महंगाई से कुम्हार परेशान: पलवल के पैठ मोहल्ला के रहने वाले कुम्हार अशोक कुमार पिछले 15 सालों से मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया बनाने का कार्य करते हैं. इससे पहले उनके पूर्वज भी यही काम किया करते थे. ऐसे में परिवार चलाने के लिए उन्होंने पुश्तैनी काम को ही जारी रखना बेहतर समझा. अशोक कहते हैं 'त्योहारी सीजन नजदीक आते ही दीप, करवा समेत कई पूजा के लिए सामान बनाने शुरू कर दिए हैं. लेकिन, इस वर्ष भी महंगाई की मार सताने लगी है. इस बार 500 से 1000 रुपये प्रति ट्रॉली मिट्टी, 150 से 200 रुपये ईंधन और 5 से 10 रुपये प्रति किलो धान के छिलके में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में सामान बनाने में लागत अधिक आने से हम सब काफी चिंतित हैं. इन सामानों को बेचने की चिंता अभी से सताने लगी है.'

Haryana Potters facing problem in festive season
मिट्टी की कीमतों में बढ़ोतरी से कुम्हार परेशान.

'पहले होती थी अच्छी कमाई': कुम्हारों के अनुसार, एक सीजन की कमाई से ही वे साल भर परिवार चलाते हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों में कुम्हारों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. इसके अलावा पहले के मुकाबले अब मिट्टी का सामान बनाने में भी दोगुनी मेहनत लगती है. पहले त्योहारी सीजन में कुम्हार मिट्टी से बने उत्पादों से अच्छी कमाई कर लेते थे. लेकिन, कुम्हारों को डर है कि कहीं इस बार उनका त्योहार और कारोबार फीका ही न रह जाए.

ये भी पढ़ें: How To Deal With Back Pain During Diwali2023 Cleaning: दिवाली की सफाई के दौरान कमर दर्द से कैसे बचें?

कुम्हारों की सरकार से अपील: कुम्हार के अनुसार सरकार ने भी कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए गांवों में पांच-पांच एकड़ जमीन ग्राम पंचायतों से मिट्टी उठाने के लिए दिलाने की घोषणा की थी. ताकि कुम्हारों अधिक से अधिक मिट्टी बर्तन बना सकें और चीनी बर्तनों पर रोक लग सके. लेकिन आज तक कुम्हारों को मिट्टी उठाने के लिए 5 एकड़ तो दूर 1 एकड़ जमीन तक नहीं मिली है और ना ही सरकार की तरफ से कुम्हारों को किसी तरह की मदद मिल पा रही है. ऐसे में कुम्हारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें: Parali Pollution Problem : पराली जलाने में पंजाब आगे, हरियाणा छूटा काफी पीछे, दिल्ली-एनसीआर में आखिर क्यों घुट रहा लोगों का दम ?

त्योहारी सीजन में कुम्हार परेशान.

पलवल: देश भर में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो पुश्तैनी काम-काम को करते आ रहे हैं. कई लोग त्योहारी सीजन के नजदीक आते ही काफी खुश हो जाते हैं. क्योंकि इस सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद रहती है. कुम्हारों ने भी मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया और कुल्हड़ खिलौने इत्यादि बनाना शुरू कर दिया है. लेकिन, पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुम्हारों को महंगाई की मार सताने लगी है. महंगाई की मार और इलेक्ट्रॉनिक बाजार से कुम्हार काफी चिंतित नजर आ रहे हैं.

महंगाई से कुम्हार परेशान: पलवल के पैठ मोहल्ला के रहने वाले कुम्हार अशोक कुमार पिछले 15 सालों से मिट्टी से बनने वाले दीपक, करवा, घड़िया बनाने का कार्य करते हैं. इससे पहले उनके पूर्वज भी यही काम किया करते थे. ऐसे में परिवार चलाने के लिए उन्होंने पुश्तैनी काम को ही जारी रखना बेहतर समझा. अशोक कहते हैं 'त्योहारी सीजन नजदीक आते ही दीप, करवा समेत कई पूजा के लिए सामान बनाने शुरू कर दिए हैं. लेकिन, इस वर्ष भी महंगाई की मार सताने लगी है. इस बार 500 से 1000 रुपये प्रति ट्रॉली मिट्टी, 150 से 200 रुपये ईंधन और 5 से 10 रुपये प्रति किलो धान के छिलके में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में सामान बनाने में लागत अधिक आने से हम सब काफी चिंतित हैं. इन सामानों को बेचने की चिंता अभी से सताने लगी है.'

Haryana Potters facing problem in festive season
मिट्टी की कीमतों में बढ़ोतरी से कुम्हार परेशान.

'पहले होती थी अच्छी कमाई': कुम्हारों के अनुसार, एक सीजन की कमाई से ही वे साल भर परिवार चलाते हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों में कुम्हारों का कारोबार काफी प्रभावित हुआ है. इसके अलावा पहले के मुकाबले अब मिट्टी का सामान बनाने में भी दोगुनी मेहनत लगती है. पहले त्योहारी सीजन में कुम्हार मिट्टी से बने उत्पादों से अच्छी कमाई कर लेते थे. लेकिन, कुम्हारों को डर है कि कहीं इस बार उनका त्योहार और कारोबार फीका ही न रह जाए.

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कुम्हारों की सरकार से अपील: कुम्हार के अनुसार सरकार ने भी कुम्हारों को बढ़ावा देने के लिए गांवों में पांच-पांच एकड़ जमीन ग्राम पंचायतों से मिट्टी उठाने के लिए दिलाने की घोषणा की थी. ताकि कुम्हारों अधिक से अधिक मिट्टी बर्तन बना सकें और चीनी बर्तनों पर रोक लग सके. लेकिन आज तक कुम्हारों को मिट्टी उठाने के लिए 5 एकड़ तो दूर 1 एकड़ जमीन तक नहीं मिली है और ना ही सरकार की तरफ से कुम्हारों को किसी तरह की मदद मिल पा रही है. ऐसे में कुम्हारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

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