पलवल: उद्यान विभाग प्रदेश में मशरूम की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित (Mushroom farming in Palwal) कर रहा है. जिला उद्यान विभाग पलवल अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पलवल जिले में 35 किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए सब्सिडी प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है.
किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा साधन: अब्दुल रज्जाक (Palwal Horticulture Department) ने बताया कि मशरूम की खेती करना किसानों की आय को बढ़ाने का सबसे अच्छा साधन है. किसान बटन मशरूम की खेती कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. मशरूम की खेती करने पर किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि पलवल में मशरूम के तीन प्रोजेक्ट कार्यरत हैं. जिनमें एक प्रोजेक्ट गांव धतीर, हथीन व नांगल ब्राह्मण में लगा हुआ है.
मशरूम के प्रोजेक्ट पर अनुदान: नांगल ब्राह्मण में प्रगतिशील किसान दयाकिशन ने मशरूम का प्रोजेक्ट लगाया हुआ है, जिसमें 600 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन प्रतिदिन किया जा रहा है. विभाग की ओर से किसानों को मशरूम के प्रोजेक्ट पर अनुदान दिया गया है. उन्होंने बताया कि पलवल जिले मे मशरूम की खेती करने के लिए 35 किसानों ने आवेदन किया है. ऐसे किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र मंडकौला में मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा.
कम्पोस्ट खाद से तैयार की जाती है मशरूम की खेती: गांव नांगल ब्रहमण के किसान दयाकिशन ने बताया कि वह डेढ़ एकड़ में मशरूम की खेती कर रहे हैं. इसके लिए कम्पोस्ट खाद तैयार की जाती है. उन्होंने बताया कि 6 रूम बनाकर मशरूम की खेती कर रहे हैं. प्रतिदिन 600 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन किया जाता है. मशरूम का बाजार में अच्छा रेट मिलता है. हर महीने 20 लाख रुपए की आमदनी होती है और 5 लाख रुपए का प्रॉफिट होता है. उन्होंने किसानों से परंपरागत खेती छोड़कर मशरूम की खेती करने की अपील की.
एक सप्ताह में तैयार होता है प्रोजेक्ट: भूपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि मशरूम के प्रोजेक्ट (Mushroom project in Palwal) को एक सप्ताह में तैयार किया जाता है. इसे पकाने के लिए एक सप्ताह का समय लगता है. कम्पोस्ट को दस किलो के बैग में भरकर कमरे में भरा जाता है. एक कमरे में तीन हजार बैग आ जाते है. कमरे का तापमान मशरूम की खेती के अनुरूप किया जाता है.
एक महीने में तैयार होती है फसल: मशरूम की फसल एक महीने में तैयार हो जाती (farmer cultivating mushroom) है. मशरूम की फसल की कटिंग की जाती है. मशरूम की फसल तीन बार आती है. इसके बाद मशरूम की पैकिंग कर बाजार में भेजा जाता है. बाजार में मशरूम का रेट डेढ़ सौ रुपए तक मिल जाता है. मशरूम की मांग आजादपुर मंडी,फरीदाबाद व गुरुग्राम में लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.