पलवल: ब्रज क्षेत्र में होली की धूम है. यहां रंगों का नशा है और चारों तरफ भक्ति रस में मदमस्त झूम रहे कृष्ण लीलाओं के दिवाने रसियों ने समां बाधा हुआ है, क्योंकि फागन मास शुरू हो चुका है, ऐसे में ब्रज क्षेत्र में होली की गजब की छटा दिखाई दे रही है.
बंचारी में दिखता है फाग का असली रंग
ब्रज क्षेत्र में लोग पूरा साल बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं, क्योंकि फागुन के महीने में ब्रज क्षेत्र की होली जबरदस्त तरीके से मनाया जाता है. पलवल जिले के गांव बंचारी का तो कहना ही क्या है, यहां पूरे फागुन के महीने में जमकर नाच गाना होता है. एक तरफ महिलाएं होती है तो दूसरी तरफ पुरुष होते है और फिर शुरु होता है उड़ते गुलाल के बीच नागाड़ों के धुन पर नाच-गानों का.
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बंचारी आएं और थिरके नहीं, ऐसा हो नहीं सकता
बंचारी गायक वेद प्रकाश कहते हैं कि जैसे-जैसे होली नजदीक आती है, इस गांव में वो माहौल बन जाता है कि जैसे यहां मस्ती और खुशियों की बाढ़ आ गई हो. ढोल-नगाड़ों की थाप और गीतकारों की मदमस्त करने वाली तान आपको भी थिरकने पर मजबूर कर देगी.
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अनोखे अंदाज में मनाई जाती है यहां की होली
यहां होली खेलने का अंदाज कुछ अलग ही होता है, यहां महिलाएं और पुरुष दोनों गाना हाते हैं, पुरुष महिलाओं पर गीतों से रिझाते हैं, तो महिलाएं भी पुरुषों पर तंज कसती हैं. बेशल वेस्टर्न कल्चर हावी हो, लेकिन होली के मौके पर महिलाएं अपनी पारंपरिक वस्त्रों में होती है, जिसे ओढ़ना और घागरा कहते हैं.
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कवियों और गायकों के लिए मशहूर है बंचारी गांव
बता दें कि बचांरी गांव गायकों और कवियों के लिए देश और दुनिया में मशहूर है. यहां के कवियों की कविताओं ने समाज की हर कूरितियों को दूर करने के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी हैं, वहीं बंचारे समुह के लोक गीतों की छटा हरियाणा के हर सरकारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देखने को मिल जाएगी.
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