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नूंह: तावडू शेल्टर होम में प्रवासी मजदूर ने छोड़ा खाना, घर पहुंचाने की मांग पर अड़े - तावडू शेल्टर होम प्रवासी मजदूर नूंह

तावडू के शेल्टर होम में ठहरे बिहार के प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की मांग को लेकर खाना खाने से मना कर दिया. जिसके बाद जिला प्रशासन ने उन्हें समझाकर शांत कराया. प्रवासी मजदूरों ने प्रशासन से मांग की कि अगर वे उन्हें घर नहीं भेज सकते तो उन्हें छोड़ दें. वो पैदल ही घर चले जाएंगे.

migrant labourers demand to district administration to reach them their home in nuh
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Published : May 25, 2020, 12:35 PM IST

नूंह: तावडू में ठहरे बिहार के प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की जिद के चलते खाना खाने से इंकार कर दिया है. मामले की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मजदूरों को समझाया. जिसके बाद मजदूरों ने खाना खाया.

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 16 मई को 36 लोग नरेला दिल्ली से पैदल बिहार जा रहे थे. उन्होंने बताया कि जब वे घासेड़ा गांव के पास से गुजर रहे थे तो गांव के सरपंच ने उन्हें घर छोड़ने की बात कहकर रोक लिया. जिसके बाद सभी प्रवासी मजदूरों को तावडू शेल्टर होम में लाया गया.

तावडू शेल्टर होम में घर जाने की मांग को लेकर अड़े बिहार के प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों का आरोप है कि उन्हें यहां रहते 9 दिन बीत गए. लेकिन अभी तक घर नहीं छोड़ा गया. उन्होंने बताया कि प्रशासन कभी कहता है कि तुम लोगों का रजिस्ट्रेशन हो गया है और कभी कहता है कि तुम लोगों को खुद ही रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा. मजदूरों ने कहा कि अब प्रशासन ही जाने की उनका रजिस्ट्रेशन हुआ है या नहीं.

मजदूरों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें शेल्टर होम में समय से खाना भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि सुबह में चाय और बिस्किट दिया जाता है और उसके बाद दोपहर एक से दो बजे खाना दिया जाता है. प्रवासी मजदूरों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार उन्हें घर नहीं पहुंचा सकती है तो उन्हें यहां से छोड़ दिया जाए. वे पैदल ही अपने घर चले जाएंगे.

जब इस मामले के बारे में ड्यूटी मजिस्ट्रेट मनमोहन सिंह से बात की गई तो मजिस्ट्रेट ने सभी बातों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर सिर्फ घर जाने की बात पर अड़े हुए हैं.

इसे भी पढ़ें:गार्बेज फ्री शहरों के सर्वेक्षण में चंडीगढ़ पिछड़ा, अधिकारियों और कर्मचारियों में नहीं तालमेल!

नूंह: तावडू में ठहरे बिहार के प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की जिद के चलते खाना खाने से इंकार कर दिया है. मामले की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मजदूरों को समझाया. जिसके बाद मजदूरों ने खाना खाया.

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि 16 मई को 36 लोग नरेला दिल्ली से पैदल बिहार जा रहे थे. उन्होंने बताया कि जब वे घासेड़ा गांव के पास से गुजर रहे थे तो गांव के सरपंच ने उन्हें घर छोड़ने की बात कहकर रोक लिया. जिसके बाद सभी प्रवासी मजदूरों को तावडू शेल्टर होम में लाया गया.

तावडू शेल्टर होम में घर जाने की मांग को लेकर अड़े बिहार के प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों का आरोप है कि उन्हें यहां रहते 9 दिन बीत गए. लेकिन अभी तक घर नहीं छोड़ा गया. उन्होंने बताया कि प्रशासन कभी कहता है कि तुम लोगों का रजिस्ट्रेशन हो गया है और कभी कहता है कि तुम लोगों को खुद ही रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा. मजदूरों ने कहा कि अब प्रशासन ही जाने की उनका रजिस्ट्रेशन हुआ है या नहीं.

मजदूरों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें शेल्टर होम में समय से खाना भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि सुबह में चाय और बिस्किट दिया जाता है और उसके बाद दोपहर एक से दो बजे खाना दिया जाता है. प्रवासी मजदूरों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार उन्हें घर नहीं पहुंचा सकती है तो उन्हें यहां से छोड़ दिया जाए. वे पैदल ही अपने घर चले जाएंगे.

जब इस मामले के बारे में ड्यूटी मजिस्ट्रेट मनमोहन सिंह से बात की गई तो मजिस्ट्रेट ने सभी बातों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर सिर्फ घर जाने की बात पर अड़े हुए हैं.

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