नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में कई ऐसे गांव हैं जिनका संबंध देवी-देवताओं से है. नूंह जिले के 2 गांव ऐसे हैं जिनका संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा से जोड़ा जाता है. दरअसल उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर जिले का बिछोर गांव बसा हुआ है. बिछोर गांव का इतिहास बेहद ही पौराणिक है. इस गांव से नंदगांव चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है. जहां दुनियाभर के लोग नंदगांव बरसाना का दौरा करने के लिए आते हैं, प्राचीन मंदिर के पुजारी शत्रुघ्न पांडे ने बताया कि बिछोर गांव में प्राचीन केशव कुंड है और श्री लक्ष्मण जी का देशभर में एकमात्र मंदिर है.
प्राचीन मंदिर के पुजारी शत्रुघ्न पांडे के अनुसार, नंद गांव से चरवाहे अपनी गायों को चराने के लिए बिछोर गांव के आसपास के इलाके में आते थे. इस गांव में प्राचीन केशव कुंड है. उन्होंने कहा कि, यह कुंड हजारों साल पुराना है. पहले यह कच्चा था, लेकिन अब इसे करीब 50 साल पहले पक्का बना दिया गया है. इतिहासकार बताते हैं कि श्री कृष्ण और श्री राधा ने गाय चराते हुए इस केशव कुंड में स्नान किया था. गांव और आस-पास के लोग श्रद्धालु आज भी यहां डुबकी लगाते हैं.
इतिहासकार बताते हैं कि श्री कृष्ण और श्री राधा ने जब इस कुंड में डुबकी लगाई और पानी से बाहर आए तो उन्होंने एक दूसरे को नहीं पहचाना. यहीं पर वह बिछड़ गए, इसलिए इस गांव का नाम बिछोर पड़ा. इस गांव से चंद किलोमीटर की दूरी पर ही नूंह जिले का सिंगार गांव है, जो जिले का सबसे बड़ा गांव है. पुजारी के मुताबिक जब श्री कृष्ण व श्रीराधा सिंगार गांव पहुंचे तो उन्होंने एक-दूसरे को पहचान लिया. इसके बाद सिंगार गांव में ही भगवान श्री कृष्ण ने श्री राधा का श्रृंगार किया.
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नंदगांव पास होने के कारण इस इलाके को बृज की भूमि कहा जाता है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक केशव कुंड के समीप प्राचीन भोले बाबा का स्वयंभू मंदिर है. यहीं पर उनकी प्रतिमा है. इस मंदिर को हजारों साल पुराना बताया जाता है. यहीं वजह है कि श्रद्धालु दूर-दूर से भारी संख्या में यहां पूजा करने और केशव कुंड में स्नान करने आते हैं.
मान्यता है कि इस धार्मिक स्थल पर पूजा करने और केशव कुंड में स्नान करने से मन को शांति मिलती है. साथ ही श्रद्धालुओं की मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है. मंदिर के पुजारी के अनुसार इन दिनों चौरासी कोस की परिक्रमा चल रही है, इसलिए आम दिनों के मुकाबले श्रद्धालुओं अधिक संख्या केशव कुंड और भोले बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं.