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नूंह: उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग, हालत देख रह जाएंगे हैरान

हरियाणा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर बनाने के तमाम दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहद खराब है. पिनगवां कस्बे (नूंह) में बने सीएचसी का कुछ ही दिनों में उद्घाटन होना है और उससे पहले ही स्वास्थ्य केंद्र रिपेयरिंग की हालत में पहुंच चुका है.

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Published : Dec 23, 2019, 7:27 PM IST

उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग
उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग

नूंह: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां कस्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया था. भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया, लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8-10 साल में हो पाया.

उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में रिपेयरिंग का काम जारी
इतने लंबे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को नहीं मिला. हद तो तब हो गई जब भवन उद्धाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा. अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव. कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत का काम चल रहा है.

उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- नशेड़ियों से पैसे वसूलते पुलिस के जवानों का वीडियो वायरल! हरियाणा के गृह मंत्री ने लिया संज्ञान

ज्यादातर मरीजों को किया जाता है फरीदाबाद और पलवल रेफर
लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और भवन निर्माण से खुश नहीं हैं. लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु रूप से चलाए, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना ना पड़े.

करीब ढाई करोड़ रुपये की राशि की आई है लागत
पिनगवां कस्बे के साथ-साथ दर्जनों गांवों के लोगों को उस समय बहुत खुशी हुई थी, जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पीएचसी को सीएचसी बनाने का काम शुरू हुआ था. सीएचसी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी. एनबीसीसी को निर्माण का काम सौंपा गया, लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया. सीएचसी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था, लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है और इसकी हालत क्या है वो सबके सामने है.

करीब 46 गांव हैं इस सीएचसी स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एनबीसीसी को फटकार लगाई थी, लेकिन कोई भी फटकार काम समय पर पूरा नहीं करा पाई. बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी और सत्ता बदल गई. मनोहर पार्ट-1 में भी काम जैसे-तैसे पूरा हो गया, लेकिन उद्धाटन से पहले ही भवन रिपेयरिंग की हालत में चला गया है. अब देखना ये है कि पिनगवां कस्बे के साथ-साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी या नहीं.

नूंह: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां कस्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया था. भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया, लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8-10 साल में हो पाया.

उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में रिपेयरिंग का काम जारी
इतने लंबे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को नहीं मिला. हद तो तब हो गई जब भवन उद्धाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा. अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव. कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत का काम चल रहा है.

उद्घाटन से पहले ही सीएचसी में शुरू हुई रिपेयरिंग, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- नशेड़ियों से पैसे वसूलते पुलिस के जवानों का वीडियो वायरल! हरियाणा के गृह मंत्री ने लिया संज्ञान

ज्यादातर मरीजों को किया जाता है फरीदाबाद और पलवल रेफर
लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली और भवन निर्माण से खुश नहीं हैं. लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु रूप से चलाए, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना ना पड़े.

करीब ढाई करोड़ रुपये की राशि की आई है लागत
पिनगवां कस्बे के साथ-साथ दर्जनों गांवों के लोगों को उस समय बहुत खुशी हुई थी, जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पीएचसी को सीएचसी बनाने का काम शुरू हुआ था. सीएचसी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी. एनबीसीसी को निर्माण का काम सौंपा गया, लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया. सीएचसी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था, लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है और इसकी हालत क्या है वो सबके सामने है.

करीब 46 गांव हैं इस सीएचसी स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एनबीसीसी को फटकार लगाई थी, लेकिन कोई भी फटकार काम समय पर पूरा नहीं करा पाई. बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी और सत्ता बदल गई. मनोहर पार्ट-1 में भी काम जैसे-तैसे पूरा हो गया, लेकिन उद्धाटन से पहले ही भवन रिपेयरिंग की हालत में चला गया है. अब देखना ये है कि पिनगवां कस्बे के साथ-साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी या नहीं.

Intro:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सीएचसी पिनगवां भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग की हालत में पहुंचा
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां क़स्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत द्वारा की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया। भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया , लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8 - 10 साल में हो पाया। इतने लम्बे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई , लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को मिला। हद तो तब हो गई जब भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा। अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव। कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत इत्यादि का काम चल रहा है। लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली तथा भवन निर्माण से खुश नहीं हैं। लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु करे तो इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना नहीं पड़ेगा।
पिनगवां कस्बे के साथ - साथ दर्जनों गॉवों के लोगों को उस समय अपार ख़ुशी हुई थी , जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पी एच सी को सी एच सी में बनाने का काम शुरू हुआ। सी एच सी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी। एन बी सी सी को निर्माण का काम सौपा गया। लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया। सी एच सी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है। पिनगवां क़स्बा के लोगों का कहना है कि हमें पूर्ण मात्रा में स्वास्थ्य सेवाए नहीं मिल रही कि अस्पताल में पानी की कमी है। लेडी डॉक्टर भी नहीं है। बुखार , सिरदर्द , खुजली की टेवलेट की दवाइयां तक ही अस्पताल सिमट कर रह गया है। मरीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मजबूरन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही मरीजों का उपचार करते दिखाई देते है। आपको बता दें की 39 गावों के लिए एक ही अस्पताल है , जिसमे 3 से 4 बैड हैं। गावों के लोगों ने कहा की अस्पताल में सुविधा नहीं होने से मरीजों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा , अलवर या फिर दिल्ली के लिए रेफर किया जाता है। मरीज की रास्ते में जान भी चली जाती है। अगर सी एच सी पिनगवां बन जाती है , तो क्षेत्रों के लोगो को काफी फायदा हो सकता है।
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री के रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एन बी सी सी को फटकार लगाई ,परन्तु कोई भी फटकार काम समय पर कम्प्लीट नहीं करा पाई। बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी। सत्ता को बदल गई , लेकिन निजाम नहीं बदला। मनोहर पार्ट - 1 में भी काम तो जैसे - तैसे पूरा हो गया , लेकिन उदघाटन से पहले ही भवन जवानी से पहले बुढ़ापे की तरफ चल दिया। अब देखना यह है कि पिनगवां कस्बे के साथ - साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी।
बाइट ;- असलम सरपंच
बाइट ;- जमशेद ग्रामीण
बाइट ;- तसलीम एडवोकेट
बाइट ;- उमेश कसाना ग्रामीण
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
Body:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सीएचसी पिनगवां भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग की हालत में पहुंचा
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां क़स्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत द्वारा की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया। भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया , लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8 - 10 साल में हो पाया। इतने लम्बे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई , लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को मिला। हद तो तब हो गई जब भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा। अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव। कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत इत्यादि का काम चल रहा है। लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली तथा भवन निर्माण से खुश नहीं हैं। लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु करे तो इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना नहीं पड़ेगा।
पिनगवां कस्बे के साथ - साथ दर्जनों गॉवों के लोगों को उस समय अपार ख़ुशी हुई थी , जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पी एच सी को सी एच सी में बनाने का काम शुरू हुआ। सी एच सी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी। एन बी सी सी को निर्माण का काम सौपा गया। लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया। सी एच सी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है। पिनगवां क़स्बा के लोगों का कहना है कि हमें पूर्ण मात्रा में स्वास्थ्य सेवाए नहीं मिल रही कि अस्पताल में पानी की कमी है। लेडी डॉक्टर भी नहीं है। बुखार , सिरदर्द , खुजली की टेवलेट की दवाइयां तक ही अस्पताल सिमट कर रह गया है। मरीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मजबूरन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही मरीजों का उपचार करते दिखाई देते है। आपको बता दें की 39 गावों के लिए एक ही अस्पताल है , जिसमे 3 से 4 बैड हैं। गावों के लोगों ने कहा की अस्पताल में सुविधा नहीं होने से मरीजों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा , अलवर या फिर दिल्ली के लिए रेफर किया जाता है। मरीज की रास्ते में जान भी चली जाती है। अगर सी एच सी पिनगवां बन जाती है , तो क्षेत्रों के लोगो को काफी फायदा हो सकता है।
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री के रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एन बी सी सी को फटकार लगाई ,परन्तु कोई भी फटकार काम समय पर कम्प्लीट नहीं करा पाई। बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी। सत्ता को बदल गई , लेकिन निजाम नहीं बदला। मनोहर पार्ट - 1 में भी काम तो जैसे - तैसे पूरा हो गया , लेकिन उदघाटन से पहले ही भवन जवानी से पहले बुढ़ापे की तरफ चल दिया। अब देखना यह है कि पिनगवां कस्बे के साथ - साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी।
बाइट ;- असलम सरपंच
बाइट ;- जमशेद ग्रामीण
बाइट ;- तसलीम एडवोकेट
बाइट ;- उमेश कसाना ग्रामीण
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
Conclusion:संवाददाता नूंह मेवात
स्टोरी ;- सीएचसी पिनगवां भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग की हालत में पहुंचा
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिनगवां क़स्बे में कई साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत द्वारा की मदद से पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदोन्नत किया गया। भवन को सभी सुविधाओं से लैस और जल्द बनाकर देने के लिए एनबीसीसी को टेंडर दे दिया गया , लेकिन कछुआ गति से काम हुआ और महीनों में होने वाला काम करीब 8 - 10 साल में हो पाया। इतने लम्बे समय में सरकार भी सूबे में बदल गई , लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार पिनगवां कस्बे में देखने को मिला। हद तो तब हो गई जब भवन उदघाटन से पहले ही रिपेयरिंग मांगने लगा। अब इसे घटिया सामग्री से बना भवन कहें या स्वास्थ्य विभाग के देखरेख का अभाव। कुछ भी हो लेकिन नए भवन के इन दिनों शीशे से लेकर दीवारों में मरम्मत इत्यादि का काम चल रहा है। लोग स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली तथा भवन निर्माण से खुश नहीं हैं। लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग यहां कर्मचारियों की नियुक्ति कर इस अस्पताल को सुचारु करे तो इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरदराज इलाकों में भटकना नहीं पड़ेगा।
पिनगवां कस्बे के साथ - साथ दर्जनों गॉवों के लोगों को उस समय अपार ख़ुशी हुई थी , जब कस्बे में करीब 10 साल पहले अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पी एच सी को सी एच सी में बनाने का काम शुरू हुआ। सी एच सी के निर्माण पर 2.54 करोड़ से अधिक रुपये की राशि खर्च होनी थी। एन बी सी सी को निर्माण का काम सौपा गया। लेकिन चंद महीने बाद काम बंद हो गया। सी एच सी भवन का कार्य 2012 में पूरा होना था लेकिन अब 2019 विदा लेने वाला है। पिनगवां क़स्बा के लोगों का कहना है कि हमें पूर्ण मात्रा में स्वास्थ्य सेवाए नहीं मिल रही कि अस्पताल में पानी की कमी है। लेडी डॉक्टर भी नहीं है। बुखार , सिरदर्द , खुजली की टेवलेट की दवाइयां तक ही अस्पताल सिमट कर रह गया है। मरीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मजबूरन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही मरीजों का उपचार करते दिखाई देते है। आपको बता दें की 39 गावों के लिए एक ही अस्पताल है , जिसमे 3 से 4 बैड हैं। गावों के लोगों ने कहा की अस्पताल में सुविधा नहीं होने से मरीजों को अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा , अलवर या फिर दिल्ली के लिए रेफर किया जाता है। मरीज की रास्ते में जान भी चली जाती है। अगर सी एच सी पिनगवां बन जाती है , तो क्षेत्रों के लोगो को काफी फायदा हो सकता है।
तत्कालीन अल्पसंख्यक मंत्री के रहमान खान ने पिनगवां कस्बे का दौरा कर मौके पर ही एन बी सी सी को फटकार लगाई ,परन्तु कोई भी फटकार काम समय पर कम्प्लीट नहीं करा पाई। बाद में भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें बढ़ी। सत्ता को बदल गई , लेकिन निजाम नहीं बदला। मनोहर पार्ट - 1 में भी काम तो जैसे - तैसे पूरा हो गया , लेकिन उदघाटन से पहले ही भवन जवानी से पहले बुढ़ापे की तरफ चल दिया। अब देखना यह है कि पिनगवां कस्बे के साथ - साथ करीब तीन दर्जन गांवों के लोगों को इस भवन से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी।
बाइट ;- असलम सरपंच
बाइट ;- जमशेद ग्रामीण
बाइट ;- तसलीम एडवोकेट
बाइट ;- उमेश कसाना ग्रामीण
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
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