कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का नाम आते ही महाभारत का दृश्य लोगों के मन में आता है. लेकिन सिर्फ महाभारत के लिए ही नहीं कुरुक्षेत्र अन्य कई चीजों के लिए भी पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. धर्मनगरी में दुनिया का एक अनोखा महादेव मंदिर है. इस अनोखा शिव मंदिर में भगवान शिव बिना नंदी के विराजमान हैं. माना जाता है कि यहां पर लंकापति रावण ने शिव की आराधना की थी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कुरुक्षेत्र में कालेश्वर महादेव मंदिर विश्व भर में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग बिना नंदी के स्थापित हैं.
लंकापति रावण की शिव भक्ति: मंदिर के पुजारी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण उड़न खटोला में सवार होकर यहां आकाश मार्ग से निकल रहे थे. कुरुक्षेत्र के कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही लंकापति रावण का उड़न खटोला डगमगा गया था. इसके बाद रावण के दिमाग में विचार आया कि यहां ऐसी क्या चीज है, जिसने लंकापति रावण के वाहन को बाधित किया है. तब उन्होंने अपना उड़न खटोला नीचे उतारा और देखा यहां पर एक शिवलिंग बना था. इसके बाद उन्होंने यहीं बैठकर पूजा शुरू कर दी.
शिव मंदिर में नंदी ना होने की ये है खास वजह: यह वही स्थान है जहां पर लंकापति रावण ने महादेव से अकाल मृत्यु के भय के चलते काल पर विजय का वरदान मिला था. मान्यता है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव अवतरित हुए और उन्होंने रावण से इच्छा पूछी. रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा, लेकिन इससे पहले रावण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस मनोकामना का साक्षी कोई तीसरा न हो. बताया जाता है कि भगवान शिव ने इस दौरान नंदी महाराज को अपने से दूर किया था. उसके बाद रावण को वरदान दिया था. इसके बाद से यहां शिवलिंग बिना नंदी महाराज के स्थापित हैं.
भगवान शिव की अपार महिमा: कालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि सरस्वती तट स्थित भगवान कालेश्वर मंदिर देश दुनिया में अपनी विशेष मान्यता से धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां की महत्ता है कि जो भी श्रद्धालु शनिवार और सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. इसी स्थान पर भगवान शिव ने रावण को काल पर विजयी होने का वरदान प्रदान दिया था, इसलिए इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव हैं. भगवान शिव की पूजा से काल को भी मोड़ा जा सकता है.
इस वजह से भगवान नंदी नहीं किये गये स्थापित: वहीं, बताया जाता है कि यहां पर कई बार शिवलिंग के साथ नंदी को स्थापित करने की कोशिश भी की गई. लेकिन यहां पर नंदी की स्थापना नहीं हो पाई. बताया जाता है कि जब जब यहां पर नंदी स्थापित करने की कोशिश की गई, तभी मंदिर और यहां मंदिर से संबंधित लोगों के ऊपर विपत्ति आनी शुरू हो गई. उसके बाद कभी भी यहां पर नंदी को स्थापित नहीं किया गया.
मंदिर में नंदी की स्थापना करने से अकाल मृत्यु: श्री ब्राह्मण तीर्थों उधार सभा ने इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा उठाया है. ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव बिना नंदी भगवान के विराजमान हैं. यह शिव लिंग खुद से उत्पन हुआ है. यह मंदिर महाभारत काल से भी पहले का माना जाता है. जब भी किसी ने यहां नंदी की स्थापना करनी चाही तो यह माना गया है की उनकी अकाल मृत्यु भी हुई है.
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