महेंद्रगढ़: खुडाना गांव की अंजू सबसे महेंद्रगढ़ जिले की सबसे कम उम्र की सरपंच बन गई हैं. नवनिर्वाचित सरपंच अंजू की उम्र 21 साल 1 महीना और 18 दिन है. गांव में अपनी पहचान रखने वाले खुडाना परिवार ने छोटी उम्र की शिक्षित बेटी को सरपंची के चुनाव में उतारा था. पढ़ी लिखी बेटी को गांव के लोगों ने अपना सरपंच बनाकर सिर आंखों पर बैठाकर एक बेटी को नई पहचान दिलाई है.(youngest woman sarpanch of Mahendragarh).
ग्रामीणों ने एक अच्छी राजनीतिक प्रेरणा स्थापित कर क्षेत्र, समाज और राजनीति के क्षेत्र को नई दिशा दी है. इसके साथ ही बेटी को किसी से कम आंकने वाले लोगों को बेटी के महत्व को समझाने की भी सच्ची पहल की है. डॉ. नर्सी खुडाना ने बेटी के सरपंच बनाने पर खुशी जताई है. उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई है कि गांव ने बेटी को सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठाने का कार्य किया है. अंजू के परिवार से कोई भी राजनीति में नही हैं. वह अपने परिवार से राजनीति में प्रवेश करने वाली पहली सदस्य हैं. जहां उनके पिता डॉक्टर हैं, तो अंजू खुद डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं.
जिले में 166 महिलाएं बनी सरपंच: जिले में 343 में से 166 महिलाएं सरपंच बनी हैं. महिलाओं ने इस चुनाव में न केवल खुद को राजनीतिक रूप से सुदृढ़ साबित किया है, बल्कि जागरूकता के मामले में भी आगे रही हैं. खामपुरा की सरपंच प्रियंका बीकॉम पास हैं. गुवानी की सरपंच बीएड पास हैं. दुबलाना की सरपंच आशा रानी ग्रेजुएट हैं.
वहीं, डिगरोता की सरपंच पूनम शर्मा मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी पास हैं. बिगोपुर की पूजारानी बीए पास हैं. ताजीपुर की सरपंच राजबाला बी.कॉम पास हैं. कोरियावास की सरपंच मोनिका बीए पास हैं. खानपुर की ममता भी बीए पास हैं. तोताहेड़ी की सरपंच रितू बडेसरा भी बीए पास हैं. भूषण कलां की सरपंच सविता भी बीए पास हैं. इसी तरह धरसू की सरपंच रविता भी ग्रेजुएट हैं. अधिकांश महिला सरपंच स्नातक और स्नातकोत्तर योग्यता रखती हैं.
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