पलवल: इन दिनों हरियाणा में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. एक तबका ऐसा भी है जो इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. दरअसल पलवल में गरीब और बेघरों के लिए बनाए गए रैन बसेरे (night shelters in palwal) खस्ता हालत में हैं. ना कोई अधिकारी इनकी सुध ले रहा है और ना ही लोगों को इनके बारे में जानकारी है. कहीं रजाई गद्दे नहीं हैं, तो कहीं ताला लटका है. अधिकारियों की अनदेखी के चलते गरीबों को फुटपाथों पर ही रात काटनी पड़ती है.
पलवल बस स्टैंड (palwal bus stand) पर हरियाणा रोडवेज की दो बसों में रैन बसेरे बनाए गए हैं. जिनपर देर रात ताले लटके मिले. रात नौ बजे के करीब इन रैन बसेरों के ताले खोले गए. वहां मौजूद जिला अलीगढ़ के रहने वाले अजीत ने बताया कि उन्हें रेलवे स्टेशन के समीप एक बीमार बुजुर्ग मिली जो ठंड से बचने के लिए बोरे में लिपटी हुई थी. जिसके बाद उसने वहां से दो कंबल खरीद कर उस बुजुर्ग महिला को दिए और उसे लेकर वो पलवल बस स्टैंड पर पहुंचा. जहां उसने पुलिसकर्मियों से सहायता मांगी.
जिसके बाद वो महिला को रैन बसेरे ले आया. वक्त तक रैन बसेरे पर ताला लटका था. जिसके बाद उसने बुजुर्ग महिला को बस स्टैंड परिसर में ही लेटा दिया और उसके हाथ-पैर की मालिश करने लगा. रात को करीब 9 बजे जब रैन बसेरा खुला तो उसने उस महिला को रैन बसेरे में सुला दिया. पलवल बस स्टैंड पर रैन बसेरों का निरीक्षण करने पहुंचे पलवल नगर परिषद में कार्यरत शहरी वित्तीय विशेषज्ञ मनीष कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से पलवल में दो रैन बसेरे बनाए गए हैं.
एक रैन बसेरा पलवल की जाट धर्मशाला में बनाया गया है और पलवल बस स्टैंड परिसर में हरियाणा रोडवेज की दो बसों में रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि रैन बसेरों का समय शाम करीब 7:30 बजे से सुबह 7:00 बजे तक का रहता है. जब मीडिया ने उनसे पूछा कि पलवल बस स्टैंड में रोडवेज की दो बसों में बनाए गए रैन बसेरों पर रात के करीब 8:45 बजे तक ताले लटके हुए थे. उन्होंने बात को टालमटोल करते हुए कहा कि पलवल बस स्टैंड परिसर में बनाए गए दोनों रैन बसेरों पर तैनात कर्मचारी जाम में फंस गया था. जिस वजह से रैन बसेरा लेट खुल पाया. रोजाना ये शाम 7 बजे तक खोल दिया जाता है.
पलवल जाट धर्मशाला (jat dharamshala in palwal) में बनाए गए रैन बसेरों का भी हाल बदहाल ही मिला. मैनेजर सुखबीर सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से यहां रेन बसेरे की व्यवस्था की गई है. प्रशासन की तरफ से यहां 10 रजाई और 10 गद्दे दिए गए हैं. इस साल उन्हें नई रजाई और गद्दे नहीं दिए गए. 10 रजाई और 10 गद्दे जो उनके पास हैं. वो पुराने हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक रेन बसेरे में रुकने के लिए कोई भी गरीब असहाय और बेसहारा लोग यहां नहीं पहुंचे हैं.