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Health Facilities in Nuh: मांडीखेड़ा अस्पताल में नहीं अल्ट्रासाउंड की सुविधा, तपती गर्मी में भटकने को मजबूर मरीज

स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नूंह प्रशासन जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रहा. यहां 15 लाख से ज्यादा की आबादी के क्षेत्र पर अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा (lack health facilities in nuh) नहीं है.

lack health facilities in nuh
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Published : May 26, 2022, 6:04 PM IST

नूंह: स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नूंह प्रशासन जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रहा. यहां 15 लाख से ज्यादा की आबादी के क्षेत्र पर अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा (lack health facilities in nuh) नहीं है. यहां कभी डॉक्टर नहीं होते, कभी मशीन काम करना बंद कर देती है. नूंह के मांडीखेड़ा में बना सरकारी अस्पताल दिखने में तो फाईव-स्टार होटल से कम नहीं है, लेकिन यहां पर हर समय सुविधाओं का अभाव बना रहता है. गर्भवती महिलाओं के लिए मशीन लगाई थी, वो भी खराब होकर धूल फांक रही है.

मजबूरी में लोगों को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है. इसी वजह से गरीब तबके के लोग अपना पूर्ण इलाज कराने से कतराते हैं. जिला अस्पताल मांडीखेड़ा (nuh mandikheda hospital) में प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज आते हैं. क्योंकि यहां जिले का एक मात्र सबसे बड़ा अस्पताल है. सैंकड़ों की संख्या में यहां नए रजिस्ट्रेशन होते हैं. आजकल गर्मी के चलते यहां पर मरीजों की संख्या दोगुना हो गई है. पूर्ण इलाज नहीं मिलने के कारण आधे मरीज मायूस होकर वापस घर चले जाते हैं.

lack health facilities in nuh
मांडीखेड़ा अस्पताल में नहीं अल्ट्रासाउंड की सुविधा

एक जून 2011 को राष्ट्रीय जननी-शिशु सुरक्षा योजना की शुरुआत नूंह के जिला अस्पताल मांडीखेड़ा से की गई थी. तभी से ही गर्भवती महिलाओं की सेहत का ख्याल रखने के लिए मुफ्त अल्ट्रासाउंड पांचवें और सातवें माह में होने लगे, लेकिन जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद पड़ा है. इन हालात में अधिकांश गर्भवती महिलाओं को निजी केंद्रों से 600 और 1000 रुपये तक अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं. लोगों ने विभाग व सरकार से मांग करते हुए कहा कि यहां पर जल्द से जल्द अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू की जाए. अस्पताल में हर रोग का विशेषज्ञ होना चाहिए, ताकि लोग सरकारी अस्पताल का लाभ उठा सकें.

अस्पताल के उप सिविल सर्जन अरविंद ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है. इस संबंध में नई मशीन मंगवाने के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों का सूचित किया गया है. उम्मीद है जल्द ही जिला अस्पताल को मशीन मिलेगी. बाकी हम मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दे रहे हैं. डिप्टी सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर स्वास्थ विभाग की तरफ से अल्ट्रासाउंड के प्राइवेट संस्थान लिए गए हैं, ताकि गर्भवती महिलाओं के लिए कोई परेशानी ना हो.

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नूंह: स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नूंह प्रशासन जरा भी गंभीर नजर नहीं आ रहा. यहां 15 लाख से ज्यादा की आबादी के क्षेत्र पर अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा (lack health facilities in nuh) नहीं है. यहां कभी डॉक्टर नहीं होते, कभी मशीन काम करना बंद कर देती है. नूंह के मांडीखेड़ा में बना सरकारी अस्पताल दिखने में तो फाईव-स्टार होटल से कम नहीं है, लेकिन यहां पर हर समय सुविधाओं का अभाव बना रहता है. गर्भवती महिलाओं के लिए मशीन लगाई थी, वो भी खराब होकर धूल फांक रही है.

मजबूरी में लोगों को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है. इसी वजह से गरीब तबके के लोग अपना पूर्ण इलाज कराने से कतराते हैं. जिला अस्पताल मांडीखेड़ा (nuh mandikheda hospital) में प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज आते हैं. क्योंकि यहां जिले का एक मात्र सबसे बड़ा अस्पताल है. सैंकड़ों की संख्या में यहां नए रजिस्ट्रेशन होते हैं. आजकल गर्मी के चलते यहां पर मरीजों की संख्या दोगुना हो गई है. पूर्ण इलाज नहीं मिलने के कारण आधे मरीज मायूस होकर वापस घर चले जाते हैं.

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मांडीखेड़ा अस्पताल में नहीं अल्ट्रासाउंड की सुविधा

एक जून 2011 को राष्ट्रीय जननी-शिशु सुरक्षा योजना की शुरुआत नूंह के जिला अस्पताल मांडीखेड़ा से की गई थी. तभी से ही गर्भवती महिलाओं की सेहत का ख्याल रखने के लिए मुफ्त अल्ट्रासाउंड पांचवें और सातवें माह में होने लगे, लेकिन जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद पड़ा है. इन हालात में अधिकांश गर्भवती महिलाओं को निजी केंद्रों से 600 और 1000 रुपये तक अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं. लोगों ने विभाग व सरकार से मांग करते हुए कहा कि यहां पर जल्द से जल्द अल्ट्रासाउंड की सुविधा शुरू की जाए. अस्पताल में हर रोग का विशेषज्ञ होना चाहिए, ताकि लोग सरकारी अस्पताल का लाभ उठा सकें.

अस्पताल के उप सिविल सर्जन अरविंद ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है. इस संबंध में नई मशीन मंगवाने के लिए विभाग के उच्चाधिकारियों का सूचित किया गया है. उम्मीद है जल्द ही जिला अस्पताल को मशीन मिलेगी. बाकी हम मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दे रहे हैं. डिप्टी सिविल सर्जन डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर स्वास्थ विभाग की तरफ से अल्ट्रासाउंड के प्राइवेट संस्थान लिए गए हैं, ताकि गर्भवती महिलाओं के लिए कोई परेशानी ना हो.

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