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Mahashivratri 2023: प्राचीनकाल का सबसे अनोखा शिव मंदिर, जहां बिना नंदी के विराजमान हैं भोलेनाथ, शिवरात्रि पर होती है खास पूजा

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Published : Feb 13, 2023, 2:40 PM IST

महाशिवरात्रि का महापर्व नजदीक है, ऐसे में शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो (Shiva temple without Nandi) चुका है. वैसे तो हर मंदिर में कोई ना कोई खासियत जरूर होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया का एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर भी है, जहां शिव भगवान बिना नंदी के विराजमान है. इस रिपोर्ट में देखिये कहां पर है ये अनोखा शिव मंदिर और इसकी मान्यताएं अन्य मंदिरों से अलग कैसे है.

Shiva temple without Nandi in Kurukshetra
प्राचीनकाल का सबसे अनोखा शिव मंदिर
प्राचीनकाल का सबसे अनोखा शिव मंदिर

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का नाम आते ही महाभारत का दृश्य लोगों के मन में आता है. लेकिन सिर्फ महाभारत के लिए ही नहीं कुरुक्षेत्र अन्य कई चीजों के लिए भी पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. धर्मनगरी में दुनिया का एक अनोखा महादेव मंदिर है. इस अनोखा शिव मंदिर में भगवान शिव बिना नंदी के विराजमान हैं. माना जाता है कि यहां पर लंकापति रावण ने शिव की आराधना की थी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कुरुक्षेत्र में कालेश्वर महादेव मंदिर विश्व भर में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग बिना नंदी के स्थापित हैं.

लंकापति रावण की शिव भक्ति: मंदिर के पुजारी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण उड़न खटोला में सवार होकर यहां आकाश मार्ग से निकल रहे थे. कुरुक्षेत्र के कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही लंकापति रावण का उड़न खटोला डगमगा गया था. इसके बाद रावण के दिमाग में विचार आया कि यहां ऐसी क्या चीज है, जिसने लंकापति रावण के वाहन को बाधित किया है. तब उन्होंने अपना उड़न खटोला नीचे उतारा और देखा यहां पर एक शिवलिंग बना था. इसके बाद उन्होंने यहीं बैठकर पूजा शुरू कर दी.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
ये है अनोखा और अद्भुत महाकालेश्वर मंदिर

शिव मंदिर में नंदी ना होने की ये है खास वजह: यह वही स्थान है जहां पर लंकापति रावण ने महादेव से अकाल मृत्यु के भय के चलते काल पर विजय का वरदान मिला था. मान्‍यता है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव अवतरित हुए और उन्होंने रावण से इच्छा पूछी. रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा, लेकिन इससे पहले रावण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस मनोकामना का साक्षी कोई तीसरा न हो. बताया जाता है कि भगवान शिव ने इस दौरान नंदी महाराज को अपने से दूर किया था. उसके बाद रावण को वरदान दिया था. इसके बाद से यहां शिवलिंग बिना नंदी महाराज के स्थापित हैं.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
यहां पर बिना नंदी भगवान के विराजमान है महादेव

भगवान शिव की अपार महिमा: कालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि सरस्वती तट स्थित भगवान कालेश्वर मंदिर देश दुनिया में अपनी विशेष मान्यता से धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां की महत्ता है कि जो भी श्रद्धालु शनिवार और सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. इसी स्थान पर भगवान शिव ने रावण को काल पर विजयी होने का वरदान प्रदान दिया था, इसलिए इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव हैं. भगवान शिव की पूजा से काल को भी मोड़ा जा सकता है.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
यहां पूजा करने से नहीं होती अकाल मृत्यु

इस वजह से भगवान नंदी नहीं किये गये स्थापित: वहीं, बताया जाता है कि यहां पर कई बार शिवलिंग के साथ नंदी को स्थापित करने की कोशिश भी की गई. लेकिन यहां पर नंदी की स्थापना नहीं हो पाई. बताया जाता है कि जब जब यहां पर नंदी स्थापित करने की कोशिश की गई, तभी मंदिर और यहां मंदिर से संबंधित लोगों के ऊपर विपत्ति आनी शुरू हो गई. उसके बाद कभी भी यहां पर नंदी को स्थापित नहीं किया गया.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
श्रद्धालुओं पर भगवान शिव की अपार कृपा

मंदिर में नंदी की स्थापना करने से अकाल मृत्यु: श्री ब्राह्मण तीर्थों उधार सभा ने इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा उठाया है. ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव बिना नंदी भगवान के विराजमान हैं. यह शिव लिंग खुद से उत्पन हुआ है. यह मंदिर महाभारत काल से भी पहले का माना जाता है. जब भी किसी ने यहां नंदी की स्थापना करनी चाही तो यह माना गया है की उनकी अकाल मृत्यु भी हुई है.

ये भी पढ़ें: 12 फरवरी का पंचांग: आज का चन्द्रबल और ताराबल किन राशियों पर है, देखें आज का पंचांग

प्राचीनकाल का सबसे अनोखा शिव मंदिर

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का नाम आते ही महाभारत का दृश्य लोगों के मन में आता है. लेकिन सिर्फ महाभारत के लिए ही नहीं कुरुक्षेत्र अन्य कई चीजों के लिए भी पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है. धर्मनगरी में दुनिया का एक अनोखा महादेव मंदिर है. इस अनोखा शिव मंदिर में भगवान शिव बिना नंदी के विराजमान हैं. माना जाता है कि यहां पर लंकापति रावण ने शिव की आराधना की थी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कुरुक्षेत्र में कालेश्वर महादेव मंदिर विश्व भर में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग बिना नंदी के स्थापित हैं.

लंकापति रावण की शिव भक्ति: मंदिर के पुजारी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण उड़न खटोला में सवार होकर यहां आकाश मार्ग से निकल रहे थे. कुरुक्षेत्र के कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही लंकापति रावण का उड़न खटोला डगमगा गया था. इसके बाद रावण के दिमाग में विचार आया कि यहां ऐसी क्या चीज है, जिसने लंकापति रावण के वाहन को बाधित किया है. तब उन्होंने अपना उड़न खटोला नीचे उतारा और देखा यहां पर एक शिवलिंग बना था. इसके बाद उन्होंने यहीं बैठकर पूजा शुरू कर दी.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
ये है अनोखा और अद्भुत महाकालेश्वर मंदिर

शिव मंदिर में नंदी ना होने की ये है खास वजह: यह वही स्थान है जहां पर लंकापति रावण ने महादेव से अकाल मृत्यु के भय के चलते काल पर विजय का वरदान मिला था. मान्‍यता है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव अवतरित हुए और उन्होंने रावण से इच्छा पूछी. रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा, लेकिन इससे पहले रावण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस मनोकामना का साक्षी कोई तीसरा न हो. बताया जाता है कि भगवान शिव ने इस दौरान नंदी महाराज को अपने से दूर किया था. उसके बाद रावण को वरदान दिया था. इसके बाद से यहां शिवलिंग बिना नंदी महाराज के स्थापित हैं.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
यहां पर बिना नंदी भगवान के विराजमान है महादेव

भगवान शिव की अपार महिमा: कालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि सरस्वती तट स्थित भगवान कालेश्वर मंदिर देश दुनिया में अपनी विशेष मान्यता से धार्मिक आस्था का केंद्र है. यहां की महत्ता है कि जो भी श्रद्धालु शनिवार और सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. इसी स्थान पर भगवान शिव ने रावण को काल पर विजयी होने का वरदान प्रदान दिया था, इसलिए इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव हैं. भगवान शिव की पूजा से काल को भी मोड़ा जा सकता है.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
यहां पूजा करने से नहीं होती अकाल मृत्यु

इस वजह से भगवान नंदी नहीं किये गये स्थापित: वहीं, बताया जाता है कि यहां पर कई बार शिवलिंग के साथ नंदी को स्थापित करने की कोशिश भी की गई. लेकिन यहां पर नंदी की स्थापना नहीं हो पाई. बताया जाता है कि जब जब यहां पर नंदी स्थापित करने की कोशिश की गई, तभी मंदिर और यहां मंदिर से संबंधित लोगों के ऊपर विपत्ति आनी शुरू हो गई. उसके बाद कभी भी यहां पर नंदी को स्थापित नहीं किया गया.

Kurukshetra Mahakaleshwar Temple
श्रद्धालुओं पर भगवान शिव की अपार कृपा

मंदिर में नंदी की स्थापना करने से अकाल मृत्यु: श्री ब्राह्मण तीर्थों उधार सभा ने इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा उठाया है. ये विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव बिना नंदी भगवान के विराजमान हैं. यह शिव लिंग खुद से उत्पन हुआ है. यह मंदिर महाभारत काल से भी पहले का माना जाता है. जब भी किसी ने यहां नंदी की स्थापना करनी चाही तो यह माना गया है की उनकी अकाल मृत्यु भी हुई है.

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