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पलवल: युवाओं के लिए पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का किया आयोजन - पलवल केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर

पलवल के कृषि विज्ञान केंद्र मण्डकौला में युवाओं को स्वरोजगार हेतु पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया.

palwal earthworm rearing training camp
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Published : Mar 4, 2021, 8:28 PM IST

पलवल: युवाओं को स्वरोजगार हेतु कृषि विज्ञान केंद्र मण्डकौला में पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में अनुसूचित जाति के 30 युवक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र मण्डकौला के वरिष्ठ संयोजक डॉ. धर्मवीर पाठक ने कहा कि परंपरागत खेती के चलते व कृषि में रसायनिक खाद के अंधाधुंध व असंतुलित मात्रा में प्रयोग के चलते हमारी भूमि में जैविक अंश कम होता जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप भूमि की उपजाऊ शक्ति में गिरावट आ रही है.

भूमि के अंदर कठोर परत बनना, खरपतवार व कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ना, अत्याधिक ऊर्जा का खर्च, मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं सामने आने लगी हैं जोकि कृषि में टिकाऊ उत्पादन के लिए बाधक हैं.

युवाओं के लिए पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का किया आयोजन

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में मार्च शुरू होते ही छूटने लगे पसीने, पारा पहुंचा 30 के पार

उन्होंने बताया कि इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए केंचुआ (वर्मीकम्पोस्ट) खाद का उपयोग करना अति आवश्यक है. उन्होंने केंचुआ खाद व कम्पोस्ट खाद बनाने की विधियों, उनके रख-रखाव, उनके लाभ, रखने वाली सावधानियों व विभिन्न फसलों में उनके उपयोग बारे विस्तारपूर्वक बताया.

उन्होंने कहा कि युवा केंचुआ पालन को बतौर स्वरोजगार अपनाकर आय उपार्जन कर स्वावलम्बी बन सकते हैं. स्वरोजगार आरंभ करने हेतु प्रतिभागियों को स्वरोजगार सहायता सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई. डॉ. पाठक ने प्रतिभागियों से आह्वान करते हुए कहा कि ये प्रशिक्षण स्वरोजगार शुरू करने का सुनहरा अवसर है.

ये भी पढ़ें- करनाल के कई स्कूलों में फैला कोरोना! आज भी मिले 8 बच्चे संक्रमित

पलवल: युवाओं को स्वरोजगार हेतु कृषि विज्ञान केंद्र मण्डकौला में पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में अनुसूचित जाति के 30 युवक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र मण्डकौला के वरिष्ठ संयोजक डॉ. धर्मवीर पाठक ने कहा कि परंपरागत खेती के चलते व कृषि में रसायनिक खाद के अंधाधुंध व असंतुलित मात्रा में प्रयोग के चलते हमारी भूमि में जैविक अंश कम होता जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप भूमि की उपजाऊ शक्ति में गिरावट आ रही है.

भूमि के अंदर कठोर परत बनना, खरपतवार व कीट पतंगों का प्रकोप बढ़ना, अत्याधिक ऊर्जा का खर्च, मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं सामने आने लगी हैं जोकि कृषि में टिकाऊ उत्पादन के लिए बाधक हैं.

युवाओं के लिए पांच दिवसीय केंचुआ पालन प्रशिक्षण शिविर का किया आयोजन

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उन्होंने बताया कि इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए केंचुआ (वर्मीकम्पोस्ट) खाद का उपयोग करना अति आवश्यक है. उन्होंने केंचुआ खाद व कम्पोस्ट खाद बनाने की विधियों, उनके रख-रखाव, उनके लाभ, रखने वाली सावधानियों व विभिन्न फसलों में उनके उपयोग बारे विस्तारपूर्वक बताया.

उन्होंने कहा कि युवा केंचुआ पालन को बतौर स्वरोजगार अपनाकर आय उपार्जन कर स्वावलम्बी बन सकते हैं. स्वरोजगार आरंभ करने हेतु प्रतिभागियों को स्वरोजगार सहायता सामग्री भी उपलब्ध करवाई गई. डॉ. पाठक ने प्रतिभागियों से आह्वान करते हुए कहा कि ये प्रशिक्षण स्वरोजगार शुरू करने का सुनहरा अवसर है.

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