नूंह: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां कस्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया था. भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया, लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8-10 साल में हो पाया.
उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में रिपेयरिंग का काम जारी
इतने लंबे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को नहीं मिला. हद तो तब हो गई जब भवन उद्धाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा. अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव. कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत का काम चल रहा है.
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ज्यादातर मरीजों को किया जाता है फरीदाबाद और पलवल रेफर
लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और भवन निर्माण से खुश नहीं हैं. लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु रूप से चलाए, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना ना पड़े.
करीब ढाई करोड़ रुपये की राशि की आई है लागत
पिनगवां कस्बे के साथ-साथ दर्जनों गांवों के लोगों को उस समय बहुत खुशी हुई थी, जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पीएचसी को सीएचसी बनाने का काम शुरू हुआ था. सीएचसी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी. एनबीसीसी को निर्माण का काम सौंपा गया, लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया. सीएचसी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था, लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है और इसकी हालत क्या है वो सबके सामने है.
करीब 46 गांव हैं इस सीएचसी स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एनबीसीसी को फटकार लगाई थी, लेकिन कोई भी फटकार काम समय पर पूरा नहीं करा पाई. बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी और सत्ता बदल गई. मनोहर पार्ट-1 में भी काम जैसे-तैसे पूरा हो गया, लेकिन उद्धाटन से पहले ही भवन रिपेयरिंग की हालत में चला गया है. अब देखना ये है कि पिनगवां कस्बे के साथ-साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी या नहीं.