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टीबी रोग को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर, नूंह दौरे पर डॉक्टरों की 14 सदस्यों की टीम - नूंह में टीबी के मरीजों की संख्या

नूंह में टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों की 14 सदस्यीय टीम चार दिवसीय दौरे पर है. इस दौरान डॉक्टरों ने जिले में टीबी के मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं और अस्पतालों द्वारा क्षेत्र में चलाए जा रहे टीबी उन्मूलन अभियान की समीक्षा की.

टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर
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Published : Nov 8, 2019, 10:35 PM IST

नूंह: जिले में टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. नूंह जिला देश के उन जिलों में शामिल है, जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है.

जिले को नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया है. जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग ने डॉक्टरों की 14 सदस्यीय टीम को चार दिवसीय दौरे पर भेजा है.

टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर

डॉक्टर्स करेंगे क्षेत्र के टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की जांच
टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढ़ंग से मिल रहा है कि नहीं इसको लेकर सरकार ने 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान डॉक्टरो ने पाया कि जिले में एलटी की कमी की वजह से 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं. वहीं मरीजों को सरकार द्वारा मिलने वाले प्रतिमाह 500 रुपये की मदद भी ठीक से नहीं मिल पा रही है.

इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जो व्यक्ति टीबी के मरीजों की सूचना देगा, उसे सरकार 500 रुपये की राशि देगी.

सरकार द्वारा दी जाने वाली यह मदद भी लोगों को ठीक से नहीं मिल पा रही है. उप निदेशक ने बताया कि नल्हड़ मेडिकल कॉलेज का लोगों को उतना सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए. सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी सुधार की गुंजाइश है. उन्होंने कहा अगर सुधार होगा तभी टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: 2025 तक कैथल जिले को टीबी मुक्त बनाने का सरकार ने किया दावा

डॉक्टरों की कमी और नशे की लत के कारण बढ़ रही है मरीजों की संख्या
उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने बताया कि नूंह जिले में निजी चिकित्सकों की संख्या दूसरे जिलों के मुकाबले कम है. उन्होंने कहा कि नूंह जिले में तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि का चलन अधिक है, जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूंह में अधिक हैं.

नूंह: जिले में टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. नूंह जिला देश के उन जिलों में शामिल है, जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है.

जिले को नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया है. जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग ने डॉक्टरों की 14 सदस्यीय टीम को चार दिवसीय दौरे पर भेजा है.

टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर

डॉक्टर्स करेंगे क्षेत्र के टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की जांच
टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढ़ंग से मिल रहा है कि नहीं इसको लेकर सरकार ने 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान डॉक्टरो ने पाया कि जिले में एलटी की कमी की वजह से 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं. वहीं मरीजों को सरकार द्वारा मिलने वाले प्रतिमाह 500 रुपये की मदद भी ठीक से नहीं मिल पा रही है.

इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जो व्यक्ति टीबी के मरीजों की सूचना देगा, उसे सरकार 500 रुपये की राशि देगी.

सरकार द्वारा दी जाने वाली यह मदद भी लोगों को ठीक से नहीं मिल पा रही है. उप निदेशक ने बताया कि नल्हड़ मेडिकल कॉलेज का लोगों को उतना सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए. सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी सुधार की गुंजाइश है. उन्होंने कहा अगर सुधार होगा तभी टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें: 2025 तक कैथल जिले को टीबी मुक्त बनाने का सरकार ने किया दावा

डॉक्टरों की कमी और नशे की लत के कारण बढ़ रही है मरीजों की संख्या
उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने बताया कि नूंह जिले में निजी चिकित्सकों की संख्या दूसरे जिलों के मुकाबले कम है. उन्होंने कहा कि नूंह जिले में तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि का चलन अधिक है, जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूंह में अधिक हैं.

Intro:शुक्रवार को बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी हुए शामिल

संवाददाता नूह मेवात स्टोरी ;- टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर टीबी जानलेवा बीमारी है। नूह जिला देश के उन जिलों में शामिल है , जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या अधिक होने के साथ - साथ नीति आयोग के पिछड़े जिलों की सूचि में भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2015 तक देश को टीबी मुक्त करना है। टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढंग से मिल रहा है या नहीं मिल रहा है , इसे लेकर 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर है। टीम को टीबी मुक्त नूह बनाने के मिशन में कुछ खामियां मिली हैं , जिसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। आरएनटीसीपी अभियान में जांच केंद्रों की टीम टीम को नूह में मिली है। एलटी की कमी की वजह से महज 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं।  जल्द ही यहां एलटी की नियुक्ति होगी। डीसी नूह एवं सीएमओ नूह को रिपोर्ट देने के अलावा स्टेट टीबी सैल को रिपोर्ट जल्द ही सौंप दी जाएगी। टीम की अगुवाई कर रही उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद के अलावा सूचना देने वाले लोगों को दी जाने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है। उप निदेशक ने बताया कि नल्हड मेडिकल कालेज का उतना सहयोग स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहा , जितना मिलना चाहिए। सुषमा अरोड़ा ने माना कि अभी सुधार की गुंजाईश है , तभी टिबी जैसे खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर [प्रवीण ने पत्रकारों को बताया कि नूह जिले में लोगों का खान पान , रहन -सहन ठीक से नहीं है। छोटे -छोटे घरों में सात -आठ परिवार के सदस्य रहते हैं , जिसकी वजह से इस जिले में टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। टीबी की दवाइयों के खाने के तरीके , समय इत्यादि में भी बदलाव हुआ है। नई - नई दवाइयां आई हैं , जिनसे कम समय में स्वास्थ्य लाभ मरीज को मिलता है। टीबी रोगी की सूचना देने वाले लोगों को भी 500 रुपये दिए जाते हैं तो रोगी को भी खुराक के लिए 500 रुपये दिए जाते हैं। उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक नूह जिले में निजी चिकित्सकों की भी कमी दूसरे जिलों के मुकाबले कम है। नूह जिले में तंबाकू , बीड़ी , सिगरेट इत्यादि का चलन भी अधिक है , जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूह में अधिक हैं।  जानकारी के मुताबिक एसआईई (स्टेट इंटरनल इवोल्यूशन) टीम ने तीसरे दिन जिला अस्पताल मांडीखेड़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगीना, उप स्वास्थ्य केंद्र घागस व प्राइवेट क्लीनिक खुदा बख्श मेमोरियल हॉस्पिटल का दौरा किया। मरीजों से गांव घागस, करहेड़ा, नगीना, मांडीखेड़ा में मुलाकात की। उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करते हुए सुझावों पर गौर किया। खामियों एवं सुझावों को लेकर शुक्रवार को सिविल सर्जन के साथ जिला अस्पताल मांडीखेड़ा में बैठक का आयोजन किया गया ।  बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी शामिल हुए । टीम ने माना कि अगर देश व नूह जिले को टीबी मुक्त काम करना है , तो सुधार करना होगा। कुल मिलाकर कागजों में भले ही टीबी को जड़ से मिटाने की बड़ी - बड़ी बातें की जाती रही हों , लेकिन टीबी को भगाने के इंतजाम ही अभी नाकाफी हैं। इतना जरूर है कि कई जिलों के डॉक्टरों की टीम की जांच और खामियों को स्वीकारने से भविष्य में सुधार से इंकार नहीं किया जा सकता। बाइट;- डॉक्टर सुषमा उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग हरियाणा बाइट;- डॉक्टर प्रवीण राज जिला क्षय रोग अधिकारी संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Body:शुक्रवार को बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी हुए शामिल
14 सदस्य टीम कर रही गांवों का दौरा 

संवाददाता नूह मेवात स्टोरी ;- टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर टीबी जानलेवा बीमारी है। नूह जिला देश के उन जिलों में शामिल है , जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या अधिक होने के साथ - साथ नीति आयोग के पिछड़े जिलों की सूचि में भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2015 तक देश को टीबी मुक्त करना है। टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढंग से मिल रहा है या नहीं मिल रहा है , इसे लेकर 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर है। टीम को टीबी मुक्त नूह बनाने के मिशन में कुछ खामियां मिली हैं , जिसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। आरएनटीसीपी अभियान में जांच केंद्रों की टीम टीम को नूह में मिली है। एलटी की कमी की वजह से महज 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं।  जल्द ही यहां एलटी की नियुक्ति होगी। डीसी नूह एवं सीएमओ नूह को रिपोर्ट देने के अलावा स्टेट टीबी सैल को रिपोर्ट जल्द ही सौंप दी जाएगी। टीम की अगुवाई कर रही उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद के अलावा सूचना देने वाले लोगों को दी जाने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है। उप निदेशक ने बताया कि नल्हड मेडिकल कालेज का उतना सहयोग स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहा , जितना मिलना चाहिए। सुषमा अरोड़ा ने माना कि अभी सुधार की गुंजाईश है , तभी टिबी जैसे खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर [प्रवीण ने पत्रकारों को बताया कि नूह जिले में लोगों का खान पान , रहन -सहन ठीक से नहीं है। छोटे -छोटे घरों में सात -आठ परिवार के सदस्य रहते हैं , जिसकी वजह से इस जिले में टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। टीबी की दवाइयों के खाने के तरीके , समय इत्यादि में भी बदलाव हुआ है। नई - नई दवाइयां आई हैं , जिनसे कम समय में स्वास्थ्य लाभ मरीज को मिलता है। टीबी रोगी की सूचना देने वाले लोगों को भी 500 रुपये दिए जाते हैं तो रोगी को भी खुराक के लिए 500 रुपये दिए जाते हैं। उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक नूह जिले में निजी चिकित्सकों की भी कमी दूसरे जिलों के मुकाबले कम है। नूह जिले में तंबाकू , बीड़ी , सिगरेट इत्यादि का चलन भी अधिक है , जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूह में अधिक हैं।  जानकारी के मुताबिक एसआईई (स्टेट इंटरनल इवोल्यूशन) टीम ने तीसरे दिन जिला अस्पताल मांडीखेड़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगीना, उप स्वास्थ्य केंद्र घागस व प्राइवेट क्लीनिक खुदा बख्श मेमोरियल हॉस्पिटल का दौरा किया। मरीजों से गांव घागस, करहेड़ा, नगीना, मांडीखेड़ा में मुलाकात की। उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करते हुए सुझावों पर गौर किया। खामियों एवं सुझावों को लेकर शुक्रवार को सिविल सर्जन के साथ जिला अस्पताल मांडीखेड़ा में बैठक का आयोजन किया गया ।  बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी शामिल हुए । टीम ने माना कि अगर देश व नूह जिले को टीबी मुक्त काम करना है , तो सुधार करना होगा। कुल मिलाकर कागजों में भले ही टीबी को जड़ से मिटाने की बड़ी - बड़ी बातें की जाती रही हों , लेकिन टीबी को भगाने के इंतजाम ही अभी नाकाफी हैं। इतना जरूर है कि कई जिलों के डॉक्टरों की टीम की जांच और खामियों को स्वीकारने से भविष्य में सुधार से इंकार नहीं किया जा सकता। बाइट;- डॉक्टर सुषमा उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग हरियाणा बाइट;- डॉक्टर प्रवीण राज जिला क्षय रोग अधिकारी संवाददाता कासिम खान नूह मेवात Conclusion:शुक्रवार को बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी हुए शामिल
14 सदस्य टीम कर रही गांवों का दौरा 

संवाददाता नूह मेवात स्टोरी ;- टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर टीबी जानलेवा बीमारी है। नूह जिला देश के उन जिलों में शामिल है , जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या अधिक होने के साथ - साथ नीति आयोग के पिछड़े जिलों की सूचि में भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2015 तक देश को टीबी मुक्त करना है। टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढंग से मिल रहा है या नहीं मिल रहा है , इसे लेकर 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर है। टीम को टीबी मुक्त नूह बनाने के मिशन में कुछ खामियां मिली हैं , जिसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। आरएनटीसीपी अभियान में जांच केंद्रों की टीम टीम को नूह में मिली है। एलटी की कमी की वजह से महज 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं।  जल्द ही यहां एलटी की नियुक्ति होगी। डीसी नूह एवं सीएमओ नूह को रिपोर्ट देने के अलावा स्टेट टीबी सैल को रिपोर्ट जल्द ही सौंप दी जाएगी। टीम की अगुवाई कर रही उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद के अलावा सूचना देने वाले लोगों को दी जाने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है। उप निदेशक ने बताया कि नल्हड मेडिकल कालेज का उतना सहयोग स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहा , जितना मिलना चाहिए। सुषमा अरोड़ा ने माना कि अभी सुधार की गुंजाईश है , तभी टिबी जैसे खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर [प्रवीण ने पत्रकारों को बताया कि नूह जिले में लोगों का खान पान , रहन -सहन ठीक से नहीं है। छोटे -छोटे घरों में सात -आठ परिवार के सदस्य रहते हैं , जिसकी वजह से इस जिले में टीबी रोगियों की संख्या अधिक है। टीबी की दवाइयों के खाने के तरीके , समय इत्यादि में भी बदलाव हुआ है। नई - नई दवाइयां आई हैं , जिनसे कम समय में स्वास्थ्य लाभ मरीज को मिलता है। टीबी रोगी की सूचना देने वाले लोगों को भी 500 रुपये दिए जाते हैं तो रोगी को भी खुराक के लिए 500 रुपये दिए जाते हैं। उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक नूह जिले में निजी चिकित्सकों की भी कमी दूसरे जिलों के मुकाबले कम है। नूह जिले में तंबाकू , बीड़ी , सिगरेट इत्यादि का चलन भी अधिक है , जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूह में अधिक हैं।  जानकारी के मुताबिक एसआईई (स्टेट इंटरनल इवोल्यूशन) टीम ने तीसरे दिन जिला अस्पताल मांडीखेड़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगीना, उप स्वास्थ्य केंद्र घागस व प्राइवेट क्लीनिक खुदा बख्श मेमोरियल हॉस्पिटल का दौरा किया। मरीजों से गांव घागस, करहेड़ा, नगीना, मांडीखेड़ा में मुलाकात की। उनके स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त करते हुए सुझावों पर गौर किया। खामियों एवं सुझावों को लेकर शुक्रवार को सिविल सर्जन के साथ जिला अस्पताल मांडीखेड़ा में बैठक का आयोजन किया गया ।  बैठक में फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात पंचकूला और चंडीगढ़ के अधिकारी शामिल हुए । टीम ने माना कि अगर देश व नूह जिले को टीबी मुक्त काम करना है , तो सुधार करना होगा। कुल मिलाकर कागजों में भले ही टीबी को जड़ से मिटाने की बड़ी - बड़ी बातें की जाती रही हों , लेकिन टीबी को भगाने के इंतजाम ही अभी नाकाफी हैं। इतना जरूर है कि कई जिलों के डॉक्टरों की टीम की जांच और खामियों को स्वीकारने से भविष्य में सुधार से इंकार नहीं किया जा सकता। बाइट;- डॉक्टर सुषमा उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग हरियाणा बाइट;- डॉक्टर प्रवीण राज जिला क्षय रोग अधिकारी संवाददाता कासिम खान नूह मेवात 
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