नूंहः सीएए और एनआरसी को लेकर पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज नूंह में भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में बुजुर्ग, युआवा, बच्चों के साथ 36 बिरागरी भी शामिल हुई. ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए इस कानून को वापस लेने की मांग की है. घासेड़ा गांव के लोगों का कहना है कि जाति - धर्म में बांटने के लिए इस देश का लोकतंत्र इजाजत नहीं देता है.
प्रदर्शन में 36 बिरादरी के लोगों ने लिया हिस्सा
देश में सीएए अब लागू हो चुका है, लेकिन इसका विरोध अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. रविवार को नूंह के गांधी ग्राम घासेड़ा स्थित होली चौक पर सीएए तथा एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया. विरोध प्रदर्शन में ना केवल मुस्लिम समुदाय के लोग थे, बल्कि गांव में रहने वाले 36 बिरादरी के लोगों ने इस कानून का विरोध करते हुए इसे सरकार से वापस लेने की मांग की.
BJP भाई से भाई को लड़ाना चाहती है- ग्रामीण
ऐतिहासिक व बड़े गांव में शामिल गांधी ग्राम घासेड़ा में रविवार को लोग इस बिल के खिलाफ एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकाली. प्रदर्शनकारियों ने इस कानून को वापस लेने की बात कही है. लोगों का कहना है कि बीजेपी की सरकार ने सिर्फ मुसलमानों को टारगेट करते हुए सीएए और एनआरसी जैसे कानून देश में लागू किए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश का संविधान भाई को भाई से लड़ाने या उसे बांटने की इजाजत नहीं देता है, उसका किसी सूरत में भी समर्थन नहीं किया जाएगा.
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आजादी के लिए मुसलमानों ने भी दी कुर्बानियां- ग्रामीण
लोगों ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने इस मुल्क के खातिर अपने प्राणों की बलि दी है. हम यहां के स्थाई निवासी हैं और जिस तरह अन्य समाज के लोगों ने इस मुल्क में कुर्बानी दी है. उससे मुसलमान भी पीछे नहीं रहा है, लिहाजा इस तरह के किसी भी बिल का डटकर विरोध करते रहेंगे. घासेड़ा गांव के लोगों ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उनसे देश की आजादी के समय वचन दिया था कि उनको यहां पूरा मान - सम्मान अधिकार के साथ - साथ सुरक्षा की गारंटी दी थी. लोगों ने कहा कि राष्ट्रपिता ने कहा था कि मुसलमान इस देश की रीढ़ की हड्डी है.