नूंह: कोरोना काल से पहले जो कलाकार अपने करतबों से लोगों का मनोरंजन करते थे, वो अब गुरबत की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के चलते सर्कस और मेलों के आयोजनों पर प्रतिबंध है और मेला कलाकारों के सामने अब रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पिछले करीब पांच महीने से नूंह जिले के पिनगवां कस्बे में मेले का सारा सामान धूल फांक रहा है और अब हालात ये हैं कि सर्कस के कलाकारों के पास जमीन का किराया भरने तक के पैसे नहीं हैं.
मेले में जादू करने वाले लाला जी बताते हैं कि सर्कस और मेलों के बंद हो जाने की वजह से आज वो भूखे मरने की कगार पर हैं. उनके परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं जिनके लिए वो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी नहीं कर पा रहे. उन्होंने बताया कि बीच में एक दो दिन मेले की अनुमति मिली थी, लेकिन बाद में प्रशासन ने कोरोना के कारण मेले को फिर से बंद करवा दिया, ऐसे में अब उनके पास अपने बच्चों का पेट भरने तक के पैसे नहीं हैं.
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मेला कलाकार जिला प्रशासन की इजाजत नहीं मिलने के चलते बेहद हताश और निराश हैं. इन कलाकारों का कहना है कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने उनको आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया है, और अब वो सरकार और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि या तो सरकार उनको आर्थिक रूप से मदद दे या फिर उन्हें मेले का आयोजन करने की अनुमति दे.
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दूसरी लहर के बाद अब कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है. यही कारण है कि जिला प्रशासन मेलों और सर्कस के आयोजन को इजाजत नहीं दे रहा है. ऐसे में इन कलाकारों के अच्छे दिन कब आएंगे ये अभी कहा नहीं जा सकता. हालांकि इन मायूस कलाकारों को उम्मीद है कि सरकार इनको थोड़ी बहुत राहत जरूर देगी, ताकि इनके भूखे मरने की नौबत ना आए.
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