नूंह: पूरी दुनिया में कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है, लेकिन हरियाणा का एक ऐसा जिला है जहां पहुंच कर कोरोना भी दम तोड़ देता है, जी हां, ये कोई मजाक नहीं है. हरियाणा के नूंह जिले में कोरोना वायरस का असर नहीं है और इसकी वजह है यहां के लोगों का मजबूत इम्यूनिटी सिस्टम.
सीरो सर्वें में सामने आए गजब के नतीजे
ये सभी बाते हवा-हवाई नहीं है. प्रदेश के सीरो सर्वे में इस बात पर मुहर लग चुकी है. सीरो सर्वे के दौरान हुए पहले राउंड में 20 प्रतिशत से ज्यादा एंटीबॉडीज का लोगों में पाए जाना और दूसरे राउंड में भी 17 प्रतिशत से अधिक लोगों में एंटीबॉडीज का मिलना इस बात को पुख्ता करता है कि नूंह बेशक दूसरे जिलों से बाकी मामलों में कमजोर हो, लेकिन यहां के लोगों की इम्यूनिटी काफी मजबूत हैं.
खान-पान ने लोगों को बनाया मजबूत- नूंह उपायुक्त
उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा भी ये बात मानते हैं कि शुरुआत में कोरोना के ज्यादा केस आए थे. जिसकी वजह से कुछ लोगों में कम लक्षण आए और वह बिना किसी इलाज के ठीक हो गए. उन्हें शायद पता भी नहीं चला उनमें एंटीबॉडीज हो गई है. यहां लोग मेहनती हैं और डायबिटीज या बीपी के मरीज भी कम है.
उसके बावजूद नूंह उपायुक्त धीरेंद्र इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ठंड के मौसम में सतर्क रहने और सावधानी बरतने की जरूरत है. इस सीजन में मौत अधिक होती हैं. उपायुक्त नूंह ने कहा कि साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन की जरूरत है.
'मलेरिया टैबलेट के सेवन से नहीं हुआ कोरोना का असर'
वहीं जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि नूंह जिले में ग्रामीण और शहरी इलाकों में एंटीबॉडीज अच्छा है. उनका मानना है कि एंटीबॉडीज ज्यादा होने के पीछे एक बड़ी वजह ये है कि यहां के लोगों ने मलेरिया की टैबलेट का ज्यादा सेवन किया है. इस वजह से इस जिले में कोरोना ज्यादा असर लोगों पर नहीं कर पा रहा है.
कुल मिलाकर जिस तरह से शुरुआत के दो-तीन महीने में नूंह जिले में कोरोना केसों की संख्या ज्यादा मिलने से पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ था, वहीं अब इसके बिल्कुल उल्टे परिणाम मिल रहे हैं. यहां लोगों का रफ-टफ रहन-सहन और खान पान ने कोरोना को मात दे दी है.
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